प्रयागराज ब्यूरो, जिले में घाटों पर अव्यवस्था व भीड़ से बचने के लिए कई महिलाओं ने घरों पर ही पूजा का पूरा इंतजाम रखा था। कोरोना के बाद डेंगू प्रकोप व अधूरी साफ-सफाई के चलते काफी महिलाओं ने घर की छत, आंगन पूजन किया। वहीं कुछ अपार्टमेंट में बने स्वीमिंग पुल में ही महिलाओं ने पूजा की प्रक्रिया को पूरा किया। रातभर घर व घाटों पर जागरण किया। गीतों के जरिये छठी मइया की महिमा बखानी। भोर होने पर पूजन में जुट गई। कोसी बनाकर पूजन करने वाली आराधना किया। दीपक जलाकर फल, फूल, ठेकुआ, गन्ना को सूप में रखकर दीपक जलाकर विधि-विधान से पूजन करते हुए भूलचूक के लिए क्षमायाचना किया। सूर्योदय होने पर पति व परिवार के सदस्यों के साथ कमरभर पानी में प्रवेश करके अघ्र्य दिया। घर पर पूजन करने वाली महिलाओं ने छत पर सूर्यदेव को अघ्र्य दिया। व्रती महिलाओं व परिवार के लोगों ने घाटों व घरों पर की गई पूजा की फोटो भी सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर शेयर किया।
सूर्योदय के साथ व्रतियों के चेहरे पर छाई लालिमा
महिलाओं ने सूर्य देव और छठी मैया से मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना की। छठ व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला अपना व्रत छठ माता का प्रसाद खा कर पूरा किया। पानी से बाहर निकलकर महिलाओं ने एक-दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर सुहाग देने की परम्परा निभाई। अखण्ड सौभाग्य के लिए लंबा सिंदूर व्रत पूरा करने के बाद एक-दूसरे को सुहाग देते हुए महिलाओं ने नाक तक सिंदूर लगा रखा था। वहीं बड़ी महिलाओं ने उम्र से छोटी स्त्रियों की मांग में सिंदूर भरकर सदा सुहागन रहने का आशीष दिया। घर से घाट तक का सफर छठी मइया का गीत गाते हुए पूरा किया। जिनकी मन्नत छठ मैया ने पूरी कर दी थी। वह इस बार ढोल-ताशा जैसे वाद्ययंत्रों के वादन के बीच गीत गाते हुए पग बढ़ा रही थी। घाट पर पहुचने पर पूजन के दौरान भी ढोल-ताशा बजता रहा। इसके साथ ही छठी मइया से एक नई मन्नत मांगी। कहा भी जाता है कि अगर कोई सच मन से छठी मइया से मन्नत मांगता है। छठी मइया कभी भी अपने भक्तों को निराश नहीं करती है।
पति की दीर्घायु के लिए लंबा सिंदूर लगाया जाता है। मान्यता है कि जितना लंबा सिंदूर होगा उतनी ही लंबी पति की आयु होगी। छठ का पर्व छोटे से लेकर बड़े तक धूमधाम से मनाते हैं।
अंकिता जायसवाल, व्रती महिला
रात भर कार्यक्रम चले तो भोर से पहले ही गंगा घाट पर परिवार समेत पर्व में भाग लिया और पूजा अर्चना की गई। कई सालों से परिवार के लोग रखते चले आ रहे है। अब यह पर्व हर प्रदेश में बनाया जाता है।
अभिषेक चौहान, व्रती परिवार सदस्य
छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार को स्नान यानी नहाय-खाय के साथ हुई थी। इसके बाद अगले दिन व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया। खरना के दिन व्रती उपवास कर शाम को स्नान के बाद विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
निहारिका जायसवाल, व्रती महिला
इस व्रत में भोग को बनाते समय काफी साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है। रविवार की शाम डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया गया। उसके सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देकर छठ पूजा का समापन हुआ।
नीतू सिंह, व्रती महिला