प्रयागराज (ब्यूरो)।

आरएएफ जवान उमेश को बुधवार रात को श्रीनगर जाना था मगर उसको मौत अपने साथ ले गई। उमेश जाने से पहले गंगा नहाना चाहता था, मगर उसे क्या मालूम की वह गंगा नहा कर लौट नहीं पाएगा। सुबह उमेश अपने बेटा, बेटी संग गंगा नहाने जाने लगा तो साथी का बेटा भी जिद करने लगा। तीनों को लेकर उमेश फाफामऊ गंगा घाट पहुंच गया। नहाने के दौरान अचानक बच्चे डूबने लगे तो उमेश बचाने दौड़ा। मगर सभी डूब गए। जल पुलिस ने सभी के शव गंगा से निकाल लिए। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
बिहार का था मूल निवासी
बिहार के लक्खीसराय के बिलौरी मस्जिद के रहने वाला उमेश कुमार आरएएफ में हेडकांस्टेबिल थे। उनकी पोस्टिंग 101 बटालियन आएएफ शांतिपुरम में थी। आरएएफ कैंप में उमेश पत्नी संगीता बेटा विवेकराज (12), बेटी दीपशिखा (10) और चार वर्षीय बेटे के साथ रहता था। सुबह करीब साढ़े छह बजे उमेश अपने बेटे और बेटी के साथ गंगा नहाने जाने लगा। इस पर पड़ोसी साथी हेडकांस्टेबिल अभय सिंह का नौ वर्षीय बेटा अभिनव भी साथ जाने की जिद करने लगा। उमेश ने सभी को साथ लिया और फाफामऊ गंगा घाट पर नहाने पहुंच गए। डीप वॉटर बैरिकेटिंग के पास सभी नहा रहे थे। वहां पानी घुटने से थोड़ा ज्यादा था। अचानक न जाने क्या हुआ कि नहाने के दौरान तीनों बच्चे डूबने लगे। यह देख उमेश सकपका गया। वह बच्चों को बचाने के लिए दौड़ा। आगे पानी गहरा था। उमेश बच्चों को पकड़ नहीं पाया। वह भी डूबने लगा। देखते ही देखते चारों डूब गए। सूचना पर जल पुलिस पहुंची। जल पुलिस ने चारों की तलाश की। उमेश, अभिनव और विवेक का शव जल्द ही मिल गया। जबकि दीपशिखा का शव करीब तीन घंटे बाद मिला। जानकारी मिलते ही आरएएफ से कई जवान घाट पर पहुंच गए। आरएएफ के अफसरों ने उमेश के परिजनों को सूचना दी। रात में परिजन रोते बिलखते आरएएफ कैंप पहुंचे।

कहां चले गए छोड़कर
उमेश की शादी संगीता से करीब 14 वर्ष पहले हुई थी। शादी के पहले ही उमेश को नौकरी मिल चुकी थी। उमेश और संगीता शादी के बाद साथ ही रहे। संगीता को पति और बच्चों की मौत की खबर मिली तो वह चुप हो गई। काफी देरतक वह गुमशुम बनी रही। कॉलोनी की महिलाएं उसे रुलाने का प्रयास करती रहीं। मगर उसके बोल ही फूट नहीं रहे थे। शाम को जब पति और दोनों बच्चों के शव घर ले जाए गए तो संगीता के आंसू फूटे। कहां चले गए मुझको छोड़कर कहकर रोए जा रहे थी। उसका रोना देख लोगों का दिल दहल जा रहा था। संगीता ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि गंगा नहाने गए पति और बच्चों का शव घर आएगा।

तो आज पकड़ लेता ट्रेन
हेडकांस्टेबिल उमेश कुमार और अभय राज दोनों आरएएफ कैंप में पड़ोस में रहते थे। दोनों की पोस्टिंग श्रीनगर हो गई थी। बुधवार रात प्रयाग से दिल्ली के लिए ट्रेन थी। दिल्ली से दोनों को बाई एयर श्रीनगर जाना था। टिकट हो चुका था। जाने की तैयारी भी पूरी हो गई थी। सामान पैक हो चुका था। मंगलवार को साथियों ने विदाई समारोह का आयोजन किया था। मगर उमेश को क्या मालूम कि बुधवार उसकी जिंदगी का आखिरी दिन है। वह बच्चों के साथ गंगा नहाने चला गया। उसे लगा कि न जाने अब कब प्रयाग आना हो।

बच्चे देखना चाहते थे पहाड़
आरएएफ कैंप में उमेश और अभय का परिवार अगल बगल ही रहते थे। दोनों परिवार में बच्चे एक दूसरे से काफी घुले मिले थे। करीब एक महीना पहले बच्चों को पता चला कि पापा की पोस्टिंग श्रीनगर हो गई है तो खुशी से फूले न समाए। बच्चे पहाड़ देखना चाहते थे। उमेश ने बताया था कि श्रीनगर में आएरएफ कैंप के पास ही पहाड़ है तो बच्चे बहुत खुश थे। मगर बच्चों को क्या पता कि उनकी ख्वाहिश अधूरी ही रह जाएगी।

चला गया एकलौता बेटा
बिहार के पूर्वी चंपारन के परसौनी का रहने वाले अभय सिंह और उमेश की पोस्टिंग लगभग साथ ही होती थी। ऐसे में अभय का बेटा अभिनव उमेश से काफी घुला मिला था। उमेश कैंप के बाहर किसी काम से जाता था तो अक्सर अभिनव भी उसके साथ चला जाता था। अभय यहां पर पत्नी रंजू, बेटी आयुषी और बेटे अभिनव के साथ रहता था। अभिनव एकलौता बेटा। गंगा में अभिनव भी डूब गया। अभय और रंजू को बेटे को अभिनव की मौत की खबर मिली तो दोनों बदहवास हो गए। दोनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

कब होगी जल पुलिस की तैनात
फाफामऊ घाट कई दशक पुराना है। कछार में गंगा की धारा जगह बदलती रहती है, मगर रोज नहाने वालों की तादाद में कोई कमी नहीं होती है। गर्मी में गंगा की धारा सूखकर बहुत पतली हो जाती है। इसके बाद भी लोग आधा किलोमीटर करीब पैदल चलकर कछार में गंगा नहाने जाते हैं। इसके बाद भी यहां पर जल पुलिस की तैनात नहीं की जा सकी है।

दस जून को डूब गए थे दो बच्चे
10 जून को इसी घाट पर मुत्तू और अल्तमस डूब गए थे। करीब चार बजे घाट पर चार बच्चे नहाने चले आए थे। चारों डूबने लगे तो घाट पर मौजूद लोगों ने दो बच्चों को बचा लिया मगर मुत्तू और अल्तमस डूब गए। जल पुलिस ने दोनों के शव निकाले थे।