प्रयागराज ब्यूरो । शहर के डिवाइडर पर लगाए जाने वाले पौधों को आप नुकसान नहीं पहुंचाएं। क्योंकि यह पौधे सिर्फ शहर की खूबसूरती ही और आबोहवा ही नहीं, लोगों की सेहत को भी सुधारेंगे। दरअसल अब पीडीए के उद्यान विभाग द्वारा डिवाइडरों पर आयुर्वेद जड़ी बूटियों से सम्बंधित पौधों की ही रोपाई करेगा। ताकि जरूरत पडऩे पर लोग उसका उपयोग करके अपनी सेहत का ख्याल रख सकें। पौधों के पत्ते, छाल आदि सेहत के लिए कैसे और किस बीमारी में उपयोगी होगी? यह सब बताया जाएगा। बसर्ते यह जानकारी उस वक्त दी जाएगी जब पौधे अच्छी तरह से तैयार हो जाएंगे। नवाब यूसुफ रोड के डिवाइडर पर विभाग द्वारा किया गया ट्रायल सक्सेस हो चुका है। इस डिवाइडर पर मिली सफलता के बाद अब अधिकारियों के द्वारा आयुर्वेद गुण वाले पौधों की रोपाई सभी डिवाइडरों पर करने का प्लान तैयार किया गया है। यह प्लान इस लिए भी बनाया गया है क्योंकि शहर के किसी भी डिवाइडर या चौराहे पर नीम, आम, पीपल, गूलर जैसे वृक्षों की रोपाई का हो पाना संभव नहीं है। ऐसा क्यों हैं? यह जानने के लिए आप पूरी खबर को इत्मिनान से पढि़ए।
क्या है डिवाइडर पर पौधों का प्लान
अद्र्धकुंभ 2019 में शहर की सड़कों का कायाकल्प किया गया था। आने वाली संभावित भीड़ को देखते हुए प्रशासन के जरिए सड़कों का चौड़ीकरण किया गया। रोड चौड़ीकरण के बाद बीच में डिवाडर का निर्माण कर दिया गया। डिवाइडर के बीच पौधों की रोपाई के लिए जगह छोड़ी गई। बस इसी जगह को छोडऩे के लिए बनाए गए प्लान में बड़ी चूक की गई। यहीं से इस डिवाइडर पर बड़े पौधों की रोपाई का रास्ता ब्रेक हो गया। ऐसे में डिवाइडर के बीच जंगली पौधे रोपित करने की योजना बनाई गई। इस स्कीम पर काम शुरू हुआ। आज शहर के करीब सभी डिवाइडर पर पौधे रोपित कर दिए गए हैं। मगर इसका वह शहर को नहीं मिल पा रहा, जिसकी उम्मीद थी। शहर के डिवाइडर इन पौधों से अच्छे तो दिखने लगे मगर उसकी उपयोगिता का अभाव है। क्योंकि इन पौधों से न तो लोगों को छांव मिल पा रही है और न ही पर्याप्त आक्सीजन। जबकि शहर के हजारों पेड़ इस विकास की आंधी में कट जाने से शहर को आक्सीजन और छांव देने वाले पौधों की जरूरत है। यह देखते हुए अब प्रयागराज विकास प्राधिकरण का उद्यान विभाग डिवाइडर पर पौधों की रोपाई को लेकर नई स्कीम तैयार किया है। इसके तहत डिवाइडर के बीच तुलसी, अश्वगंधा, गोटू कोला, कदैल, गुड़लहल, गिलोय, माका जैसे अन्य प्रजातियों के पौधों की रोपाई करने के प्लान में है। इसके पीछे मकसद यह है कि जरूरत पडऩे पर लोग इन पौधों के फूल, पत्ते और छाल व तने का प्रयोग करके अपनी सेहत में सुधार कर सकें। पौधे तैयार होने के बाद लोगों को उसके प्रयोग की जानकारी भी दी जाएगी। बसर्ते जब तक पौधे पूरी तरह तैयार नहीं हो जाते, उनके आयुर्वेदिक लाभ की जानकारी नहीं दी जाएगी। इसके पीछे पौधों की सुरक्षा कारण बताया जा रहा है।
कभी नहीं लग सकेंगे बड़े वृक्ष के पौधे?
डिवाइडर बनाने में की गई टेक्निकल उपेक्षा को देखते हुए आप कह सकते हैं कि इन पर कभी भी बड़े वृक्ष वाले पौधों की रोपाई नहीं हो सकेगी।
क्योंकि डिवाइडर के बीच में पौधों की रोपाई के लिए छोड़ी गई जगह के नीचे सीमेंट और कंकरीट डाल कर जाम कर दिया गया है।
उसके नीचे भी पुरानी कई लेयर की तारकोल और गिट्टियों से बनाई गई सड़क है। ऐसे में पौधों की जड़ नीचे जमीन नहीं पाएगी।
जड़ें जब जमीन को ही नहीं पाएंगी तो वह बड़े वृक्षों पीपल, गूलर, पाकड़, नीम या आम, अशोक, खजूर, बड़हल जैसे वृक्ष सर्वाइव नहीं कर सकेंगे।
ऐसे में वह पौधे सूख जाएंगे, विभागीय जानकारों की मानें तो यही वह कारण है कि डिवाइडर के बीच बड़े वृक्ष वाले पौधों की रोपाई नहीं हो सकी।
सिर्फ फूल पत्ती और घास वाले पौधे ही रोपित किए जा सकेंगे। डिवाइडर बनाने से पूर्व ध्यान देकर बीच में रोड को नाली नुमा खोदकर जमीन तक पहुंचना था।
ताकि ऐसे पौधे रोपित किए जा सकें जिससे शहर में काटे गए विशालकाय हजारों वृक्षों से मिलने वाली एक्सीजन वह छाया की भरपाई की जा सके।