प्रयागराज (ब्‍यूरो)। जिले के अंदर दिन पर दिन डेंगू मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यही कारण है कि स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल, बेली, डफरिन और काल्विन अस्तपाल समेत शहर व जिले के आसपास अन्य प्राइवेट अस्पतालों में सैकड़ों ऐसे स्वास्थ्यकर्मी है। जो खुद बीमार है, लेकिन भर्ती डेंगू मरीजों का इलाज कर रहे है। इसमें फार्मसिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड ब्वाय, स्वीपर लेकर डाक्टर्स तक शामिल है। ये लोग दवा खाकर अपना-अपना फर्ज निभा रहे है। जैसे इन लोगों ने कोरोना महामारी के समय पर निभाया था। उसी तरह डेंगू प्रकोप के समय योद्धा बनकर काम कर रहे है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि खुद बुखार से पीडि़त है। फिर भी खुशी मन से डेंगू वार्ड व अन्य वार्डों में अपनी डयूटी कर रहे है। इसके साथ ही वह डेंगू पेशेंट को हौसला भी दे रहे है।

पिछले चार दिनों से बीमार हूं बावजूद डेंगू वार्ड में अपनी सेवा दे रहा हूं, यही मेरा फर्ज है। जिसको कोरोना काल के बाद अब निभा रहा हूं।
कुलदीप, बेली अस्पताल नर्सिंग स्टाफ

हाथों में वेनफ्लाम लगा है। उन्हीं हाथों से मरीजों को इंजेक्शन लगा रहा हूं, ज्यादातर स्टाफ छुट्टी पर चले गए है। ऐसे कंडीशन सभी लोगों का जाना ठीक नहीं है। अगर सब चले जाएंगे तो इलाज कौन करेगा।
मिथुन, एसआरएन स्टाफ

काफी लोग बुखार से डर जा रहे है। उनका इलाज करने के साथ उनका हौसला भी बढ़ा रहा हूं, जबकि खुद बुखार से पीडि़त हूं, दवा खाकर डयूटी कर रहा हूं।
जय प्रकाश सिंह, एसआरएन स्टाफ

बॉडी में कमजोरी महसूस हो रही है। फिर भी मरीजों को लगातार अपने चैंबर में बैठकर देख रहे है। वार्ड में जाकर भी मरीजों का हाल लिया जा रहा है। अगर जब जिम्मेदार डाक्टर ही इतनी जल्दी पीछे हट जाएंगे तो बाकि सैंकड़ों और हजारों मरीजों का क्या होगा।
डा। राजीव कुमार सिंह, सीनियर डाक्टर

डाक्टर हर हाल में अपना फर्ज निभाने की कोशिश करता है। हम टारगेट लेकर चलते है कि एक दिन में ज्यादा से ज्यादा मरीजों को देखने के साथ उनको ठीक करना है। हम लोग खुद दवा खाकर मरीजों को देख रहे है। अगर कोई डाक्टर मरीज से दो मिनट अच्छे से बात कर हौसला दे तो मरीज आधा ठीक हो जाता है।
डा। अरूण गुप्ता, होम्योपैथिक

एक हजार से भी अधिक डेंगू मरीज
प्रयागराज एक हजार के ऊपर डेंगू मरीजों का आंकड़ा जा चुका है। सूत्रों की माने तो यह आंकड़ा जमीनी हकीकत में कई गुना ज्यादा है। जिसको नॉर्मल बुखार का रूप देकर डेंगू में काउंट नहीं किया जा रहा है। यह ही नहीं पैथालॉजी में रोजाना कितने सैंपल लिया जा रहा है। इसको भी ठीक से कोई बताने वाला नहीं है। लोगों के रिपोर्ट तक कई-कई घंटों बाद आ रही है। जब लोगों की कंडीशन बिगड़ जा रही है तो लोग प्लेटलेट्स के लिए दौड़ रहे है। यहां काम करने वाले स्टाफों का भी वर्क लोड बढ़ गया है। मरीजों की मजबूरी और काम लोड देखकर लोग 14 और 16 घंटे तक डयूटी कर रहे है। इसमें गार्ड तक शामिल है।

छुट्टी न मिलने पर हुई थी मौत
जिला महिला अस्पताल डफरिन में भी आलम कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यहां काम करने वाले एक फार्मसिस्ट विपिन मिश्रा का आरोप था कि उनकी पत्नी को डेंगू हुआ था। वह इलाज के लिए छुट्टी मांग रहे थे। लेकिन नहीं मिली। जिसके चलते उनकी पत्नी की मौत हो गई। स्टाफ की कमी और मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुये एसआईसी के डाक्टर ने छुट्टी देने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद धरना-प्रदर्शन तक किया गया।