प्रयागराज (ब्यूरो)।संवाद का अर्थ है आप और हम दोनों परस्पर सुनें और बोलें। चिंतन और परस्पर संवाद ही नवयुवकों का जीवन पथ प्रशस्त करता है। भारत विकसित देश कैसे हो, इसकी हम सबको चिंता करनी होगी। उक्त बातें सदनलाल सांवलदास खन्ना महिला महाविद्यालय में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित युवा संवाद-इंडियाञ्च2047 में बोलते हुए सांसद प्रो। रीता बहुगुणा जोशी ने कहीं। कहा कि, जब दुनिया अज्ञानता से भरी थी उस समय हमारी संवेदना, निर्माण प्रक्रिया, हमारे विश्वविद्यालय, हमारा दर्शन, हमारा चिंतन, दुनिया के लिए प्रतिमान था। जीवन के रहस्य को अगर किसी ने सबसे पहले समझा तो वह देश भारत ही था। वसुधैव कुटुंबकम हमारे देश का मंत्र रहा है।
पूरा देश एक साथ चले
सांसद ने कहा कि अब हमने अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के स्थान को प्राप्त किया है। जरूरत है कि हम सब 140 करोड़ लोग एक साथ चलें और सही दिशा में चलें। सरकार तो प्रयत्न कर ही रही है परंतु हमें भी देश को विकसित करने के लिए प्रयत्नशील होना होगा। हमारा दृष्टिकोण ही हमें विश्वगुरु बनायेगा। हमाके देश में लिंगानुपात पहले 1000 पर 947 स्त्रियों का था। वर्तमान में 1020 स्त्रियों का हो चुका है। यह हमारे सदसंकल्पों का ही फल है। आज हम सब 2047 के भारत पर चिंतन कर रहे हैं, उस समय तक हममें से सभी लोग जीवित नहीं रहने वाले। लेकिन इसके बावजूद भी हम 2047 के भारत के निर्माण की चिंता कर रहे हैं। एयूके डॉ। राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि समावेशी चिंतन के विकास की जरूरत है। उपप्राचार्या डॉ रचना आनंद गौड ने सांसद का स्वागत किया। संचालन डॉ। सौम्या कृष्ण ने तथा धन्यवाद डॉ। मंजरी शुक्ला ने किया। डॉ। आदित्य त्रिपाठी, डॉ। प्रियंका गुप्ता, डॉ। नेहा राय और डॉ। सौम्या कृष्ण, रिटायर्ड जस्टिस अरुण टंडन मौजूद रहे। छात्रा शाहेना परवीन और श्रेया मिश्रा ने भी अपने विचार रखे।