प्रयागराज (ब्यूरो)। पुलिस लाइंस गुसी सहित अन्य डॉग के लिए अगल से बैरक निर्धारित हैं। इसी बैरक में गुसी भी रहा करती थी। करीब एक महीने से गुसी पैरालाइस थी। विभाग द्वारा उसका सदर पशु चिकित्सालय में इलाज शुरू किया गया। यहां 25 जून से आठ जुलाई तक उसका उपचार चला। हालत में सुधार नहीं होने पर पशु चिकित्सकों ने आईवीआरआई बरेली सेंटर के लिए रेफर किया गया था। वहां जाने पर गुसी की हालत देखकर डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। विभाग 13 जुलाई को प्राइवेट डॉग केयर सेंटर ले गया। यहां उपचार के दौरान गुसी ने दम तोड़ दिया।
15 अगस्त 2019 को किया था ज्वाइन
गुसी के मौत की खबर सुन पुलिस महकमा सन्नाटे में आ गया। राजकीय पशु चिकित्सालय में गुसी की बॉडी का पोस्टमार्टम कराया गया। अधिकारियों ने बताया कि गुसी 15 अगस्त 2019 में विभाग का हिस्सा बनी थी। तीन साल तक वह अनवरत सुरक्षा के हर प्वाइंट पर एक जवान की तरफ मुस्तैदी से काम की। डॉग स्क्वायड प्रभारी संतोष कुमार के मुताबिक गुसी को हैदराबाद के लॉजिस्टिक विभाग से खरीदा गया था। उस वक्त वह छोटी थी। हरियाणा के पंचकूला में ट्रेनिंग के बाद पूरी होने के बाद उसे प्रयागराज भेजा गया था।
नाउम्मीदी में कई दफा दिखाई थी रास्ता
संतोष के मुताबिक गुसी की ट्रेकिंग क्षमता जबरदस्त थी। वह बम या बारूदी हथियारों को सूंघ कर पता लगा लेती थी।
कत्ल जैसी घटना में भी कातिलों के कदमों के निशान उसके दुुर्गंध से खोजने में गुसी को महारत हासिल थी।
लेब्राडोर प्रजाति की गुसी ने कई घटनाओं को खोलने में नाउम्मीद हो चुकी पुलिस को रास्ता दिखा दिया था।
गुसी इन तीन वर्षों में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री व अन्य वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी कर चुकी थी।
माघ मेला और कुंभ जैसे बड़े आयोजनों की सुरक्षा में भी उसका अहम रोल रहा है।
गमजदा रही स्मार्टी, राजा व बॉस
गुसी की मौत के बाद अब पुलिस के पास तीन डॉग शेष बचे। इनमें एक डॉग स्मार्टी है। प्रभारी संतोष के मुताबिक स्मार्टी नारकोटिक्स टीम का हिस्सा है। वह गांजा, स्मैक जैसे नशीले पदार्थों को खोजने में माहिर है। दूसरा राजा और तीसरा डॉग बॉस है। इन दोनों को आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले कातिलों व लुटेरों एवं बम आदि को डिटेक्ट करने में महारत है। गुसी इन सबसे ज्यादा एक्सपर्ट व फुर्तीली थी।