प्रयागराज (ब्यूरो)। सरकार के कैपिंग के नियम से सबसे ज्यादा दिक्कत मनोरोग, गैस्ट्रो और कार्डियक मरीजों को हो रही है। इनके इलाज में यूज होने वाली दस दवाओं को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने बेचने और खरीदने पर लिमिटेशन सेट करते हुए कैप किया है। नारकोटिक्स कैटेगरी की इन दवाओं में डॉक्टर सबसे अधिक एप्राजोलम, क्लोनाजिपाम, डायजापाम को अपने पर्चे पर लिखते हैं। लेकिन नए नियमों के तहत यह निश्चित मात्रा से अधिक स्टाक नही की जा सकती हैं।
किस दवा का कितना स्टाक (कैप्सूल या टेबलेट)
दवा का नाम होलसेलर रिटेलर
एल्प्राजोलम 1000 1000
200 प्रतिदिन बिक्री 20 प्रतिदिन बिक्री
क्लोनाजिपाम 1000 2000
200 प्रतिदिन बिक्री 20 प्रतिदिन बिक्री
डायजापाम 1000 200
50 प्रतिदिन बिक्री 10 प्रतिदिन बिक्री
बार-बार जाना होता है मेडिकल स्टोर
इस नियम के चलते जिन मरीजों का इलाज चल रहा है और उन्हें प्रॉपर डोज देनी है। उनको बार-बार मेडिकल स्टोर जाना पड़ रहा है। दूर दराज या ग्रामीण एरिया से आने वाले मरीजों के लिए सबसे ज्यादा दिक्कत है। उन्हें शहर आने में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। डॉक्टर्स का कहना है कि इस नियम का फायदा उन मरीजों के लिए है जो इन दवाओं का मिसयूज करते हैं। वह नशे के आदी होकर बार बार इन दवाओं को सेवन करते हैं। डॉक्टर के पास चेकअप के लिए नही जाने पर इन दवाओं की ओवर डोज शरीर को नुकसान पहुुंचा सकती है। बड़ी संख्या में युवा इन दवाओं के आदी हो रहे हें।
मानीटरिंग हो तो नियम का फायदा
दूसरा पहलू यह है कि सरकार ने नियम तो बना दिया लेकिन इसका प्रॉपर मानीटरिंग नही की जा रही है। मेडिकल स्टोर संचालक मरीजों का डाटा नही रख रहे हैं। जिससे वह एक ही पर्चे पर कई दुकानों से दवाओं का ओवर डोज खरीदने में सफल हैं। ऐसे कुछ मामलों के सामने आने पर विभाग के कान खड़े हो गए हैं।
हमारी ओर से लगातार मानीटरिंग की जा रही है। नैनी में एक मेडिकल स्टोर के खिलाफ सीजर की कार्रवाई इसलिए की गई थी कि उसके पास कोडीन सिरप का अवैध स्टाक मिला था। लगातार दुकानों का इंस्पेक्शन किया जा रहा है।
संतोष पटेल, ड्रग इंस्पेक्टर, प्रयागराज