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दफा केसरी देवी पटेल रह चुकी हैं जिला पंचायत अध्यक्ष
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बार रेखा सिंह का भी जिला पंचायत की कुर्सी पर रहा कब्जा
2000
से जिला पंचायत में केसरी देवी पटेल हुई इंट्री
2006
से केसरी देवी को मात जिला पंचायत में दाखिल हुई थीं देखा सिंह
वर्षो से केसरी देवी पटेल और रेखा सिंह के इर्द-गिर्द नाचती रही है जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी
राजनीतिक हवा को देख केसरी देवी बदल दीं मैदान, सियासत सूरमाओं की बाउंसर बालिंग से रेखा हुई क्लिन बोल्ट
PRAYAGRAJ: केसरी देवी पटेल और रेखा सिंह ये दोनों नाम ऐसे हैं, जिनके इर्द-गिर्द पिछले कई वर्षो से जिला पंचायत की सियासत नाच रही थी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में दोनों कुनबे की दमदार दखल हुआ करती थी। धीरे-धीरे यह माना जाने लगा था कि जिला पंचायत से इन्हें उखाड़ना अब आसान नहीं होगा। अध्यक्ष पद को लेकर इन्हीं दोनों लोगों के बीच जीत और हार के फैसले होते रहे हैं। इनके आगे किस्मत आजमाने वाले कभी सफल नहीं हो पा रहे थे। वर्षो बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद का यह ऐसा चुनाव है, जिसमें दोनों कुनबा बगैर लड़े मैदान से बाहर हो गया है। इस को लेकर जिले में लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हैं। बहरहाल, कानाफूसी तो कुछ राजनीतिज्ञ व भाजपाई भी करने से खुद को नहीं रोक पा रहे।
सियासी खेमे में हो रही कानाफूसी
जिला पंचायत के सियासी मैदान में केसरी देवी पटेल व रेखा सिंह बगैर फील्ड में उतरे क्लिन-बोल्ड हो गई। सियासी बाउंसरों की गेंदबाजी के आगे उन्हें मैदान में उतरने का मौका तक नहीं मिला। हालांकि जिला पंचायत के इस 20-20 मैच का रुख केसरी देवी पटेल भांप चुकी थीं। शायद यही वजह है कि वह बड़े मैदान पर सियासी गेम खेलने का प्रयास कीं और सफल भी हैं। माना जा रहा है कि इनकी सफलता को देखते हुए रेखा सिंह ने सपा का दामन छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गई। रेखा सिंह के भाजपा में आते ही लोग यह कयास लगा रहे थे कि भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उनका टिकट पक्का है। क्योंकि अब केसरी देवी पटेल सांसद हैं। इसलिए वह इस चुनाव में आएंगी। शायद ही वजह थी कि रेखा सिंह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी लड़ गई। इस चुनाव को वह जीती भी। ज्यादातर राजनीतिज्ञ यही समझ रहे थे कि रेखा भाजपा में हैं और उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद का अनुभव भी है। इस लिए पार्टी उन्हीं को ही टिकट देगी। मगर, वक्त आया तो राजनीतिक मैदान के गेंदाबाजों की बाउंस करने वाली गेंद उन्हें चकमा दे गई।
केसरी देवी व रेखा की सियायी कुश्ती
जिला पंचायत अध्यक्ष रहे विश्राम दास को मात देकर केसरी देवी पटेल वर्ष 2000 कुर्सी पर आसीन हुई थीं।
लगातार दो बार 2005 तक उनकी सियासी नाव डगमगाई और अशोक कुमार कुर्सी पर बैठ गए।
हालांकि केसरी देवी पटेल अशोक कुमार को ज्यादा दिनों तक कुर्सी पर बैठने नहीं दीं। 2005 में ही फिर वह अध्यक्ष बन गई
वर्ष 2006 में केसरी देवी के सियासी पांसा को मात देते हुए रेखा सिंह जिला पंचायत में दाखिल हुई
हालांकि साल भर में ही केसरी देवी पटेल ने रेखा सिंह को सियासी मात देते हुए 2007 में फिर कुर्सी पर जा बैठीं
इसके बाद 2012 तक जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पर केसरी देवी पटेल का कब्जा बरकरार रहा
वर्ष 2013 में रेखा सिंह पूरी प्लानिंग के साथ मैदान में आई तो केसरी देवी पटेल को हार का सामना करना पड़ा
इसके बाद लगातार चार दफा इस बार कार्यकाल समाप्त होने तक वह जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं
कब से कब तक रहा कार्यकाल
नाम पद ग्रहण तिथि
विश्राम दास 23.05.1995 से 06.04.2000 तक
केसरी देवी पटेल 10.04.2000 से 10.07.2000 तक
केसरी देवी पटेल 06.08.2000 से 31.07.2005 तक
अशोक कुमार 01.08.2005 से 23.09.2005 तक
केसरी देवी पटेल 24.09.2005 से 08.10.2005 तक
रेखा सिंह 14.01.2006 से 14.12.2007 तक
केसरी देवी पटेल 19.12.2007 से 13.01.2011 तक
केसरी देवी पटेल 14.01.2011 से 12.11.2012 तक
रेखा सिंह 28.01.2013 से 13.01.2016 तक
रेखा सिंह 14.01.2016 से 17.10.2018 तक
रेखा सिंह 18.10.2018 से 25.10.2018 तक
रेखा सिंह 07.05.2019 से
भाजपा प्रत्याशी ने खरीदा नामांकन पत्र
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा द्वारा घोषित प्रत्याशी डॉ। वीके सिंह ने सोमवार को चार सेट में नामांकन पत्र की खरीदारी की। बड़ी सादगी व शालीनता से जिला पंचायत कार्यालय के फस्ट फ्लोर पर पहुंचे। इसके बाद वह नामांकन पत्र खरीद कर वापस चले गए। हालांकि पूछे जाने पर बोले कि वह इस बारे में जानकारी कल यानी मंगलवार को देंगे। बहरहाल, एडीएम नजूल/एआरओ गंगाराम गुप्ता ने कहा कि डॉ। वीके द्वारा नामांकन पत्र की खरीदारी की गई है। उनके द्वारा खरीदा गया नामांकन पत्र चार सेट में है।