प्रयागराज (ब्यूरो)। इस तरह के सामूहिक हत्याकांड में कभी संपत्ति विवाद तो कभी लूट या फिर अन्य कारण निकल कर आता है। चौंकाने वाली बात यह है कि सामूहिक हत्या की अधिकांंश वारदात सोरांव थाना क्षेत्र में हुई है। अब सोरांव का काफी ज्यादा हिस्सा बनाए गए नये थाना फाफामऊ में आ चुका है। अगर नहीं बनाया गया होता तो ये घटना भी सोरांव क्षेत्र में ही आती। इसी एरिया व गंगापार के अन्य जगहों पर हो रही सामूहिक हत्याकांड पर अंकुश लगाने पर प्रयागराज पुलिस हर बार की तरह इस बार असफल साबित हो रही है। कई घटनाओं का खुलासा तो पुलिस ने कर दिया है। वहीं एक केस में पुलिस की किरकिरी भी हुई है।
पांच जनवरी 2020 को पांच की हत्या
सोरांव एरिया के यूसुफपुर गांव निवासी विजय शंकर तिवारी, उसकी पत्नी सोनी व सोनू और मासूम बच्चे कान्हा, कुंज की धारदार हथियार से नृशंस हत्या की गई थी। पुलिस ने हाल ही में इस घटना को कारित करने वाले बिहार गैंग के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। इन सभी गले व सिर पर वार किया गया था। वार एक दो बार नहीं बल्कि कई बार किया गया था। खून से सने इंटरलॉकिंग पत्थर मिले थे।
दो जुलाई 2020 को चार का कत्ल
होलागढ़ थाना क्षेत्र के बरई हरख गांव के शुकुलपुर मजरा निवासी विमलेश पांडेय, उनके बेटे प्रिंस, बेटी श्रेया व शीबू की धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। कातिलों ने विमलेश की पत्नी ऊषा को भी मरणासन्न कर दिया था। इस मामले में पुलिस ने छेमार गैंग के बदमाशों को गिरफ्तार किया था। सभी के गले पर वार कर मौत के घाट उतारा गया था।
19 मार्च 2018 को मां व दो बेटों की हत्या
नवाबगंज थाना क्षेत्र के शहावपुर उर्फ पसियापुर गांव में सुशीला देवी व उसके दो बेटे सुनील व अनिल की नृशंस हत्या कर दी गई थी। इस घटना से काफी दिनों तक ग्रामीणों में रोष फैला रहा। हालांकि बाद में पुलिस ने हत्या के आरोप में एक रिश्तेदार को ही गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसमें भी वार करने का स्टाईल प्रोफेशनल किलर वाला था।
सात सितंबर 2018 चार की नृशंस हत्या
सोरांव थाना क्षेत्र के बिगहियां गांव में सरकारी कर्मचारी कमलेश देवी, उसकी बेटी, दामाद प्रताप नरायण के साथ उसके नाती विराट की नृशंस हत्या की गई थी। एक माह बाद पुलिस ने पट्टीदार व रिश्तेदार को हत्यारोपित बनाकर जेल भेज दिया। पर्दाफाश को लेकर पुलिस के ऊपर सवालिया निशान लगे थे। इसमें भी सिर पर हमला किया गया था। इसमें संपति विवाद निकल कर आया था। हालांकि इस तरह की हुई घटनाओं में कम से कम तीन से चार लोगों का इंवॉल्वमेंट जरूर होता है। लेकिन कई बार केस व मामले को ठंडा करने के लिए पुलिस एक-दो लोगों को जेल भेज ठंडे बस्ते में चली जाती है और हकीकत का पता नहीं लगाती है।
23 अप्रैल 2017 परिवार के चार सदस्यों का कत्ल
नवाबगंज थाना क्षेत्र के शहावपुर गांव में मक्खन गुप्ता, उनकी पत्नी मीरा देवी, बेटी वंदना व निशा की सामूहिक हत्या हुई थी। सनसनीखेज वारदात के बाद डिप्टी सीएम भी मौके पर पहुंचे थे। पुलिस ने गांव के पांच लोगों को जेल भेजा, लेकिन सही अनावरण होने पर पूर्व में पकड़ूे गए अभियुक्त बेकसूर निकले, जिससे पुलिस की किरकिरी हुई थी।ये पैटर्न नहीं कर रहा था मैच
थरवई थाना क्षेत्र के पडि़ला महादेव मंदिर पर शिवरात्रि मेले के दौरान राजस्थान से आए एक दंपती और उसकी बेटी को जिंदा जलाकर मार डाला गया था। दंपती यहां अक्सर आकर मेले में गुब्बारा व खिलौने का सामान बेचते थे। कई महीने बाद पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था। लेकिन ये हत्या पैटर्न इन सबसे अलग था। हालांकि शुरुवात में इसको भी साइको किलर से जुड़ा जा रहा था।