प्रयागराज (ब्यूरो)। स्वास्थ्य विभाग की एनसीडी सेल को पिछले दस माह में जांच के दौरान चार हजार ब्लड प्रेशर के मरीज मिले हैं। मरीज शहरी और ग्रामीण एरिया के मिलाकर हैं। इस समय बीपी की जांच बीस ब्लॉक सहित 23 अर्बन पीएचसी में कराई जा रही है। इसके अलावा काल्विन अस्पताल में भी इस कार्यक्रम का संचालन हो रहा है। मई माह के अंत तक एसआरएन और बेली अस्पताल में भी इंडिया हाइपरटेंशन कंट्रोल इनीशिएटिव कार्यक्रम के तहत बीपी की जांच शुरू कर दी जाएगी।
कंट्रोल में केवल 28 फीसदी का बीपी
चिंहित मरीजों में केवल 28 फीसदी ही ऐसे हैं जिनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में हैं। जबकि 27 फीसदी ऐसे हैं जिनका ब्लड प्रेशर अन कंट्रोल्ड है। आईसीएमआर के तकनीकी सहायक राजेश कुमार बताते हैं कि यह लोग प्रॉपरली दवाएं नही ले रहे हैं। कभी आते हैं और कभी गायब हो जाते हैं। 45 फीसदी ऐसे मरीज हैं जो दवा लेने नही आए हैं। इनकी गिनती मिसिंग पेशेंट्स में हो रही है। हालांकि इनमें से कुछ प्राइवेट असपतालों में भी अपना इलाज करा रहे हैं। इन सभी चिंहित मरीजों का बीपी पासपोर्ट कार्ड बनाया जा चुका है।
खानपान में लापरवाही बड़ा कारण
पहले ब्लड प्रेशर की शिकायत 50 साल से अधिक के लोग को होती थी। फिर यह उम्र सीमा घटकर 40 साल हुई है। वर्तमान में 30 साल से अधिक उम्र के लोगों को टारगेट किया जा रहा है। कारण साफ है कि खानपान में मनमानी और अनियमितता की वजह से ऐसी स्थित उत्पन्न हो रही है। खासकर नमक, रिफाइंड, जंक फूड, मसाला के साथ एल्कोहल आदि लेने से कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है। जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर की शिकायत आने लगती है। बाद में यह बीपी किडनी, लीवर, हार्ट आदि को प्रभावित करने लगता है।
इस समय पहले रोगियों का बीपी अधिक आने पर उनकी काउंसिलिंग की जा रही है। जिससे रोग का कारण और मरीज को इस रोग के नुकसान की जानकारी हो सके। इसके बाद उसका इलाज शुरू किया जाता है। हमारी ओर से कैंप और अस्पतालों मं आने वाले मरीजों की पहले बीपी जांच कराने का निर्णय लिया गया है।
डॉ। आरसी पांडेय, नोडल एनसीडी सेल स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज