प्रयागराज (ब्‍यूरो)। सड़कों पर जल्दबाजी ठीक नहीं है। जल्दबाजी ही घातक है। जैसे आप हर काम इत्मीनान से करते हैं। इत्मीनान से बात करना पसंद करते हैं। इत्मीनान से चाय पीना पसंद करते हैं। इत्मीनान से खाना खाना पसंद करते हैं। उसी तरह सड़क पर इत्मीनान से चलना चाहिए। सड़क पर जल्दबाजी ठीक नहीं है। घर से किसी काम के लिए या आफिस जाने के लिए निकलिए तो थोड़ा सा समय लेकर चलिए। सड़क पर जल्दबाजी ही जीवन के लिए घातक हो जाती है। सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा कैंपेन के तहत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ऑफिस में चर्चा के लिए जुटे प्रतिष्ठ लब्ध शहरियों के बीच बातें बहुत हुईं, सुझाव बहुत आए मगर सार तत्व यही निकला कि सड़क पर जल्दबाजी ठीक नहीं।


ये है शहर की समस्या
- जगह जगह लग जाता है जाम
- रेड लाइट पर बाएं साइड भी खड़े हो जाते हैं वाहन।
- सड़कों पर हाई स्पीड में चलते हैं वाहन।
- ई रिक्शा चालकों का निर्धारित नहीं है रूट।
- बगैर स्टॉपेज के रुक जाते हैं टेंपो, ई रिक्शा
- सिविल लाइंस में प्राइवेट बसों का रहता है डेरा।
- स्कूली की छुट्टी के समय लगता है जाम।
- जगह जगह है रोड खराब।
- नहीं लगे हैं सड़कों के नाम के बोर्ड

ये आए सुझाव
- जाम से बचने के लिए वन वे सिस्टम लागू हो।
- रेड लाइट पर ट्रैफिक के सिपाही लेफ्ट साइड कराएं खाली।
- सड़कों पर स्पीड के लिए लगे बोर्ड।
- ई रिक्शा चालकों का रूट हो निर्धारित।
- टेंपो ई रिक्शा का बनाया जाए स्टॉपेज।
- प्राइवेट बसों को किया जाए शहर से बाहर।
- स्कूलों की छुट्टी के समय में किया जाय बदलाव।
- सड़कों के गड्ढों को तुरंत ठीक कराया जाए।
- सड़कों के नाम लिखे बोर्ड लगवाए जाएं।

ये बोले शहरी
शहर में ट्रैफिक की समस्या को लेकर दो बातें प्रमुखता से सामने आईं। पहली स्पीड, दूसरी ई रिक्शा और टेंपो के रुटों को लेकर कोई निर्धारण न होना। जिसका नतीजा है कि कई सड़कों पर ओवर ट्रैफिक लोड हो जाता है। जिससे जाम की समस्या गंभीर रुख अख्तियार कर लेती है। इसके अलावा शहर के अंदर आने वाली प्राइवेट बसों को लेकर भी सवाल किए गए। कहा गया कि प्राइेवट बसों को आखिर किस नियम के आधार पर शहर में प्रवेश दिया जाता है।

वन वे सिस्टम कब बनेगा
शहर में वन वे सिस्टम कहीं भी लागू नहीं है। वन वे सिस्टम से जाम की समस्या और एक्सीडेंट की समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है। मगर इस सिस्टम को डेवलप करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है।

चौराहों पर रेड लाइट होने पर लोग लेफ्ट साइड में भी अपने वाहन खड़े कर लेते हैं। इससे जिसे लेफ्ट साइड जाना होता है उसे भी रुकना पड़ता है। चौराहों पर ट्रैफिक के सिपाही खड़े रहते हैं। मगर लेफ्ट साइड खाली नहीं कराते हैं। ये समस्या पूरे शहर के रेड लाइट चौराहों की है। लेकिन इस समस्या का समाधान ट्रैफिक डिपार्टमेंट नहीं निकालता है।
हरीओम पांडेय, ज्योतिषाचार्य


