प्रयागराज (ब्यूरो)। मामले में जेल भेजे गए लोगों में बाल सुधार गृह के केयर टेकर आशीष पटेल पुत्र स्व। जवाहर लाल पटेल निवासी ठठेरीपुर थाना रानीगंज प्रतापगढ़ शामिल है। यहां वह करेली के भावापुर में रहता था। इसके साथ कर्मचारी संजीव उर्फ नाटे पुत्र जियालाल सरोज व बालकांत पुत्र केशलाल सरोज निवासीगण मनेथू थाना थरवई, एवं सुनील पाल पुत्र राम सिंह पाल निवासी उमरा गिराया थाना खखरेरू जनपद फतेहपुर को भी पुलिस ने कोर्ट में पेशकर नैनी जेल भेजा है। सुनील यहां धूमनगंज के मुण्डेरा पोंगहट पुल के पास रहता था। जबकि बालअपचारी को बाल सुधार गृह भेजा गया। पुलिस के मुताबिक बालअपचारी हत्या के मामले में प्रतापगढ़ से बाल सुधार गृह भेजा गया था। बताया गया कि सुनील पाल लूट और हत्या के प्रयास में गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त गिरफ्तार करने वाली पुलिस को खुद को नाबालिग बताया था। लिहाजा पुलिस उसकी बात मानते हुए बाल सुधार गृह भेज दी थी। इसी बाल सुधार गृह खुल्दाबाद में बालअपचारी पहले से था। यहीं पर दोनों के बीच दोस्ती हुई। जब सुनील को मालूम चला कि उसकी जमानत होने वाली है तो वे दोस्त बालअपचारी को भी बाहर निकालने का भरोसा दिलाया। इसके लिए वह राजकीय बाल सुधार गृह के केयर टेबल, कर्मचारी संजीवन उर्फ नाटे व बालकांत के सपोर्ट से उसे भगाने का प्लान बताया था।
बारह फरवरी को वह जमानत पर बाहर आ गया था। इसके बाद प्लान के तहत बालअपचारी सोमवार को पेट में दर्द का बहाना बनाया। चूंकि सेटिंग पहले से थी लिहाजा केयरटेकर बगैर देर किए होमगार्ड सुरेंद्र शुक्ला के साथ इलाज के लिए काल्विन हॉस्पिटल भेज दिया। उसके साथ चतुर्थश्रेणी कर्मी संजीव भी भेजा गया था। रास्ते में संजीव बालकांत के साथ एक अन्य बालअपचारी को लेकर मनोहरदास नेत्र चिकित्सालय चले गए। दोनों सुनील के नेटवर्क में थे और होमगार्ड संग रहे बालअपचारी की लोकेशन उसे देते। बाइक लेकर पहले से खड़े साथी सुनील हॉस्पिटल गेट पर खड़ा था। बालअपचारी होमगार्ड से हाथ छुड़ाकर भागा और भागा और साथी की बाइक पर बैठ गया। होमगार्ड दौड़ाकर बाइक पकड़ा तो पीछे बैठा बालअपचारी उतरकर भागने लगा। बाइक चला रहे सुनील को होमगार्ड दबोच लिया तो पुलिस के मुताबिक वह तमंचे से फायर कर दिया। फायर मिस हुआ तो बट से होमगार्ड के सिर हमलाकर घायल कर दिया। तब तक पब्लिक और पुलिस पहुंची और दोनों पकड़ लिए गए। पुलिस ने कहा कि पूछताछ के वक्त शातिर सुनील पाल खुद को नाबालिग बताता रहा। मगर जांच में वह खुद के नाबालिग होने का कोई सबूत पुलिस को नहीं दे सका। पुलिस द्वारा सुनील पाल को बालिग बताते हुए बाल सुधार गृह के तीनों जिम्मेदारों समेत उसे भी जेल भेज दिया। इस मामले में चार जेल और बालपचारी को बाल सुधार गृह भेजा गया।
बाल अपचारी को भगाने आया शातिर छानबीन में बालिग पाया गया है। इसलिए बाल सुधार गृह के केयरटेकर सहित तीन लोग व उसे नैनी सेंट्रल जेल भेजा गया है। जबकि उसके साथ भागने की कोशिश करने वाला बालअपचार बाल सुधार गृह भेजा गया है।
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