प्रयागराज (ब्यूरो)। बेस्ट प्रोडक्शन और उपज को लेकर अमरूद के बाद अब आम के फल पर तकनीकी प्रयोग किया गया है। आम के फलों में फ्रूट बैग के ट्रायल का शानदार रेस्पांश सामने आया है। उत्पादन के साथ आम के क्वालिटी में भी गजब का चेंज आया है। इस विधि से तैयार किए गए आम के खूबसूरत व सुगंधित फलों की महक दुबई और ओमान तक फैल रही है। इससे प्राप्त लाभ को देखते हुए आग के बागवानों के चेहरे पर मुस्कान थिरक रही है। उद्यान विभाग के द्वारा यह ट्रायल सिर्फ प्रयागराज जनपद ही नहीं, पूरे मण्डल में किया गया है। मिले लाभ को देखते हुए विभागीय अफसर भी अपने प्रयोग को लेकर अब संजीदा हो गए हैं। अगले वर्ष आम के फसलों में इस विधि का प्रयोग बड़े स्तर पर कराने की तैयारी है। इसके लिए आम के उम्दा व बड़ा बागवानों को सर्च करने का काम मण्डल के चारों जनपदों में शुरू हो गया है।
2100 हेक्टयर आग की बागवानी हुई है पूरे मण्डल में
02 रुपये 75 पैसे के करीब एक फ्रूट बैग की आई है लागत
50 ग्राम कम से कम है फ्रूट बैग विधि से एक आम का वजन
आम बागवानों को मिलेगा काफी लाभ
फ्रूट बैग का ट्रायल पहली बार पिछले वर्ष अमरूद के फलों पर प्रयागराज के खुशरोबाग में किया गया था। देश ही नहीं, विदेश तक में विख्यात इलाहाबादी अमरूद अपनी एक पहचान है। बदलते मौसम और हालात के बीच फलों की क्वालिटी में उद्यान वैज्ञानिक थोड़ी गिरावट दर्ज दर्ज किए थे। अमरूद के फलों के गिरती प्रोडक्शन व क्वालिटी मेनटेन करने के लिए प्रयोग किए गए फ्रूट बैग का रेस्पांस काफी शानदार रहा। अमरूद में फ्रूट बैग के प्रयोग से मिली सफलता को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इस बार आम के फल पर भी इसका प्रयोग किया। यह प्रयोग प्रयागराज के खुशरोबाग, प्रतापगढ़ के पट्टी व कौशाम्बी के सरायअकिल एवं फतेहपुर सहित कुल 2100 हेक्टयर में आम की बागवानी की गई है। इसके लिए हल्के लाल रंग के कपड़े से बने हजारों फ्रूट बैग मंगाए गए। इस फ्रूट बैग को सीढिय़ों के सहारे शुरू में जब फल छोटे थे तो लगा दिया गया था। फ्रूट बैग लग जाने से फल धूल और धूप से बचे ही, कीट पतंगे भी उस बैग के कारण आम के फलों को नुकसान नहीं पहुंचा सके। बैग के अंदर पूरी तरह सेफ जोन में बढ़ कर तैयार हुए आम के फलों की क्वालिटी उसी पेड़ में खुले फल की तुलना में कई गुना बेहतर पाई गई। डीडीओ हॉर्टिकल्चर कृष्ण चौधरी के मुताबिक एक फ्रूट बैग की कीमत 02 रुपये 75 पैसे के करीब रही। मगर इस बैग में तैयार आम के एक फल का वजन कम से कम 50 ग्राम पाया गया है। इस फ्रूट बैग की बदौलत आम की पैदावार तो बढ़ी ही, फल की क्वालिटी के साथ उसका स्वाद भी खुले फलों की तुलना में कई गुना बेस्ट है। यह देखते हुए आम की निर्यात करने वाली माइस ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के लोग उद्यान विभाग से संपर्क की। विभागीय अधिकारी कंपनी को फ्रूट बैग में तैयार व पेड़ में ही बैग के अंदर पके फलों की क्वालिटी टेस्ट कराए। फ्रूट बैग में तैयार आम के फल की खुशबू और स्वाद को देखकर कंपनी के लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
50 हजार टन आम का हुआ उत्पादन
पूरे मण्डल में इस विधि से चौसा और दहशहरी मिला कर करीब 50 हजार टन आम का उत्पादन हुआ है। कंपनी के द्वारा इसे दुबई और सलाला ओमान में इस आम का निर्यात किया जा रहा है। अफसर बताते हैं कि क्वालिटी बेस्ड तैयार आम के इस फल की डिमांड दुबई और ओमान में देखते हुए कंपनी के लोग भी हैरान हैं। इससे आम के बागवानों का भी बड़ा लाभ हुआ है। अगले वर्ष इस फ्रूट बैग विधि से हजारों हेक्टेयर में आम को तैयार कराने का प्रयास अभी से शुरू कर दिया गया है।
आम उत्पादन में प्रतापगढ़ से प्रयाग पीछे
उद्यान अफसरों की मानें तो पूरे मण्रूल में आम की बागवानी की सबसे बड़ी फल पट्टी प्रतापगढ़ जनपद में है। अेकेल प्रतापगढ़ जनपद में 1100 हेक्टेयर में आम की बागवानी होती है। जबकि प्रयागराज में 600 हेक्टेयर में बागवानी करके किसान आम का उत्पादन करते हैं।
इस वर्ष प्रतापगढ़ में 16 हजार टन और कौशाम्बी में 11 हजार टन व प्रयागराज में 10 हजार टन आम जून के प्रथम सप्ताह तक टूट चुके थे।
अभी तक यह उत्पादित आम आसपास के जनपदों में ही बेचा जाता था। मगर पहली बार ट्रायल के तौर फ्रूट बैग विधि से तैयार आम के फलों की विदेश तक जा पहुंची है।
आम के फल पर पहली बार फ्रूट बैग के प्रयोग का प्लान उप निदेशक उद्यान के द्वारा तैयार किया गया। उनके निर्देशन में पूरे मण्डल में इस विधि का आम के फलों पर फ्रूट बैग का प्रयोग हुआ। जिसका रेस्पांस काफी बेहतर आया है। विभागीय अफसरों के प्रयास से आज इस विधि से तैयार आम के फल की डिमांड दुबई और ओमान में बढ़ गई है। निर्यातक कंपनी क्वालिटी और स्वाद के बूते विदेश में डिमांड लेकर हैरत में है।
वीके सिंह
प्रभारी औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुशरोबाग डीडीओ हॉर्टिकल्चर