प्रयागराज (ब्यूरो)। पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण में 5 लाख लोगों ने ऑनलाइन भाग लिया था।
हालांकि इसके पीछे भी नगर निगम के तर्क हैं।
पिछले साल कोरोना के चलते तीन माह का समय मिला था, इसलिए आंकड़े बढ़ गए थे।
इस बार एक माह का समय फीड बैक के लिए दिया गया था।
30 अप्रैल को पोर्टल बंद होने तक 80 हजार लोगों ने अपना फीड बैक दर्ज करा दिया था।

ईमानदारी से नहीं किया प्रतिभाग
इस बार भारत सरकार की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रतिभाग करने के लिए तमाम आप्शन दिए गए थे। लिंक को एक्सेस करने के साथ क्यू आर कोड के जरिए भी इस सर्वेक्षण में भाग लिया जा सकता था। इसमें लोगों को आसान से सवालों के जवाब देने थे जो शहर की स्वच्छता से जुड़े थे। इसके आधार पर दिए गए फीड बैक के जरिए शहरों की रैंक चुनी जानी है। हालांकि सर्वेक्षण की टीम ने शहर के 80 वार्डों में भी फील्ड सर्वे पूरा कर लिया है। यह टीम वापस दिल्ली भी लौट गई है। ऑफलाइन और ऑनलाइन सर्वे मिलाकर ही शहरों की स्वच्छता रैंक तय की जाएगी।

अलग से भी तय होती है रैंक
ऐसा नही है कि ऑनलाइन सिटीजन फीडबैक से ओवर आल रैंक तय होती है, इसका अलग से भी एक कैटेगरी रखी गई है। स्वच्छता सर्वेक्षण में बेस्ट सिटी इन कंट्री इन सिटीजन फीडबैक का अवार्ड भी इसके आधार पर दिया जाता है। बता दें कि इस साल स्वच्छता सर्वेक्षण 6000 की जगह 7500 अंकों का हुआ है। यानी 1500 अंक बढ़ाए गए हैं। जिससे प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई है।

26वीं रैंक पर है प्रयागराज
2020 में प्रयागराज की स्वच्छता सर्वेक्षण की आल इंडिया रैंक 20 थी जो 2021 में घटकर 26 हो गई। इस साल के परफार्मेंस से लग रहा है कि यह रैक और नीचे जा सकती है। इसमें सुधार होने के लिए सिटीजन फीड बैक की अधिक भूमिका हो सकती थी। हालांकि निगम के अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नही हैं। सोर्सेज का कहना है कि इस साल 80 हजार ने फीड बैक दिया है, जबकि पिछले साल 5 लाख लोगोंन ऑनलाइन सर्वेक्षण में प्रतिभाग किया था।

स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रयागराज का बेहतर परफार्मेंस रहा है। पोर्टल बंद हो चुका है इसलिए सही जानकारी नही दी जा सकती है। ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों में पब्लिक ने बढ़ चढ़कर अपना फीड बैक दिया है।
उत्तम कुमार वर्मा
पर्यावरण अभियंता नगर निगम