प्रयागराज (ब्यूरो)। जिले में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में वहाट्सएप और टेलीग्राम के साथ मैसेंजर एप के जरिए कॉलिंग सबसे लोकप्रिय बनता जा रहा है। लोग अपने पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल काम के लिए सबसे ज्यादा व्हाट्सएप कॉलिंग का यूज करते है। जानकारों की माने तो हर गोपनीय व काले धंधों की बात करने के साथ क्राइम करने में भी इन एप के जरिए कॉलिंग करना सुरक्षित समझते है। यह ही कारण है कि पुलिस के लिए हर केस को खोलना चैलेंजिंग बनता जा रहा है। सर्विलांस व आईटी एक्सपर्ट की माने तो इंटरनेट कॉलिंग का डिटेल्स नहीं निकल पाता है। आखिर कौन और कब किससे बात कर रहा है। इसके साथ ही कॉल रिकॉर्डिंग भी मुश्किल होता है। इन फीचर के आने के साथ ट्रेंड बढऩे पर हर छोटी-मोटी घटना कारित करने के दौरान इन्हीं एप के जरिए कॉलिंग होता है। पुलिस जब ट्रेस करती है तो समझ नहीं पाती है। आखिर किस अपराधी ने किससे बातचीत की है। कई घटनाओं में पुलिस के खुलासे में देरी से होने का एक सबसे बड़ा कारण भी एप कॉलिंग ही है।
कइयों पर लटक जाती है तलवार
केस 1 बीते कुछ दिन पहले एक वसूली का ऑडियो वायरल हुआ था। जिसको धूमनगंज की तरफ का एक सिपाही का बताया जा रहा था। ऑडियो कब का था और किसका है। यह क्लियर नहीं हो पाया। लेकिन वायरल होने पर कई सिपाहियों पर तलवार जरूर लटक गई। हालांकि ऑडियो को कई साल पुराना बताया जा रहा है।
केस 2 खुद को एमएलसी बताकर पुलिस को हड़काने का एक ऑडियो पांच फरवरी को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था। आखिर भजपा का एक एमएलसी कैसे पुलिस दरोगा को एक किसान की बाइक रोक लेने पर देख लेने की धमकी दे रहा है। जिसके बाद एमएलसी को सामने आकर स्टेटमेंट देना पड़ा कि ऑडियो उसका नहीं है। किसी ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
केस 03 हंडिया के एक थाना प्रभारी का फोन पर गालीगलौज का ऑडियो 11 दिसंबर 2021 को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिस ऑडियो में पुलिस व आम आदमी के बीच तीखी नोकझोंक हो रही थी। बताया जाता है कि जब काम नहीं बना तो ऑडियो को वायरल कर दिया गया। घटना की जानकारी अधिकारियों को हुई तो जांच तक शुरु हो गई। पुलिसकर्मी सफाई देता रहा कि ऑडियो को गलत तरीके से पेश किया गया है।
वाटसऐप कालिंग पर होती थी बातचीत
केस 4 31 अक्टूबर 2019 में एक मामला पुलिस के सामने ऐसा ही सामने आया था। एप के जरिए कॉलिंग पर बात करने पर पुलिस सुराग नहीं ढूंढ पा रही थी। फाफामऊ एरिया में रहने वाली एक महिला ने ऑफिस से घर लौट रहे अपने पति पर हमला करा मौत के घाट उतरवा दी थी। पति इनकम टैक्स कर्मचारी था। पत्नी किसी दूसरे से प्यार करने लगी। दोनों के बीच एप कॉलिंग पर ज्यादा व नॉर्मल कॉल कम बात होती थी। पुलिस नहीं पकड़ पा रही थी कि दोनों के बीच कितना गहरा संबंध है। जब कड़ी से कड़ी जोड़ा गया और जब महिला गिरफ्त में आई तो एप कॉलिंग से ज्यादा देर तक बातचीत की भी बात सामने आई थी।
केस 05 15 फरवरी 2021 को सरायइनायत थाना पुलिस ने एक ऐसे सनसनीखेज हत्याकांड का खुलाया किया था। जिसे सुनकर हर किसे के रोंगटे खड़े हो गए थे। इस हत्याकांड में मास्टरमांइड और कोई नहीं बल्कि मृतक की पत्नी ही निकली थी। जिसने आशिकों के साथ मिलकर पति की हत्या की वारदात को अंजाम दिया था। पत्नी ने पति की गुमशुदगी दर्ज करा गायब हो जाने का नाटक कर खेल करती रही। पुलिस पकड़ इसलिए नहीं पाई क्योंकि सभी शातिर एप कॉलिंग का ज्यादा इस्तेमाल करते थे और नार्मल कॉल पर कम बातचीत करते थे।
अधिकारियों को भी पसंद है प्राइवेसी
इसी तरह प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों को भी इंटरनेट कॉलिंग पसंद आ रही है। उनके सीयूजी और पर्सनल नंबर नही उठते हैं। बशर्ते इंटरनेट कॉल तत्काल पिक हो जाती हैं। इन पर वह खुलकर बात भी करते हैं। इसी तरह तमाम राजनीतिक पार्टियों से जुड़े पदाधिकारी और जन प्रतिनिधि भी नार्मल कॉल पर बात करना पसंद नही करते हैं। ऐसे कई एग्जाम्पल भी हैं। धीरे-धीरे आम जनता को भी अधिकारियों और नेताओं के यह फंडे समझ में आने लगे हैं ।