प्रयागराज (ब्‍यूरो)। गैस सिलेंडरों सहित अन्य सामानों के बैकअप ने शहर में व्यापार को बचा लिया। बैकअप नहीं होता तो मंगलवार को जो स्थिति थी उससे रेस्टोरेंट व होटलों के व्यापार प्रभावित हो जाते। इन प्रतिष्ठानों के संचालकों को तगड़ा झटका लगना तय था। बिजनेस मैथमेटिक्स में माहिर शहर के होटल व रेस्टोरेंट संचालक हमेशा अलर्ट रहते हैं। शायद यही वजह है कि लगातार दो दिनों तक गैस सिलेंडर की आपूर्ति नहीं होने के बावजूद उनके बिजनेस पर बहुत असर नहीं पड़ा। बैकअप काम तो आया पर व्यापारियों को एक बड़ी टेंशन भी थी। डर इस बात का था कि यदि चालक वापस नहीं लौटे और सप्लाई कई दिनों तक बाधित रही तब क्या होगा? हालांकि देर रात केंद्र सरकार जैसे ही बैक फुट पर आई और चालक काम पर लौटे, सभी की टेंशन खत्म हो गई।

तीन दिन चली थी स्ट्राइक
हिट एण्ड रन कानून के विरोध में चालक वाहनों को खड़ा कर दिए थे। वाहन चालकों के हड़ताल से हाहाकार मच गया था। हर चीज की सप्लाई प्रभावित हो गई। 24 घंटे में ही सब्जियों व पेट्रोल और डीजल, गैस सिलेंडर जैसी सामग्रियों की सप्लाई का चेन टूट गयी। सप्लाई चेन के टूटने से हर एक चीज की शार्टेज हो गई। सबसे ज्यादा असर सब्जियों व दूध, एवं गैस सिलेंडर व डीजल पेट्रोल पर पड़ा। रातोंरात मटर, लहसुन, प्यार, सिमला मिर्च जैसी सब्जियों के रेट हाई हो गई। डीजल व पेट्रोल का टंकियों पर शार्टेज हो गया। ऐसी स्थिति में लोग गाडिय़ों का टैंक फुल कराने के लिए देर रात तक फ्यूल पम्पों पर कतार लगाकर खड़े हो गए। कई जगह तो गाडिय़ों में ईंधन भरवाने के लिए तीखी झड़पें भी हुई हैं।

तो दूध भी रुलाता और ब्रेड भी
चालकों के इस हड़ताल का असर गैस सिलेंडर व दूध जैसे आईटम की सप्लाई भी प्रभावित हो गई थी। ब्रेड और इससे बने आइटम्स की सप्लाई चेन ब्रेक कर गयी थी। गैस सिलेंडर व दूध जैसे आइटम की सप्लाई बाधित होने से रेस्टोरेंट संचालक परेशान हो गए। ऐसी स्थिति में रेस्टोरेंट व होटलों के संचालक को अपने बैकअप में रखे हुए गैस सिलेंडर व अन्य सामग्रियों से काम चलाना पड़ा। होटल व रेस्टोरेंट के संचालकों के मुताबिक फुटफाल कम थी इसलिए मंगलवार को कहीं गैस सिलेंडर की सप्लाई नहीं आने के बावजूद काम चल गया। बताते हें कि यदि सरकार बैक फुट पर नहीं आती और चालक हड़ताल पर ही रहते तो व्यापार बुधवार को निश्चित रूप से प्रभावित होता। चूंकि मंगलवार को देर रात चालक काम पर लौट आए थे, लिहाजा दूसरे दिन बुधवार को कहीं किसी भी तरह की किल्लत नहीं हुई।

व्यापारियों का तगड़ा है बैकअप मैनेजमेंट
शहर के बड़े होटलों व रेस्टोरेंट के संचालक कहते हैं कि इस बिजनेस का एक फंडा होता है। हम विषम परिस्थितियों के लिए हर आइटम का बैकअप बना कर चलते हैं।
गैस सिलेंडर हो या दूध अथवा अन्य सामग्री, एक दो दिन का एक्स्ट्रा रखते ही हैं।
कब गाड़ी समय पर नहीं आ पाए कुछ कहा नहीं जा सकता।
बैकअप में रखे गए गैस सिलेंडर जैसे अन्य सामान विषम हालातों में काम आ जात हैं।
व्यापारियों का कहना है कि बैकअप बिजनेस का एक पुराना और मूल मंत्र है। इसका पालन बिजनेस व्यापार करने वाले हर शख्स को करना चाहिए।

ग्राहकों की सुविधा का हम व्यापारियों को ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए परिस्थिति कोई भी हम उसके लिए तैयार रहते हैं। यही वजह है कि गैस सिलेंडर से लेकर अन्य चीजों का प्रतिष्ठानों में बैकअप रखकर चला जाता है। चिंता इस बात की थी कि यदि हड़ताल दस पंद्रह दिन खिंच गई तब कैसे क्या किया जाएगा।
इंदर मध्यान कामधेनू स्वीट्स

देखिए ग्राहकों को हम व्यापारियों पर भरोसा होता है कि विषम परिस्थितियों में भी हम उन्हें सुविधा देंगे। यह विश्वास बनाए रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है। इसीलिए हम ग्राहकों की सुविधा व सहूलियतें ठप नहीं पड़े इस लिए हमें बैकअप बनाकर चलना ही पड़ता है। बैकअप से काम तो चल रहा था पर टेंशन ये थी कि हड़ताल खिचेगी तो कैसे करेंगे।
रोहित केसरवानी हीरा हलवाई एण्ड सन्स