रेप का आरोप लगाने वाली महिला की इलाज के दौरान मंगलवार की सुबह हुई मौत

पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ दर्ज किया बलात्कार का मुकदमा, कोई गिरफ्तारी नहीं

आरोपितों को मेडिकल एसोसिएशन ने बताया निर्दोष, आईजी रेंज को सौंपा ज्ञापन

आनन-फानन में कराया गया महिला का पोस्टमार्टम, बॉडी भेजवा दी गयी मिर्जापुर

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मई को एसआरएन में एडमिट हुई थी मृतका

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मई को किया गया था ऑपरेशन

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लोग पर ऑपरेशन थिएटर में मौजूद थे

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जून को चचेरे भाई ने वीडियो वायरल कर लगाया गैंग रेप का आरोप

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जून को पीडि़ता के भाई ने मामले की तहरीर पुलिस को दी

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जून को पीडि़ता की हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हुई

ऑपरेशन थिएटर में एसआरएन हॉस्पिटल के चार मेडिकल स्टॉफ पर रेप का आरोप लगाने वाली युवती पूजा मोदनवाल (20) की इलाज के दौरान मंगलवार की सुबह मौत हो गई। उसकी मौत से पहले शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप मौत के बाद गंभीर हो गया। वीडियो वायरल करके रेप का आरोप लगाने वाला भाई इलाज में लापरवाही का आरोप लगा रहा था। इसके बाद पुलिस सेंसिटिव हो गयी और चार लोगों के खिलाफ कोतवाली थाने में रेप का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। केस में जो धाराएं लगायी गयी हैं, वो पुष्ट हो गयीं तो आरोपितों को बीस साल तक जेल में रहना पड़ जाएगा। जुर्माना लगेगा सो अलग।

जांच कमेटी ने दी है क्लीनचिट

पूजा के साथ रेप का मामले पहले से ही गरम है। दो को वीडियो वायरल हुआ तो अस्पताल प्रशासन की तरफ से कमेटी बना दी गयी। इस कमेटी की जांच रिपोर्ट पेश करते हुए मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने रेप के आरोपों को खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि आपरेशन से पहले तैयारी के दौरान कपड़े हटाये जाने को महिला रेप बता रही है जबकि ऑपरेशन करने वाली टीम के लिए यह इनीशियल वर्क होता है। इस रिपोर्ट से डाक्टर्स को क्लीन चिट मिल गयी। लेकिन पूजा का भाई इससे संतुष्ट नहीं था। वह अपनी बात पर अड़ा रहा। उसे इसमें सपा नेता मंजू पाठक और ऋचा सिंह का साथ मिल गया। इसके बाद दोनो तरफ से आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। सोमवार को सपाईयों ने अस्पताल गेट के सामने धरना दिया तो जूनियर डॉक्टर्स ने रैली निकालकर एकजुटता दिखायी थी।

'हैंड राइटिंग' बन जाएगी फांस

इस प्रकरण की सबसे खास बात यह है कि पूरा मामला इशारों और हैंड राइटिंग पर टिका हुआ है। इस संबंध में एक वीडियो भी वायरल किया गया था। इसके जरिए बताया गया था कि पूजा ने बताया कि उसके साथ ऑपरेशन थियेटर में गलत काम किया गया है। पहले उसने इशारों में यह बताया। इशारे पूर्ण समझ में न आने पर उसे पेन-कागज दिया गया तो उसने लिखकर भी बताया। इसी को आधार बनाकर पूजा के भाई राहुल ने तहरीर भी पुलिस को दी थी। इसमें भी इशारों और हैंडराटिंग का जिक्र किया गया है। पांच दिन तक इस तहरीर को नोटिस न लेने वाली कोतवाली पुलिस पूजा की मौत की सूचना आते ही एक्टिव हो गयी। मौत सुबह 8.50 बजे हुई और पुलिस ने 11.44 बजे नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली। बता दें कि पूजा को पेट में असहनीय पीड़ा की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। डॉक्टर्स ने उसके पेट का ऑपरेशन किया था। यह सभी तथ्य प्रथम सूचना रिपोर्ट से लेकर पंचनामा रिपोर्ट तक में मेंशन है।

कौन थी पूजा मोदनवाल

पूजा मोदनवाल मिर्जापुर जिले के रहने वाले भोला नाथ मोदनवाल की बेटी थी। पेट दर्द लगातार बने रहने पर उसका इलाज पहले मिर्जापुर में चला। वहां के डॉक्टर्स के रिफर कर देने पर उसे एसआरएन हॉस्पिटल में लाकर भर्ती कराया गया था। यहां के डॉक्टर्स ने पेट के आपरेशन का फैसला लिया था। आपरेशन के बाद की पूरी कहानी ने इस प्रकरण को जन्म दिया है।

