प्रयागराज (ब्‍युूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर मंगलवार को संगम क्षेत्र में पहुंचा था। यहां लेटे हनुमान मंदिर में मन्नत पूरी होने पर निशान चढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इसमें से 90 फीसदी लोग ट्रैक्टर, माल ढोने वाले अप्पे और मैजिक से थे। कानपुर के हादसे से किसी ने कोई सबक नहीं लिया था। एक ट्राली-ट्रैक्टर पर कम से कम बीस से तीस लोग सवार थे। मैजिक में भी डेढ दर्जन के करीब लोग बैठे थे। रिपोर्टर ने सवाल किया, सरकार ने तो इन वाहनों के सवारी ढोने पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिर कैसे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं? जवाब दिया मेजा रोड एरिया के राज कुमार ने। बताया उनके घर से संगम की दूरी करीब 39 किलोमीटर है। एक साथ तीस लोगों को आना है तो सरकारी साधन घर के पास से नहीं मिलेगा। संगम एरिया में पहुंचने पर तिकोनिया चौराहे पर उतार दिया जायेगा। वहां से तीन से चार किलोमीटर पैदल चलना होगा। आने-जाने में यह दूरी दस किलोमीटर के करीब हो जाएगी। बच्चे और महिलाएं इतना चलेंगी कैसे। दूसरे गांव में हर तीसरे घर में अप्पे, मैजिक या ट्रैक्टर ट्राली मिल जाती है। ड्राइवर भी ढूंढना नहीं पड़ता है। सिर्फ डीजल डलवाकर आना होता है। औसत हजार रुपये में घर से संगम तक पहुंच जाएंगे और लौट जाएंगे। एक साथ बीस लोग हैं तो एक का किराया सिर्फ पचास रुपये आएगा।

पब्लिक के जवाब चौंकाने वाले
सीओडी नैनी के उमेश पटेल भी यहां मिल गये। खुद की ट्रैक्टर ट्रॉली है। रिश्तेदार में किसी को निशान चढ़ाना था। कहने लगे गांव में इस तरह के काम में हर कोई एक-दूसरे की मदद करता है। नैनी सीओडी से संगम घाट तक की दूरी सात किलोमीटर की है। आना-जाना मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 20 किलोमीटर। ट्रैक्टर ट्रॉली लगने पर सात का एवरेज देता है। यानी कुल करीब तीन लीटर डीजल में बीस लोग आए और घर पहुंच गये। एक आदमी पर औसत खर्च 15 रुपये भी नहीं आता। इससे ज्यादा तो आटो वाला सिर्फ एक तरफ का ले लेगा वह भी कम से कम पांच किलोमीटर पैदल चलने के लिए छोड़ देगा।

दर्शन के साथ घूमना भी हो जाता है
सारंगापुर घूरपुर के रहने वाले संजय कुमार ने जो बताया वह बिल्कुल अलग था। बताने लगे कि हर दिन तो ट्रैक्टर, अप्पे या मैजिक इस्तेमाल होता नहीं। कुछ लोग भाड़े पर लेकर दूसरे की आप्पे व मैजिक चलाते हैं। ऐसे में डीजल डालकर अपना भी काम कर लेते हैं। इसी बहाने पूरे रिश्तेदार एक साथ बजरंगबली के दर्शन करने के साथ संगम भी घूम लेते हैं।
90 ट्रॉली ही रजिस्टर्ड हैं आरटीओ कार्यालय में
128 व्यवसायिक ट्रैक्टर हैं रजिस्टर्ड
600 रुपये कृषि यंत्र के रूप में दर्ज होने वाले वाहन का लगता है रजिस्ट्रेशन चार्ज
1500 रुपये में व्यवसायिक ट्रैक्टर ट्राली के लिए निर्धारित है फीस
1500 रुपये व्यवसायिक वाहनों की फिटनेस का है फीस। कृषि यंत्रों को टैक्स से छूट है।

ट्रैक्टर और ट्राली को एक साथ रजिस्टर्ड कराया जा सकता है। ट्रैक्टर के बाद ट्राली का रजिस्ट्रेशन करा सकते है। दोनों का नंबर अलग-अलग जारी होता है। कई बार लोग सिर्फ ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन करा ट्रॉली को ऐसे ही दौड़ाते रहते है। इससे विभाग को आर्थिक नुकसान होता है। अब इस पर भी कार्रवाई तेज की जायेगी।
राजीव चतुर्वेदी एआरटीओ प्रशासन