प्रयागराज (ब्‍यूरो)।

एक वीआईपी से प्रभावित होती है दो ओपीडी एक ओटी
पिछले एक सप्ताह से शहर में विधानसभा चुनाव के चलते रोजाना स्टार प्रचारक आ रहे हैं।
इनमें कलाकारों के अलावा विभिन्न दलों के बड़े राजनीतिक चेहरे शामिल हैं।
इनमें केंद्रीय मंत्रियों समेत तमाम पार्टियों के बड़े पदाधिकारी शामिल हैं।
इनके आने पर प्रोटोकाल का पालन किया जाता है।
इसके तहत एंबुलेंस सहित तीन डॉक्टर्स जिसमें फिजीशियन, एनेस्थेटिस्ट और सर्जन को वीआईपी ड्यूटी पर लगाया जाता है।
इनके साथ एक वार्ड ब्वॉय, एक स्वीपर और फार्मासिस्ट को भी तैनात किया जाता है।

बेली और काल्विन से लगती है ड्यूटी
वीआईपी ड्यूटी में बेली और काल्विन अस्पताल से ड्यूटी लगाई जाती है।
यहां पर ऑल रेडी डॉक्टर्स और स्टाफ की पहले से क्राइसिस है।
दोनों अस्पतालों में कुल मिलाकर 70 डॉक्टर्स तैनात हैं
इसमें 15-15 दिन का शेड्यूल चार्ट बनाकर पोस्टमार्टम में डॉक्टर्स को लगाया जाता है।
इसके अलावा लोक सेवा आयोग सहित तमाम चयन बोर्ड, जेल, प्रशिक्षण आदि में भी डॉक्टर्स लगाए जाते हैं।
बाकी बचे डॉक्टर्स पर ओपीडी चलाने का जिम्मा होता है।
एक सप्ताह से चुनाव की वीआईपी ड्यूटी ने क्राइसिस को पैदा कर दिया है।

पीएम के लिए बनाया जा रहा सेफ हाउस
वीआईपी ड्यूटी लगाने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बेली अस्पताल में सेफ हाउस भी बनाया जा रहा है। इसमें एक साथ आधा दर्जन से अधिक डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई जा रही है। साथ ही इसकी दोगुनी संख्या में पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सेज तैनात रहेंगी। इनका काम इमरजेंसी पडऩे पर इलाज उपलब्ध कराना होगा। जब तक पीएम का कार्यक्रम समाप्त नही हो जाएगा यह सभी एलर्ट मोड पर रहेंगे। सेफ हाउस को लेकर एसपीजी मंगलवार से बेली अस्पताल पर नजर बनाए हुए है।

खाली ओपीडी देख रहे लौट रहे मरीज
डॉक्टर्स के वीआईपी ड्यूटी में इंगेज रहने से आम मरीजों की फजीहत हो रही है। खाली ओपीडी देखकर वह घर लौट रहे हैं। यह मरीज काफी दूर के इलाकों से आते हैं और इनको पता नही होता है कि आज डॉक्टर नही मिलेंगे। ऐसी स्थिति में उसी विधा के दूसरे डॉक्टर की ओपीडी में एक्स्ट्रा लोड बढृ़ जाता है। जिससे मरीजों को संपूर्ण इलाज नही मिल पाता। दोनों में से प्रत्येक अस्पताल में रोजाना 2.5 से 3 हजार मरीज आते हैं।

पिछले एक सप्ताह में पांच बार वीआईपी ड्यूटी लगाई जा चुकी है। इसमें सर्जन, एनेस्थेटिस्ट और फिजीशियन लगाए जाते हैं। इस दौरान उनकी ओपीडी को बंद रखा जाता है।
डॉ। एमके अखौरी अधीक्षक, बेली अस्पताल

रोजाना ही डॉक्टर्स की वीआईपी ड्यूटी लग रही है। इससे मरीजों को दिक्कत होती है। हमारी कोशिश होती है कि कम संसाधन में भी मरीजों को इलाज मुहैया करा दिया जाए।
डॉ। इंदू कनौजिया एसआईसी, काल्विन अस्पताल