प्रयागराज (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पब्लिक टायलेट का सच जानने के लिए सबसे पहले विकास भवन का रुख किया। यहां ग्राउंड फ्लोर और सेकंड फ्लोर पर बने महिला टायलेट पर ताला लटका हुआ था। पूछने पर प्यून ने बताया कि अधिकारी-कर्मचारी लोग खुद यूज करते हैं इसलिए ताला लगवा दिया है। फस्र्ट फ्लोर पर स्थानीय निकाय निर्वाचन अधिकारी के टायलेट पर ताला लटका था। यहां भी बताया गया कि बैंक में आने वाले विजिटर्स इस टायलेट को यूज कर लेते हैं इसलिए बंद किया गया है। विकास भवन में अभी नया टायलेट बनाया गया है, लेकिन कोई बोर्ड या साइनेज नहीं लगा होने से लोगों को पता नही चल पाता है।

पानी की सप्लाई ही नहीं
कलेक्ट्रेट में रोजाना हजारों लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं। लेकिन जब इनको टायलेट जाना होता है तो यह किनारा ढूंढने लगते हैं। पब्लिक यूटिलिटी जाने की हिम्मत नही जुटा पाते। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इसका रियलिटी चेक किया तो सिचुएशन सामने आ गई। कलेक्ट्रेट कैंटीन के सामने स्थित टायलेट में ताला लगा था। पूछने पर बताया कि पानी की सप्लाई बंद हो गई है। इस वजह से आसपास जबरदस्त बदबू फैली थी। स्टांप एआईजी कार्यालय के बगल बने टायलेट में यूरिन जमीन पर बह रही थी। इसकी वजह से वहां खड़ा होना मुश्किल था।

सरकारी विभागों में रोजाना हजारों लोग आते हैं। उनकी सुविधाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि यहां के टायलेट बहुत गंदे होते हैं जिससे लोग खुले में निपट लेते हैं।
राहुल शर्मा

गंदगी से बीमारियां फैलती हैं। इसलिए सार्वजनिक टायलेट की सफाई हर हाल में कराई जानी चाहिए। टायलेट में ताला नही लगना चाहिए। यह गलत है और इससे सोसायटी में गलत मैसेज जाता है।
रोहित कुमार

सरकार सफाई पर इतना पैसा खर्च कर रही है और पब्लिक यूटिलिटी की ऐसी हालत वाकई चिंता जनक है। इस पर आला अधिकारियों को मानीटरिंग करनी चाहिए।
नितिन अग्रहरि

कभी कभी सरकारी विभाग में जाइए तो टायलेट करने में काफी मशकक्त करनी पड़ती है। पुरुष तो खाली जगह देखकर निपट लेते हैं लेकिन महिलाओं को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
बिल्लू