प्रयागराज ब्यूरो ।हैलो, आपका बेटा अरेस्ट है। वह पुलिस कस्टडी में है। उसने रेप किया है। यह सुनते ही अधिवक्ता हरेंद्र प्रकाश द्विवेदी के होश उड़ गए। वह व्हाट्स एप कॉल पर मिली जानकारी से आवाक रह गए। वह बेटे से बात करने के लिए साइबर ठगों के फोन को डिस्कनेक्ट करते रहे, मगर साइबर क्रिमिनलों ने पचास मिनट में छह बार कॉल किया। अधिवक्ता से बेटे को छोडऩे के लिए एक लाख की डिमांड होती रही। आखिरकार बेटे को बचाने के लिए अधिवक्ता ने बताए गए एकाउंट में बीस हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए.् इसके बाद अधिवक्ता को ठगी का एहसास हुआ,मगर तब तक देर हो चुकी थी।
ये है मामला
हरेंद्र प्रकाश द्विवेदी शिवकुटी थाना एरिया के रसूलाबाद में रहते हैं। उनका बेटा आदित्य बीबीएस इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता है। 22 अप्रैल को हरेंद्र अपने जूनियर को एक केस की डिटेल नोट करा रहे थे। तभी उनके मोबाइल पर घंटी बजी। मोबाइल पर व्हाट्स एप कॉल थी। हरेंद्र ने कॉल रिसीव कर लिया है।
नहीं कर पाए बेटे से बात
अधिवक्ता हरेंद्र ने जब पूरी बात सुनी तो उनके दिमाग में बेटे से बात करने की बात आई। मगर जैसे ही वह मोबाइल डिस्कनेक्ट करके बेटे का नंबर मिलाने लगे तभी उधर से कॉल आ गया। इस पर कॉलर ने कहा कि आपका बेटा रो रहा है। रोने की आवाज सुनकर अधिवक्ता को यकीन हो गया कि बेटा पुलिस हिरासत में है। अधिवक्ता ने कॉलर से बेटे से बात कराने के लिए कहा। इस पर दूसरी साइड से रोने की आवाज तेज हो गई। दूसरी साइड से आवाज आई पापा मुझे बचा लो, मेरे दोस्तों ने मुझे झूठा फंसा दिया है, मैंने कुछ नहीं किया है, पुलिस मुझे जेल भेज देगी। यह सुनकर हरेंद्र के हाथ पांव ठंडे पड़ गए।

फोन पे पर भेजा बीस हजार
कॉलर ने बताया कि देर होने पर पुलिस अफसर उसके बेटे को जेल भेज देंगे। जिस पर अधिवक्ता ने डिमांड पूरी करने की हामी भर दी। इसके बाद कॉलर ने एक मोबाइल नंबर बताया। जिस पर अधिवक्ता हरेंद्र द्विवेदी ने बीस हजार रुपये फोन पे के जरिए ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद अधिवक्ता से 75 हजार रुपये की डिमांड की जाने लगी, मगर तब तक अधिवक्ता को ठगी का एहसास हो चुका था। अधिवक्ता ने कॉलर का नंबर डिस्कनेक्ट करके अपने बेटे से मोबाइल पर बात की। पता चला कि वह सकुशल है।

तीन महीना लग गया केस दर्ज कराने में
अधिवक्ता हरेंद्र द्विवेदी ने फौरन साइबर क्राइम हेल्प लाइन नंबर 1930 पर सूचना दी। पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। इसके बाद साइबर सेल में एप्लीकेशन दिया, मगर पुलिस ने केस नहीं दर्ज किया। केस दर्ज कराने के लिए अधिवक्ता को शिवकुटी थाने से लेकर पुलिस कमिश्नर के कई चक्कर काटने पड़े। इसके बाद जाकर शिवकुटी थाने में केस दर्ज हुआ।