प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर समेत तमाम ऐसे ब्लॉक हैं जहां भूगर्भ जल का स्टेटस काफी नीचे जा चुका है।
समय रहते उचित कदम नही उठाए गए तो भूगर्भ जल से जिला वंचित हो सकता है।
अंडर ग्राउंड वाटर के अति दोहन को रोकने के लिए सरकार ने उप्र भूगर्भ जल अधिनियम 2019 के अंतर्गत एनओसी लेने का प्रावधान किया है।
इसमें बताना होता है कि रोजाना कितना पानी इस्तेमाल किया जा रहा है
एनओसी केवल पांच साल के लिए होती है। वह भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की शर्त पर
अंडर ग्राउंड वाटर लेवल की मौजूदा स्थिति
ओवर एक्सप्लाइटेड एरिया- प्रयागराज सिटी
क्रिटिकल एरिया- बहरिया, चाका और भगवतपुर
सेमी क्रिटिकल एरिया- बहादुरपुर, धनुपुर, होलागढ़, मऊआइमा, प्रतापपुर, सहसों, सैदाबाद, श्रंगवेरपुर धाम
सेफ एरिया- हंडिया, जसरा, करछना, कौंधियारा, कौडि़हार, कोरांव, मांडा, मेजा, फूलपुर, शंकरगढ़ और सोरांव
इन पर रोक लगाना जरूरी
अभी तक जिले में जिन पचास लोगों को एनओसी दी गई है उनमें सर्वाधिक सिलिका सैंड प्लांट हैं। इनको सशर्त एनओसी प्रदान की गई है। जबकि बड़ी संख्या में आरओ प्लांट और वाशिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं। यह सभी बिना एनओसी संचालित किए जा रहे हैं। विभाग को इनके खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है। पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में आरओ प्लांट लगाए गए हैं और यह बड़ी मात्रा में भूगर्भ जल का दोहन कर रहे हैं। इन सभी मुददों को लेकर शुक्रवार को विकास भवन में सीडीओ के नेतृत्व में भूगर्भ जल को लेकर मीटिंग भी होगी। जिसमें नियमों को लेकर कड़ें दिशा निर्देश दिए जाएंगे।
बारिश के बाद इम्प्रूव होगा लेवल
विभाग का कहना है कि शहर के पीपल गांव, बेली अस्पताल, आईईआरटी एरिया, सदर तहसील, प्रधान डाकघर औरपुलिस लाइन के आसपास एरिया में वाटर लेवल काफी नीचे जा चुका है। अगर बेहतर बारिश हुई तो इसका स्टेटस में कुछ सुधार होगा। लोगों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग का पालन कर भूगर्भ जल को समाप्त होने से बचाना होगा।
शासन के अग्रिम नियमों का इंतजार किया जा रहा है। निर्देश मिलने के बाद अधिनियम का सख्ती से पालन कराया जाएगा। भूगर्भ जल सप्ताह के दौरान आम जनता को इस दिशा में जागरुक किया जाना है।
अर्चना सिंह
हाइड्रोलाजिस्ट, भूगर्भ जल विभाग प्रयागराज