प्रयागराज (ब्यूरो)। कमरे में मिला संजय का सुसाइड नोट
बांदा जिले के बबरेरू स्थित पलानी गांव निवासी संजय पटेल पुत्र अरविंद कुमार पिछले कई वर्षों से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हॉलैंड हॉल हास्टल में रहता था। हॉस्टल के रूम नंबर 77 में रहकर वह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास में शोध कर रहा था। प्रतियोगी परीक्षाओं तैयारी के लिए कुछ माह से वह दिल्ली चला गया था। होली से पहले प्रवक्ता की मुख्य परीक्षा थी। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए वह आया और हास्टल के कमरा नंबर 77 में ही रुक गया। बताते हैं कि सोमवार शाम तक सब कुछ ठीक था। दोस्तों के साथ बातचीत करता रहा। रात में गमछे से कमरे में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। देर रात जब एक साथी कमरे में पहुंचा तो उसकी लटक रही बॉडी को देखकर चीख पड़ा। बात मालूम चली तो फोरेङ्क्षसक टीम के साथ कर्नलगंज पुलिस मौके पर पहुंचे। छानबीन कमरे में छानबीन शुरू की गई।
खुद को बताया है मौत का जिम्मेदार
कमरे के अंदर से उसके द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट पुलिस के हाथ लगा। पुलिस के मुताबिक जिसमें उसने तीन दोस्तों का नाम लिखा है। उसने दोस्तों से लेटर में अग्रह किया है कि वे उसके परिवार का ध्यान रखें। लेटर में एक लड़की का भी नाम है जिसकी शादी के बाद उसके द्वारा सुसाइड का कदम उठाने की बात कही गई है। लेटर के अंत में नेहा वेड्स संजय लिखा हुआ है। इतना ही नहीं संजय अपनी मौत का जिम्मेदार खुद को बताया है। पूछताछ में दोस्तों ने बताया कि प्रेमिका की शादी के बाद वह काफी परेशान रहा करता था।
जार्जटाउन और करछना में भी सुसाइड
जार्जटाउन के पुराना सोहबतियाबाग निवासी गोपालजी (55) ने सोमवार रात ट्रेन के सामने कूद कर जान दे दिया। मंगलवार सुबह जानकारी होने पर थाना पुलिस ने बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। पूछताछ में घर वालों ने पुलिस को बताया कि वह अविवाहित और दो भाइयों एवं एक बहन में बड़ा था। रात दो बजे वह घर से निकला था। भाई अनिल ने कहा कि वह एसआरएन हॉस्पिटल में नौकरी किया करता था। कई महीने से सस्पेंड चल रहा था। इसी बात को लेकर वह डिप्रेशन का शिकार था। वहीं करछना में ट्रैक्टर मैकेनिक बजरंगली लाल (50) ने घर के अंदर फांसी लगाकर सोमवार रात सुसाइड कर लिया। सुसाइड की वजह पारिवारिक कलह बताई गई। उसके चार बच्चों में तीन बेटी व एक बेटा है। उसकी मौत से पत्नी छोहारा देवी सहित पूरे परिवार में मातम पसर गया।
सुसाइड की बढ़ती घटना को देखते हुए परिवार के लोगों और दोस्तों को आगे आना होगा। डिप्रेशन के शिकार या निगेटिव बात करने वाले लोगों को अकेले नहीं छोड़ें। परिवार को चाहिए कि अपने बच्चों के कुछ खास दोस्तों के भी संपर्क में रहें और बातें पूछते रहें। क्योंकि बच्चे कुछ बातें होती हैं जो परिवार से शेयर नहीं करते पर दोस्तों को जरूर बताते हैं। ऐसा करके अपनों को वह सुसाइड से बचा सकते हैं। बात न बने तो मनोचिकित्सक को दिखाएं।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक