प्रयागराज (ब्यूरो)। हाशिवरात्रि पर्व पर मंगलवार को भोर में गंगा और संगम स्नान घाट पर उमड़ पड़े। गंगा और संगम स्नान के बाद लाखों भक्त जल लेकर जगह-जगह शिवालयों पहुंचे। शिवालायों में भगवान शिव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए लंबी कतार लगी रही। शहर के सोमेश्वर नाथ, नागवासुकी, मनकामेश्वर, शिव कचहरी शिवकुटी और पंडि़ला महादेव मंदिर में भक्तों की जबरदस्त भीड़ रही। इसी तरह सिविल लाइंस और बंधवा हनुमान मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। दर्शन और पूजन के लिए कतार में लगे भक्तों के जयकारे से शिवालय गूंजते रहे। आस्था में लीन पुरुष और युवा भक्तों के साथ महिलाओं और युवतियों की भी खासी भीड़ रही। भगवान शिव को दूध, भांग, बेल पत्र, धतूर, बेर, आम के बौर फूल आदि अर्पित कर भक्तजन पजा अर्चन किए। तमाम लोग घरों और शिवालयों में दूध, शहद, घी, गंगाजल और गन्ने के रस रुद्राभिषेक करके दानपुण्य अर्जित किए। गंगा और संगम स्नान घाट पर भी तमाम भक्तों द्वारा विधि विधान से भगवान शिव की भक्तों द्वारा पूजा और रुद्राभिषेक किया गया।
शिवबारात में थिरकते रहे भक्त
महाशिवरात्रि पर जगह-जगह भगवान शिव की बारात निकाली गई। शिव बारात में शामिल भक्तजन आस्था के रस में डूबे। शिव गीतों के धुन पर थिरकते भक्तों के पांव और पुष्प वर्षा होती रही। दिन भर पूरा माहौल शिवमय रहा। दारागंज जंगमबाड़ी के पास से भगवान शिव की भव्य बारात निकाली गई। महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत यमुना पुरी, श्रीमहंत बलराम भारती, नीरज गिरि, भानुशकर गिरि द्वारा बारात से पूर्व भगवान शिव की
मंत्रोच्चार और शंखनाद के साथ पूजा की गई। पूजन के बाद बारात विभिन्न मोहल्लों से हुए निकली तो भक्तजन जगह-जगह आरती और पूजा करने से खुद को नहीं रोक सके। धकाधक चौराहा, बख्शी त्रिमुहानी, डॉ। प्रभात शास्त्री मार्ग पर शिव बारात का भव्य स्वागत किया गया। इसी तरह कीडगंज समयामायी मंदिर से भी भगवान शिव की भव्य बारात निकाली गई। कटरा में निकाली गई शिव बारात में भी भक्तजन झूमते रहे। जगह-जगह शिवालयों में भांग और ठंडयी के प्रसाद का वितरण किया गया। जय शिव सेना भारत की ओर से त्रिशूल भगवान की शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा से पूर्व मीरापुर में भगवान त्रिशूलधारी की दिव्य व भव्यता के साथ पूजन अर्चन किया गया।
तंबुओं के शहर में उखडऩे लगे टेंट
महाशिवरात्रि स्नान पर्व के साथ ही माघ मेला का पूर्ण रूप से समापन हुआ। महाशिवरात्रि माघ मेला का आखिरी स्नान पर्व माना जाता है। यही वजह रही कि इस पर्व के साथ प्रशासनिक तौर से माघ मेला के समापन की घोषणा की गई। यूं तो माघी पूर्णिमा स्नान बाद ही ज्यादातर संत तमाम श्रद्धालु एवं कल्पवासी मेला क्षेत्र छोड़ दिए थे। कुछ जो रुके हुए थे वह भी महाशिवरात्रि स्नान के बाद मेला क्षेत्र से निकल गए। बचे हुए इन श्रद्धालुओं व संतों के टेंट के साथ प्रशासनिक कार्यालयों के टेंट भी मंगलवार को उखडऩे लगे।