प्रयागराज (ब्यूरो)।दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने बच्चों की संख्या कम होने पर जब कुछ स्कूल वालों से बातचीत की तो स्कूलों के प्रिंसिपल व टीचर्स ने भी इसे मजबूरी बताया। वाईएमसीए की टीचर विनीता श्रीवास्तव बताती है कि बच्चों के न आने पर पैरेंट्स पहले ही घर के बाहर का महौल व नाव न मिलने की फोटो व्हाट्सएप कर देते हैं। फोटो देखने के बाद कोई जवाब देते ही नहीं बनता है। वहीं मुन्नी देवी स्कूल के प्रबंधक प्रवीण पांडेय बताते हैं कि यह दिक्कत पढऩे वाले बच्चों के साथ टीचर्स के साथ भी हो रहा है। कुछ टीचर्स ऐसे हैं जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से हैं। घंटों इंतजार के बाद नाव मिलती है। तब जाकर स्कूल पढ़ाने पहुंचते हैं। छोटे बच्चों को अभिभावक तो बिल्कुल नहीं भेज रहे हैं। हर क्लास में तीस प्रतिशत तक अटेंडेंस कम हो गई है।
बच्चों के कपड़े व ड्रेस नहीं हो पा रहे साफ
लिटिल चैंप्स स्कूल के शिक्षक उमेश कुमार का कहना है कि अभिभावक बच्चों के कपड़े व ड्रेस गंदे होने पर साफ न कर पाने की मजबूरी बता रहे हैं। इस बाढ़ के चलते जिन बच्चों का कोर्स पीछे हो रहा है। उनको कवर कराने में क्लास के टीचर्स को काफी दिक्कत आएगी। ऐसे में कुछ दिनों के लिए स्कूल पूरी तरह से बंद हो जाए। यह ज्यादा सही रहेगा। यह समस्या लगभग ज्यादातर स्कूलों के साथ हो रही है।
बच्चों के गिरने का बना रहता है डर
पैरेंट्स पंकज सिंह, सुनिल सिंह उर्फ मिंटू का कहना है कि बाढ़ में अधिकांश घर डूब चुके हैं। दूसरे मंजिले व छत पर जाकर लोग रह रहे हैं। ऐसे में लोगों को सीढी का सहारा लेकर चढऩा पड़ता है। बड़े लोग तो किसी तरह से चढ़ जाते हैं। लेकिन छोटे बच्चों को ज्यादा परेशानी हो रही है। हमेशा डर बना रहता है कि कहीं स्लिप होकर गिर न जाएं।