प्रयागराज ब्यूरो । पहले इमाम हजऱत अली अलैहिस्सलाम की शहादत इक्कीस रमज़ान साठ हिजरी को कूफा में हुई थी उसी की याद में तीन दिवसीय शोक दिवस के अन्तिम दिन ताबूत निकाला गया। बख्शी बाजार स्थित मस्जिद क़ाज़ी साहब से अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमिया व मोमनीन की ओर से भोर में अंधेरा कर मोमबत्तियों की रोशनी में ताबूत निकाला गया। फजिर की अज़ान के बाद जैसे ही मौलाना जवादुल हैदर रिज़वी ने बाजमात नमाज़ अदा कराई और दुआओं के साथ सिलसिला खत्म हुआ वैसे ही मस्जिद के साथ आस पास की गलियों की लाइटें बंद कर मौलाना रज़ी हैदर रिज़वी ने हजऱत अली की शहादत का जि़क्र करना शुरु किया तो हर तरफ से आहों बुका की सदाओं के गूंजने से माहौल संजीदा सा होगया।

बोसा लेने की मची रही होड़

अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमिया के सदस्य स्टील के बड़े गहवारे में रखे ताबूत जो रेशमी व मलमल की चादर से ढंका और गुलाब व चमेली के फूलों से सजा मौला ए कायनात का ताबूत लेकर आए हर तरफ से स्याह सैलाब उमड़ पड़ा। कांधा देने और बोसा लेने की होड़ सी मच गई। सभी की आंखें नम और लबों पर या अली मौला हैदर मौला की सदाएं बुलन्द हो रही थी.मस्जिद से निकल कर ताबूत का जुलूस अहाता खुर्शैद हुसैन पर पहुंच कर सम्पन्न हुआ। वहीं दूसरा सबसे बड़ा व क़दीमी जुलूस इमामबारगाह आज़म हुसैन रानीमंडी से निकाला गया जिसमें अन्जुमन अब्बासिया रानीमंडी के नौहाख्वान डॉ अबरार, फ़ैज़ जाफरी, हुसैन मेंहदी, गौहर ,सादिक़ आदि ने पुरदर्द नौहा पढ़ते हुए जुलूस में शिरकत की। इमामबाड़ा आबिदया से मिजऱ्ा काजि़म अली, हसन नक़वी, इशत आब्दी, शेरु भाई की कय़ादत में ताबूत अलम व ज़ुलजनाह का जुलूस निकाला गया। उम्मुल बनीन सोसायटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार रानीमंडी से निकाले गए दोनों जुलूस बच्चा जी धर्मशाला,चड्ढा रोड ,कोतवाली, नखास कोहना, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज होते हुए चकिया करबला तक गए।

अकीदत के फूल चढ़ाएं

रास्ते भर अक़ीदतमन्दों ने ताबूत अलम व ज़ुलजनाह पर अक़ीदत के फूल चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगी। बख्शी बाज़ार रानी मण्डी के मातमी जुलूस में बड़ी संख्या में शहर के साथ साथ आस पास के ग्रामीण इलाकों, कस्बों से भी हज़ारों लोग जिय़ारत को पहुचे।

दरियाबाद के प्रसिद्व इमामबाड़ा हुसैन अली खां का 21 रमज़ान शहादत हजऱत अली का अलम, ताबूत और ज़ुलजना की शबी का जलूस इमामबाड़े से पूरी अक़ीदत के साथ निकाला गया। जुलूस से पहले इमामबड़े इसके अंदर एक मजलिस हुई जिसे जनाब अशरफ़ अब्बास साहब ने खेताब फरमाया। जुलूस में नगर की प्रसिद्ध अंजुमन, अंजुमन ए हाशिमया ने नौहखानी और सीनाजऩी की। इस दौरान अंजुमन ए 21 रमज़ान शहादत हजऱत अली,

इमामबाड़ा हुसैन अली खान का अलम, ताबूत और ज़ुलजना जुलूस निकला

दरियाबाद के प्रसिद्व इमामबाड़ा हुसैन अली खां का 21 रमज़ान शहादत हजऱत अली का अलम, ताबूत और ज़ुलजनाह की शबी का जलूस इमामबाड़े से पूरी अक़ीदत के साथ निकाला गया। जुलूस से पहले इमामबड़े के अंदर एक मजलिस हुई जिसे जनाब अशरफ़ अब्बास साहब ने खेताब फरमाया। जुलूस में नगर की प्रसिद्ध अंजुमन, अंजुमन ए हाशिमया ने नौहखानी और सीनाजऩी की। इस दौरान अन्जुमन के साहिबे बयाज़ यासिर सिबतैन, जिय़ा अब्बास अर्शी, फ़ैज़ी, अनादिल ,

मोहम्मद आदि ने नौहा पढ़ा।

इस्लाम के सर पे ज़र्ब लगी ईमान का दिल दो पारा है। काबे में हुआ था जो पैदा मस्जिद में उसी को मारा है।

कार्यक्रम के संचालक ज़ौरेज़ हैदर ने बताया कि पुरुषों के बाद इमामबड़े के अंदर ज़ुलजनाह के सामने महिलाओं ने भी नौहा मातम कर के हजऱत अली को खेराजे ए अक़ीदत पेश किया। शहादत ए अली पर महिलाओं की मजलिस में रुखसार हुसैन ने पढ़े पुरदर्द नौहे। वहीं मशहूर महिला नौहाख्वान रुखसार हुसैन ने जब नौहा पढ़ा तो बुज़ुर्ग औरतें बच्चियां व युवतियां अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं।