प्रयागराज (ब्यूरो)। बगैर पूरी तरह से रेकी किए गैंग किसी भी घर में घटना को अंजाम नहीं देता। रेकी करने वाली गैंग की महिला सदस्य संगीता व उसके साथी नियमों का ध्यान दिया करते थे। वह उसी मकान में टारगेट फिक्स करते थे जो गांव के बाहर हो और दरवाजे से या घर से सटकर सड़क बनी हो। बीच गांव या बस्ती में गैंग के यह शातिर खूंखार गुर्गे कभी वारदात को अंजाम नहीं देते। एडीजी के मुताबिक पूछताछ में गिरफ्तार किए गए गुर्गों ने कहा कि गैंग उसी मकान को टारगेट करता है जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम हो। घटना के लिए दिन निश्चित कर डेरा पर मीट व दारू की पार्टी करते हैं। गैंग का उसूल है कि वह घटना को अंजाम देने के लिए निकलते वक्त मोबाइल पास में नहीं रखता। पहले से फिक्स किए गए घर में गैंग के ये गुर्गे रात एक या दो बजे के बाद धावा बोलता है। गुर्गों का मानना है इस समय लोग गहरी नींद में और निश्चिंत होते हैं। एक साथ घर में सभी खूंखार बदमाश घुसते थे। इनके घुसने पर जो भी नींद से उठ जाता है उसे वह मौत की नींद सुला देते हैं। गरीबों के घर को गैंग इसलिए टारगेट करता है क्योंकि उनके यहां असलहों के होने की संभावना कम होती है। गरीबों का घर सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत ठीक नहीं होता। लिहाजा डकैतों को अपनी सुरक्षा करने में आसानी होती है।
फाफामऊ स्टेशन के पास था डेरा
घटना को अंजाम देने के बाद गैंग के गुर्गे सीधे टैक्सी से अपने डेरा पर पहुंचते थे। चूंकि डेरा रेलवे स्टेशन के पास होता है। लिहाजा रातों-रात ट्रेन पकड़ कर सभी बिहार भाग जाते हैं। घटना ठंडी पड़ जाने के बाद या फाफामऊ की संगीता व भीम गौतम आदि के बुलावे पर यहां आया करता था। संगीता इस गैंग से अपनी बेटी नेहा के पति रोहित खरवार के जरिए टच में थी। फाफामऊ के मोहनगंज फुलवरिया गोहरी व थरवई के खेवराजपुर में घटना को अंजाम देने आए बदमाशों का डेरा फाफामऊ रेलवे स्टेशन के पास था। घटनाओं को अंजाम देने के बाद जरिए ट्रेन सभी रेलवे स्टेशन प्रयागराज पहुंचे थे। यहां सभी रात बिताए और सुबह ट्रेन पकड़कर बिहार चले गए थे।
यह गैंग अपना ठिकाना रेलवे स्टेशन के आसपास ही बनाया करता था। ताकि वारदात के बाद वह ट्रेन पकड़कर आसानी से बिहार या अन्य दूसरे स्थान पर जा सकें। पूछताछ में गिरफ्तार गुर्गों ने बताया कि गैंग के नियम में है कि घटना के वक्त कोई अपने पास मोबाइल नहीं रखेगा।
डॉ। राकेश सिंह आईजी रेंज प्रयागराज