हॉस्पिटल रोड कर दी गयी सील

हॉस्पिटल में पूजा की मौत की खबर सुनते ही अफसर सन्नाटे में आ गए। बवाल की आशंका को देखते हुए हॉस्पिटल परिसर छावनी में तब्दील कर दिया गया। पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ गैंग रेप का मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया। भारी संख्या में फोर्स के साथ पुलिस अधिकारी हॉस्पिटल जा पहुंचे। मेन सड़क से हॉस्पिटल मोड़ पर बैरिकेटिंग कर दी गई। युवती की मौत से बिलखते परिजन इलाज में लापरवाही का आरोप डॉक्टरों पर लगाते रहे। आनन-फानन उसकी बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दी गई। तत्काल पोस्टमार्टम बाद बॉडी परिजनों को सौंप कर उन्हें घर मीरजापुर भेज दिया गया। इसके बाद युवती के भाई राहुल की तहरीर पर डॉक्टर की टीम द्वारा अज्ञात के खिलाफ कोतवाली में गैंग रेप का मामला दर्ज किया गया।

हॉस्पिटल में पीडि़ता की मौत होने के बाद पुलिस द्वारा आरोपित डॉक्टर टीम के चार अज्ञात लोगों के खिलाफ गैंग रेप 375 घ व 376/2 ड़ की धारा के तहत केस दर्ज किया गया।

किसके दबाव में थी पुलिस?

हॉस्पिटल में पीडि़ता की मौत के बाद लिखी गई गैंग रेप की रिपोर्ट ने कई सवालों को जन्म दे दिया है।

पांच दिन तक पीडि़ता के साथ ऑपरेशन थिएटर में गैंग रेप करने वालों के खिलाफ परिवार मुकदमा दर्ज कराने के लिए भटक रहा था।

किसी भी चौखट पर मुकदमा लिखने के आदेश तो दूर उसकी वेदना व तकलीफ को समझने की जरूरत नहीं समझी गई।

फिर मंगलवार को उसकी मौत के बाद ऐसा कौन सा क्लू पुलिस को मिला कि उसी भाई की तहरीर पर पुलिस गैंगरेप का केस दर्ज कर ली।

यदि मुकदमा दर्ज करना ही था और आरोप विवेचना या जांच के लायक थे तो इतना विलंब क्यों किया गया?

पीडि़ता की मौत के बाद लिखे गए मुकदमे को लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं होती रही।

पुलिस पर किसी का दबाव था मुकदमा दर्ज न करने के लिए

कैस हुआ मेडिकोलीगल व जांच

पीडि़ता द्वारा मेडिकल स्टॉफ पर ओटी में रेप के लगाए गए आरोप के बाद सीएमओ व प्रधानाचार्य एसआरएन हॉस्पिटल द्वारा जांच व मेडिकोलीगल कराए जाने की बात कही गई थी। इस जांच पड़ताल में टीम द्वारा पीडि़ता के आरोपों को सिरे से खारिज किए जाने की चर्चा रही। अब प्रश्न यह उठता है कि जब मुकदमा दर्ज ही नहीं हुआ था तो मेडिकोलीगल किस आधार पर कराया गया। यदि जांच कराई भी गई तो लोगों में सवाल ये हैं कि यह मेडिकल जांच टीम अपने ही विभाग के लोगों के खिलाफ निष्पक्ष पड़ात कैसे की होगी?

आरोप लगाने वाली युवती की एसआरएन हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई है। पोस्टमार्टम बाद बॉडी उसके परिजनों को सौंप दी गई। भाई की तहरीर पर सुसंगत धाराओं में केस दर्ज कर जांच की जा रही है।

दिनेश सिंह, एसपी सिटी

धाराएं, उसका मतलब और सजा

376 (घ)

जहां किसी स्त्री के साथ एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा मिलकर या समूह बनाकर सामूहिक बलात्कार किया जाता है। उन सभी व्यक्तियों में से प्रत्येक व्यक्ति के बारे में यह समझा जायेगा की उसने बलात्कार का अपराध किया है। उन्हें बीस साल की कारावास की सजा या आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

धारा 376 की उप धारा (2)

कोई सरकारी कर्मचारी अपने पद और आधिकारिक या शासकीय शक्ति और स्थिति का दुरुपयोग महिला अधिकारी या कर्मचारी के साथ संभोग करेगा, तो वह भी बलात्कार ही माना जाएगा। यह कानून जेल, चिकित्सालय, राजकीय कार्यालयों, बाल एवं महिला सुधार गृहों पर भी लागू होता है। इस प्रकार के सभी बलात्कार के दोषियों को कठोर कारावास की अधिकतम सजा हो सकती है। जिसकी अवधि आजीवन कारावास या दस वर्ष या उससे अधिक सजा के साथ जुर्माना हो सकती है।