प्रयागराज ब्यूरो । तंबाकू की लत कितनी खतरनाक हो सकती है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में 4000 लोग इस नशे से छुटकारा पाने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं और इनमें से सफलता केवल 112 लोगों को ही मिली। डॉक्टर्स कहते हैं कि तंबाकू से दूरी बनाने के लिए प्रबल इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। इसमें शामिल निकोटीन नामक पदार्थ बार-बार तंबाकू इनटेक करने की इच्छा पैदा करता है। जिससे पीछा छुड़ाना आसान नही होता है।
डॉक्टर्स ने समझाया फिर भी नहीं छूटी आदत
काल्विन अस्पताल में सीएमओ कार्यालय के अंतर्गत तंबाकू से बचाव के लिए सेल की स्थापना की गई है। यहां मौजूद डॉक्टर्स तंबाकू छोडऩे की इच्छा व्यक्त करने वालों की काउंसिलिंग और इलाज भी करते हैं। ऐसे लोगों को तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता है। पिछले एक साल में ऐसे ही चार हजार लोग इस सेंटर पर पहुंचे थे। इनका कहना था कि यह तंबाकू या सिगरेट से छुटकारा चाहते हैं। इनकी काउंसिलिंग के साथ फार्मोकोथेरेपी भी दी गई। लेकिन केवल 112 ही ऐसे निकले जो तंबाकू से दूरी बना पाए। बाकी दोबारा इस नशे की चपेट में आ चुके हैं।
चार हजार केमिकल पैदा करते हैं रोग
तंबाकू को दो तरह से लिया जाता है। पहला खैनी, तंबाकू और दूसरा बीड़ी या सिगरेट। दोनों ही तरीके मानव देह के लिए बेहद खतरनाक हैं। एक स्टडी के मुताबिक तंबाकू में शामिल चार हजार केमिकल शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे तमाम बीमारियां जैसे बालो का झरना, मोतियाबिंद, दांत में सडऩ, फेफड़े का कैंसर, गले का कैंसर, दिल की बीमारी, बदरंग उंगलियां, पेट में अल्सर, विकृत शुक्राणु यानी नपुंसकता और गैंग्रीन जैसे रोग हो सकते हैं। यह बात काउंसिलिंग के दौरान लोगों को बताई जाती है।
तंबाकू छोडऩे के फायदे
हार्ट बीट और बीपी का नार्मल हो जाना।
खून में कार्बन मोनो आक्साइड का स्तर कम होना।
फेफड़ों का बेहतर तरीके से काम करना।
खांसी, थकान और सांस टूटने की शिकायत कम होना।
हार्ट अटैक का जोखिम कम हो जाना।
मुंह, गले सहित तमाम प्रकार के कैंसर की संभावना कम हो जाना।
तंबाकू बेचने पर इन नियमों का नही होता पालन
नाबालिगों द्वारा तंबाकू बेचने या खरीदने पर है प्रतिबंध।
शैक्षिक या सरकारी संस्थान के सौ गज के दायरे में किसी प्रकार के तंबाकू उत्पाद की बिक्री पर रोक।
सार्वजनिक स्थानों में धूम्रपान पर प्रतिबंध।
तंबाकू उत्पादों केप्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर प्रतिबंध।
क्विट टुबैको हेल्प लाइन- 1800112356, 01122901701
दूसरों को भी पहुंचा रहे नुकसान
खासकर स्मोकिंग करने वाले अपने साथ दूसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि एक्टिव और पैसिव स्मोकिंग से भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ओपीडी में अक्सर ऐसे मरीज आते हैं जिनको सांस लेने में प्राब्लम होती है। काउंसिलिंग में बताते हैं कि उनके घर या आफिस में लोग अगल बगल स्मोकिंग करते हैं जिससे उन्हें समस्या का सामना करना पड़ता है।
ऐसा नहीं है कि लोगों में तंबाकू से दूरी बनाने की इच्छा नहीं है। वह काउंसिलिंग के लिए आते हैं और तरीके भी पूछते हैं। उनको बताया भी जाता है लेकिन इच्छा शक्ति में कमी होने से वह पुन: इस नशे में फंस जाते हैं।
- डॉ। शैलेश मौर्या, सेल इंचार्ज, स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज