प्रयागराज (ब्‍यूरो)। माफिया से दोस्ती करने के शौक ने शिवम पांडेय को असलहा तस्कर बना दिया। आलीशान मकान और महंगी कार बनाने के लिए शिवम को माफियागिरी समझ आई। मगर वह खुद अपराध में फंसना नहीं चाहता था, इसलिए उसने अपराधियों को असलहा सप्लाई करने का धंधा चुना। कद काठी और पहनावे से पहली नजर में कोई भी धोखा जाए कि क्या वाकई में यह शख्स असलहा तस्कर हो सकता है। मगर पुलिस को पूछताछ में शिवम ने जो बताया वह वाकई में चौकाने वाला है।

बेहद शौकीन मिजाज है गैंग लीडर
हंडिया के औरा गांव का रहने वाला शिवम पांडेय साधारण परिवार से है। 22 साल का शिवम पांडेय इस बार इंटर का छात्र है। गांव के रहने वाले शिवम पांडेय को करीब तीन साल माफिया बनने का शौक लगा। इसके बाद वह जिले के माफिया की कहानी जानने की कोशिश करने लगा। पता चला कि कभी न कभी हर माफिया का अंत बुरा हुआ। जिस पर शिवम ने बीच का रास्ता निकाला। उसे जानकारी हुई कि हर अपराधी अच्छा असलहा चाहता है। उसने इस धंधे के बारे में पता किया। उसे जानकारी मिली कि असलहा तस्करी में जेल होने पर जमानत में दिक्कत नहीं होती। जिस पर शिवम ने छह महीने बाद असलहा तस्करी का धंधा चुना।


असलहा बनाने वालों से की दोस्ती
शिवम पांडेय ने असलहा तस्करी का धंधा चुना, इसके बाद वह बिहार और छत्तीसगढ़ आने जाने लगा। उसने असलहा कारोबारियों से दोस्ती बनाई। वहां का माहौल देखकर शिवम को लगा ही नहीं कि असलहा कारोबारियों को पुलिस का डर है।

तीन पिस्टल से शुरू किया कैरियर
करीब दो साल पहले शिवम पांडेय तीन पिस्टल खरीद कर लाया। उसके सामने पिस्टल को बेचने की समस्या थी। मगर उसके द्वारा लाई गई पिस्टल बेजोड़ थी। शिवम पिस्टल लेकर उसे बेचने के लिए घूमने लगा। हंडिया के ही एक शख्स को उसने पिस्टल दिखाई। करीब एक महीने में तीन पिस्टल बिक गई। शिवम ने 22 हजार की पिस्टल पैंतीस हजार में बेंची। एक पिस्टल पर शिवम को 13 हजार का मुनाफा हुआ। इसके बाद शिवम ने सबसे पहले अपने लिए शानदार कपड़े और जूते खरीदे। फिर वह दोबारा छह पिस्टल ले आया।

कई लोगों को बनाया मेंबर
शिवम पांडेय बातचीत में बहुत माहिर है। उसने असलहा का कारोबार पूरे जिले में फैलाने के लिए युवकों को अपने गैंग का मेंबर बनाना शुरू कर दिया। शिवम की पिस्टल की फायरिंग अच्छी रहती है। जिसकी वजह से उसकी पिस्टल की डिमांड बढऩे लगी। शिवम के सम्पर्क में मांडा थाना एरिया के दिघिया गांव के वशी मोहम्मद और मेजा थाना क्षेत्र के सोरांव गांव का रामप्रसाद पांडेय आ गया। तीनों ने मिलकर पूरे जिले में सौ से अधिक पिस्टल बेच डाली।

पुलिस ने पकड़ लिया
शिवम पांडेय इस बार दस पिस्टल लेकर आया था। वह वशी मोहम्मद और रामप्रसाद को पिस्टल सप्लाई करने के लिए नैनी में अरैल एरिया में पहुंचा। इसकी मुखबिरी नैनी पुलिस को हो गई। नैनी पुलिस ने एसओजी को भी अपने साथ लिया फिर अरैल में घेराबंदी कर दी। तीनों को पकड़ लिया गया। शिवम के पास से पुलिस ने दस पिस्टल और छह कारतूस बरामद किया।

मामा से सीखा असलहे का हुनर
पुलिस के मुताबिक शिवम पांडेय को उसके एक मामा ने असलहे को पहचानने का हुनर सिखाया था। पूछताछ में शिवम ने बताया कि पिस्टल में सबसे ज्यादा समस्या फायरिंग के बाद खोखे के फंसने की समस्या होती है। जिसकी वजह से पिस्टल सप्लायरों का धंधा ज्यादा चल नहीं पाता है। वह जैसी पिस्टल पाते हैं वैसी लाकर बेंच देते हैं। मगर शिवम को उसके मामा ने असलहा पहचानने का हुनर सिखाया था, जिस पर छत्तीसगढ़ और बिहार में शिवम खुद जाकर पिस्टल बनवाता था, इसके बाद वह वहां से पिस्टल लाकर यहां सप्लाई करता था। जिससे उसकी पिस्टलों की डिमांड बढ़ती जा रही थी।

कम पढ़े लिखे हैं दोनों मेंबर
रामप्रसाद कक्षा दस पास है, जबकि वशी मोहम्मद कक्षा पांच। रामप्रसाद प्राइवेट नौकरी करता था। और वशी मोहम्मद खोमचा लगाता था। दोनों जब शिवम के सम्पर्क में आए तो इसके बाद दोनों के रहन सहन का स्तर बदल गया। पैसे की आमद होने लगी तो दोनों शिवम के गैंग के मेंबर बन गए।

बोनस में कराता था पार्टी
शिवम पांडेय 22 हजार रुपये में एक पिस्टल लाता था। जबकि यहां पर उसे वह तीस हजार रुपये में अपने मेंबर को देता था। उस पिस्टल को मेंबर पैंतीस से चालीस हजार में बेंचते थे। अच्छा धंधा होने पर शिवम पांडेय अपने गैंग के मेंबरर्स को अच्छे कपड़े खरीदता था और अच्छे होटल में पार्टी करता था।

पहली बार भेजा गया जेल
दो साल से शिवम जिले भर में असलहा सप्लाई का काम कर रहा था। इस दो साल के दौरान वह कभी पकड़ा नहीं गया। नैनी पुलिस ने उसे पहली बार जेल भेजा है। जबकि वशी मोहम्मद भी पहली बार जेल भेजा गया है। वहीं, रामप्रसाद चोरी के एक मामले में पहले जेल जा चुका है।


तीन असलहा तस्करों को पकड़ा गया है। गैंग लीडर शिवम पांडेय सौ से अधिक पिस्टल बेेंच चुका है। तीनों के पास से दस पिस्टल बरामद की गई है। तीनों को जेल भेज दिया गया है।
यशपाल सिंह, इंस्पेक्टर नैनी