.प्रयागराज (ब्यूरो)।प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाली नीलिमा श्रीवास्तव झलवा इलाके में रहती हैं। बताते हैं कि शनिवार को स्कूल की टीचर्स द्वारा रेस्टोरेंट सरदार पटेल मार्ग स्थित एक बिङ्क्षल्डग के थर्ड फ्लोर के छत पर बने ओपन रेस्टोरेंट में पार्टी रखी गई थी। इस पार्टी में नीलिमा को भी शामिल होता था। तीसरे फ्लोर पर स्थित रेस्टोरेंट में ग्राहकों का लिफ्ट से आजा जाना था। दोपहर के वक्त शिक्षिका मोबाइल चलाते हुए रेस्टोरेंट में जाने के लिए लिफ्ट तक पहुंची। उसका पूरा ध्यान मोबाइल की स्क्रीन पर था। लिफ्ट के गेट पर पहुंची शिक्षिका चैनल को खोली। फिर भी मोबाइल स्क्रीन से उसका ध्यान लिफ्ट की तरफ नहीं गया। बगैर देखे वह लिफ्ट में प्रवेश के लिए कदम बढ़ा दी। लिफ्ट ऊपर ही थी, लिहाजा शिक्षिका कदम बढ़ाते ही लिफ्ट के बेसमेंट में जा गिरी। लिफ्ट के बेसमेंट में शिक्षिका के गिरने की खबर से सिर्फ रेस्टोरेंट में ही नहीं, पूरी बिल्डिंग में हड़कंप मच गया। शिक्षिका के सिर से लेकर हाथ और पांव में काफी चोटें आईं। निकल रहे ब्लड को देखकर रेस्टोरेंट के कर्मचारी तत्काल शिक्षिका को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचे। पूरे रेस्टोरेंट में अफरातफरी मच गई। जानकारी हुई तो सिविल लाइंस पुलिस मौके पर पहुंची।

रेस्टोरेंट प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप
थोड़ी ही देर में पहुंचे घायल शिक्षिका के पिता विनोद कुमार द्वारा रेस्टोरेंट प्रबंधन पर लापरवाही व लिफ्ट की अनदेखी का आरोप लगाया गया। बताया कि बेटी के सिर में कई टांके लगे हैं। हालांकि शिक्षिका या उसके पिता की ओर से देर शाम तक पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी गई थी। उधर, उधर, रेस्टोरेंट की संचालिका ङ्क्षबदु ङ्क्षसह ने कहा कि बिल्डिंग उनकी नहीं हैं। वह यहां किराए पर कमरा लेकर रेस्टोरेेंट का संचालन करती हैं। लिफ्ट के मेंटिनेंस की जिम्मेदारी उनकी नहीं है। फिर भी इंसानियत के नाते घायल शिक्षिका को उसके इलाज का पैसा दिया गया है। दोनों के बीच समझा हो गया है। हालांकि यह शहर की पहली घटना नहीं है। इसके पूर्व भी लिफ्ट से सम्बंधित इस तरह की घटनाएं शहर में हो चुकी हैं।

बाक्स
नहीं थी लिफ्ट तो कैसे खुला चैनल
जानकार कहते हैं कि जिस दरवाजे या चैनल पर लिफ्ट नहीं होती वहां का चैनल या डोर बटन दबाने के बाद भी नहीं खुलता
दरवाजे या चैनल तभी खुलते हैं जब गेट पर लिफ्ट आकर खड़ी हो जाती है, यदि ऐसा है तो रेस्टोरेंट के लिफ्ट का चैनल कैसे खुल गया?
लिफ्ट तो ग्राउंड फ्लोर के चैनल के बजाय ऊपर थी, मतलब यह कि लापरवाही और देखरेख के अभाव में उसमें तकनीकी खराबी थी
वर्ना बगैर लिफ्ट का कार यानी डिब्बा गेट पर लगे बगैर चैनल नहीं खुला होता और शिक्षिका उसके बेसमेंट में नहीं गिरी होती।


केस-1
इसी वर्ष जून महीने में मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विवेकानन्द हॉस्टल में लगी लिफ्ट से दुर्घटना हुई। इस लिफ्ट दुर्घटना में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र बलिराम को काफी चोटें आई थीं। घटना से नाराज छात्रों के द्वारा जमकर हंगामा किया गया था। एमएनएनआईटी के जिम्मेदारों पर लिफ्ट के मेंटिनेंस में जिम्मेदारों द्वारा लापरवाही बरतने के आरोप छात्रों द्वारा लगाए गए थे। हालांकि पहुंचे परिजन छात्र को इलाज के लिए बीएचयू हॉस्पिटल लेकर चले गए थे।

केस-2
एसआरएन हॉस्पिटल में भी लिफ्ट खराब होने की बात सामने पिछले वर्ष के अगस्त महीने में सामने आई थी। बताया गया था कि यहां ट्रामा सेंटर के बगल पुराना आकस्मिक विभाग है। इसे नई बिल्डिंग के नाम से भी जाना जाता है। जानकार बताते हैं कि यहां सीढ़ी के पास लगी लिफ्ट खराब हो गई थी। चलते-चलते बीच में रुक गई थी। उसमें फंसे लोग परेशान हो गए थे। गनीमत यह थी कि दरवाजा खुल गया था और लोग बाहर आ गए थे।


वर्जन-
सीसीटीवी फुटेज में शिक्षिका मोबाइल की स्क्रीन को देखते हुए लिफ्ट का चैनल खोलकर उसमें प्रवेश करते हुई दिखाई दे रही है। यदि वह लिफ्ट के चैनल की ओर देखी होती तो हादसे का शिकार नहीं होती। यदि पीडि़त पक्ष के द्वारा तहरीर दी जाएगी तो विधिक कार्रवाई की जाएगी।
वीरेंद्र ङ्क्षसह यादव, इंस्पेक्टर सिविल लाइंस