शहर की कुछ प्रमुख सड़कों को छोड़ दिया जाए तो शायद ही कोई ऐसी सड़क हो जिस पर गड्ढे न हों। सड़क खराब होने की वजह से भी हादसे होते हैं। मगर संबंधित विभाग खराब हो रही सड़क को फौरन दुरुस्त नहीं कराता है। जिसकी वजह से गड्ढों में फंस कर लोग गिर जाते हैं। सड़कों के किनारे नाम लिखे बोर्ड भी नहीं लगे हैं।
शिवसेवक सिंह, वरिष्ठ पार्षद

गार्जियन अपने बच्चों को बाइक या स्कूटी से स्कूल भेजना अपना स्टेट्स सिंबल मान बैठे हैं। जिसकी वजह से सड़कों पर अनावश्यक ट्रैफिक प्रेशर होता है। अनट्रेंड नाबालिग बच्चों का एक्सीडेंट होने का भी खतरा रहता है। बच्चों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट से स्कूल भेजा जाना चाहिए।
आरपी साहू, अध्यक्ष, स्नेही इंटरनेशनल

हर साल एक्सीडेंट के आंकड़े बढ़ रहे हैं। कहीं न कहीं इसके पीछे मुख्य वजह स्पीड है। सड़कों पर स्पीड कंट्रोल में रखकर वाहन चलाया जाए तो काफी हद तक एक्सीडेंट से बचा जा सकता है। वाहन चालक खुद भी सेफ रहता है और सामने वाला भी। स्पीड को लेकर सख्त कदम उठाया जाना चाहिए।
विशाल सिंह, अधिवक्ता हाईकोर्ट

स्कूलों के सामने रोड पार करने के लिए स्काई वॉक बनाया जाना चाहिए। इससे स्कूलों की छुट्टी होने के समय काफी देर तक जाम की स्थिति से बचा जा सकता है। बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे। साथ ही स्कूलों के सामने पार्किंग नहीं होने पर बच्चों के गार्जियन को प्राइवेट वाहन लाने पर सख्ती बरती जाए।
सर्वेश केसरवानी, अधिवक्ता हाईकोर्ट


ई रिक्शा की वजह से पूरे शहर में जाम की स्थिति बन गई है। ई रिक्शा का कोई रूट निर्धारित नहीं किया जा रहा है। जिसकी वजह से जाम की समस्या बढ़ती जा रही है। ई रिक्शा खरीदने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य किया जाए। प्राइवेट बसों को हटाया जाए।
रमाकांत रावत, महामंत्री टेंपो टैक्सी यूनियन

शहर में बाहर की गाडिय़ां आने पर बेवजह चेकिंग की जाती है। इससे प्रयागराज की छवि पर असर पड़ता है। ट्रैफिक पुलिस केवल सरकार का खजाना भरने के लिए ही चालान न करे। बल्कि जमीनी स्तर पर काम करे ताकि ट्रैफिक की समस्या से शहरियों को राहत मिले।
चंद्रशेखर ओझा, डायरेक्टर डीसीएफ

मैक्सिमम टाइम एक्सीडेंट की वजह लापरवाही होती है। लोग बहुत लापरवाही से अपने वाहन ड्राइव करते हैं। खासतौर से कार और बड़े वाहनों के ड्राइवर। जिससे एक्सीडेंट हो जाता है। जान किसी की भी हो। उसकी कीमत होती है। वाहन ड्राइव करते समय लापरवाही ठीक नहीं।
डा.अनिल द्विवेदी, डायरेक्टर रिलैक्सो हॉस्पिटल

ट्रैफिक डिपार्टमेंट नियमों की जागरुकता के लिए हमेशा अभियान चलाता है। लोगों को सड़क पर चलने की अपनी मानसिकता को बदलना होगा। सड़क पर मनमाना तरीका किसी की भी जान ले सकता है। वाहन को ड्राइव करने का मतलब ये नहीं है कि अब सड़क केवल आपकी है।
पवन पांडेय, ट्रैफिक इंस्पेक्टर

समस्याएं हैं तो उनका समाधान भी है। चालान या सख्ती हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। जरुरी नहीं कि हादसे में केवल जान ही जाए। हादसे में चोट से भी बहुत दिक्कत पहुंचती है। पूरा परिवार परेशान होता है। दवा इलाज में पैसे खर्च होते हैं। ऐसे में सड़क पर भी चलने में इत्मीनान जरुरी है। जल्दबाजी हादसे का कारण बनती है। जिसकी भरपाई संभव नहीं हो पाती है।
शिवराम, एडीसीपी ट्रैफिक