अस्पतालों में पहुंच रहे सैकड़ों मरीज, संदिग्धों की कराई जा रही जांच
अन्य मौसमी बीमारियां भी चरम पर, डेंगू और मलेरिया पर भी संदेह
इस सीजन में वायरल फीवर सिर चढ़कर बोल रहा है। रोजाना बड़ी संख्या में मरीज बुखार की दवा लेने अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि यह सीजनल बुखार है और इससे कोई नुकसान नही है। बशर्ते समय रहते दवा ले ली जाए। लेकिन बुखार को नजर अंदाज करना घातक हो सकता है। इसलिए फीवर आने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क कर लें।
हर घर में दस्तक दे रहा फीवर
वर्तमान में बुखार हर घर में दस्तक दे रहा है। परिवार का केाई न कोई सदस्य सर्दी, जुकाम, खांसी या बुखार से पीडि़त है। सबसे अहम कि एक बार फीवर की चपेट में आने के बाद ठीक होने में चार से पांच दिन का समय लग रहा है। आंकड़ों पर जाएं काल्विन, बेली और एसआरएन हॉस्पिटल में प्रतिदिन एक हजार मरीज वायरल फीवर के पहुंच रहे हैं। प्राइवेट क्लीनिक और नर्सिग होम्स में भी ऐसे मरीजों की लंबी लाइन लगी हुई है।
हल्के में न लें बुखार
यह भी बता दें कि इस सीजन में बुखार को हल्के में नही लेना चाहिए। क्योंकि वायरल फीवर के अलावा डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और पीलिया के मरीज भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में ओपीडी में आने वाले सांदिग्ध मरीजों की जांच कराई जा रही है। डॉक्टर्स की माने तो किसी भी सीजनल बीमारी के तमाम लक्षणों मं बुखार एक अहम लक्षण है इसकी जांच जरूर करानी चाहिए।
बुखार आए तो क्या करें
अगर फीवर तेज है तो सिंपल पैरासिटामाल का सेवन करें।
फीवर उतरने के बाद डॉक्टर को दिखाएं और सलाह पर जांच भी कराएं।
खुद से एंटी बायटिक या पेन किलर का यूज कतई न करें।
खाने में हरी सब्जियां और ताजे भोजन का उपयोग करें।
पीने का पानी उबालकर पिएं। उसमें क्लोरीन की गोली मिला लें।
वायरल फीवर होने पर शरीर को आराम दें। इससे जल्दी आराम मिलता है।
खांसी, जुकाम या छीक आने पर घर के दूसरे लोगों को अपने से दूर रखें।
ये हैं फीवर के कारण
बासी और प्रदूषित भोजन का उपयोग करना।
संक्रमित व्यक्ति के पास रहना या संपर्क में रहना।
गर्मी से आने के बाद एकदम ठंडा पानी पी लेना।
धूप से अचानक एसी में चले जाना।
ठंडे पानी से सिर धुल लेना।
बिना उबाले पानी का सेवन करना।
ये हैं लक्षण
फीवर
ठंड लगना
जुकाम, सर्दी, खांसी या छीक
कमजोरी और शरीर में दर्द
पेट में दर्द या पेट पानी हो जाना
कॉमन फीवर से डरना नही चाहिए। केवल पैरासिटामाल दे दीजिए। सर्दी-जुकाम हो तो एलर्जी की गोली ले लें। एंटी बायटिक तभी लें जब डॉक्टर की सलाह हो। इससे सेकंडेरी इंफेक्शन का चांस कम हो जाता है। शरीर को आराम देना चाहिए। अगर दूसरे लक्षण हैं तो अन्य बीमारियों की जांच जरूर करा लें।
डॉ। कमलेश सोनकर
फिजीशियन, एसआरएन अस्पताल