प्रयागराज (ब्‍यूरो)। गिरफ्तार किए गए पहले शातिर का नाम शैलेंद्र सिंह है। वह नवाबगंज एरिया के कौडि़हार करीमुद्दीनपुर गांव निवासी राम अभिलाष सिंह का बेटा है। दूसरे ने अपना नाम अरुण सिंह बताया गया है। वह नवाबगंज एरिया के ही लालगोपालगंज स्थित अखयराजपुर गांव निवासी हरिशरण सिंह का बेटा है। दोनों ने पूछताछ में बताया किया कि गैंग का सरगना सत्यम सिंह है। सत्यम प्रतापगढ़ जिले के सदर कोतवाली स्थित मोहनगंज विक्रमपुर का रहने वाला है। वांछित सागर सिंह, दीपक सिंह और आकाश सिह उर्फ कृष्णा भी गैंग में काम करते हैं। चूंकि तीनों सत्यम के गांव के हैं, लिहाजा वह हमेशा उसी के साथ रहते हैं। गैंग के सरगना सत्यम समय उसके तीनों पड़ोसी अब भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। यह चारों किसी को भी एटीएम बूथ पर अपना शिकार बना सकते हैं। इसलिए एटीएम बूथ पर रुपये निकालने जाएं तो किसी अपरिचित से मदद कतई नहीं लें। क्या पता कि मदद करने वाला शख्स उन्हीं चारों में से कोई एक साइबर शातिर हो। गिरफ्तार शैलेंद्र सिंह ठगों की गाड़ी चलाने का काम करता था। जबकि अरुण सिंह मदद के नाम पर कार्ड का डाटा रीड करने व कार्ड चेंज करने में माहिर है। यह दोनों की पढ़ाई ग्रेजुएट तक की है। जांच में इनकी लैपटॉप से 250 लोगों के एटीएम कार्ड का रीड किया हुआ डाटा भी मिला है।

मोहनगंज का मनीष दिया था ट्रेनिंग
प्रतापगढ़ जिले के मोहनगंज का रहने वाला मनीष कुमार इन सभी को साइबर फ्राड की ट्रेनिंग दिया था। मनीष पिछले कई महीने से ठगी के मामले में जेल की सलाखों के अंदर है। उसके जेल जाने के बाद गैंग का लीडर सत्यम बन गया। क्योंकि सत्यम मनीष का करीबी था इसलिए उसने सारी विद्या हासिल कर लिया था। पिछले वर्ष 29 अक्टूबर को इन लोगों ने फाफामऊ के शांतिपुरम में सीआरपीएफ के जवान की पत्नी से एटीएम बूथ में मदद के नाम पर खेल किया था। उसके एटीएम कार्ड का डाटा रीड करके क्लोन तैयार किए और करीब एक लाख से अधिक रुपये खाते से निकाल लिए। इस घटना की शिकायत महिला के भतीजे सोनू चौरसिया ने साइबर थाने में किया था। इसी केस की जांच में जुटी साइबर थाने की टीम ने दोनों शातिरों शैलेंद्र सिंह व अरुण सिंह को दबोचा है।

समझें फ्राड का तरीका और रहें सतर्क
जिस एटीएम बूथ पर सुरक्षा गार्ड नहीं होते वहां पर गैंग ज्यादा एक्टिव होता है
ऐसे बूथ पर रुपये निकालने के लिए जाने वाली महिला या ग्रामीणों को टारगेट करते हैं
बातों में फंसा कर मदद के नाम पर वह रुपये निकालने गए शख्स से कार्ड लेते हैं
कार्ड हाथ में आते ही स्किमर मशीन पर स्वैप कर कार्ड का डाटा स्कैन कर लेते हैं
इसके बाद कार्ड सम्बंधित व्यक्ति को थमा कर बूथ से शातिर चले जाते हैं
स्कैन किए गए एटीएम के संपूर्ण डाटा को शातिर अपने लैपटॉप में ले लेते हैं
फिर खाली कार्ड में वह सारा डाटा फीड कर एटीएम कार्ड का क्लोन बना लेते हैं
एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार होते ही वह जगह-जगह से रुपये निकाल लेते हैं
इस तरह कार्ड खाता धारक के पास होने के बावजूद वह अकाउंट खाली कर देते हैं
दूसरी विधि यह अपनाते हैं कि बूथ पर मदद के नाम पर लोगों से कार्ड ले लेते हैं
रुपये निकालते वक्त पिन नंबर देख लेते हैं फिर उसे दूसरा कार्ड थमा देते हैं
चूंकि पिन नंबर मालूम ही होते हैं और भी पा जाते हैं, फिर रुपये निकाल लेते हैं

शातिरों की तलाश में साइबर थाना प्रभारी संग टीम में उप निरीक्षक अनुज कुमार तिवारी, राघवेंद्र पांडे, हेड कांस्टेबल सत्येंद्र प्रधान, कांस्टेबल पंकज कुमार, सत्येश राय, जय प्रकाश सिंह, अतुल त्रिवेदी, आशीष यादव, अतुल सिंह, आशुतोष त्रिपाठी, लोकेश आदि लगाए गए थे। टीम द्वारा दोनों शातिर गिरफ्तार किए गए, प्रकाश में आए शातिरों की तलाश जारी है। इनके पास से स्किमर मशीन, 20 एटीएम कार्ड, मोबाइल, बाइक व चार पहिया वाहन बरामद किए गए हैं।
डॉ। राकेश सिंह आईजी प्रयागराज