प्रयागराज (ब्यूरो)। खौफ ऐसा था कि इनके गिरेबां पर हाथ डालने की बजाय पुलिस के हाथ उठते भी थे तो इन्हें सलाम करने के लिए। माफिया राज ऐसा था कि ये अपराध करते जाते थे, लेकिन, मुकदमे ही दर्ज नहीं हो पाते थे। मुकदमा हो भी जाए तो कोई गवाह नहीं मिलता था। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की पड़ताल में अतीक के टेरर का चौकाने वाला सच भी सामने आया है। अतीक पर दर्ज 14 मुकदमों में गवाह तक पलट तक गए थे। 4 केस सरकार ने वापस लिए। 12 मामलों में ट्रायल नहीं हो पा रहा था। न जाने कितने गवाह गवाही देने से मुकर गए। कितनों का कोर्ट जाते-जाते हौसला टूट गया।
गवाहों को नहीं मिला पुख्ता सुरक्षा
उमेश पाल अपहरण मामले में एक गवाह है जिसको आज तक सुरक्षा व्यवस्था नहीं मिली है। ऐसे न जाने कितने गवाह होंगे जो अपनी जान के रिस्क पर गवाह देते चले आ रहे हैं। ज्यादातर गवाह अतीक के आंतक व डर के चलते पीछे हट गए। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में खुल्दाबाद थाने में दर्ज हुआ था। अतीक के खिलाफ अब भी 101 मुकदमे पेंडिंग हैं। इनमें से 50 केस कोर्ट में चल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो पहली सजा में इतना समय लगा, क्योंकि अतीक और उसकी गैंग के खिलाफ दर्ज ज्यादातर मुकदमे में गवाह पलटते रहे। उसके खिलाफ दर्ज 14 मुकदमों में अब तक गवाह मुकर चुके है। इसका सबसे बड़ा कारण निकलकर सामने आया कि गवाहों को पुख्ता सुरक्षा नहीं दी गई थी। वह अपनी जान जोखिम में डालकर गवाही दे रहे थे। खतरा बढऩे पर वह मुकर गए।
तीन और मुकदमों में फैसला जल्द
एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के मुताबिक माफिया अतीक अहमद पर 1979 से अब तक दर्ज मुकदमों में से 50 कोर्ट में विचाराधीन हैं। सूत्र बताते है कि धूमनगंज व खुल्दाबाद थानों में दर्ज तीन मुकदमों की पैरवी तेज हो गई है। इस मुकदमों में भी जल्द फैसला आ सकता है। इसमें अतीक एंड कंपनी के कुछ गुर्गों को नामजद किया गया है। ऐसे में अतीक के साथ उनके गुर्गों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कई गवाह हैं लापता
सूत्रों की मानें तो इनमें से आठ मुकदमें ऐसे भी है जिसके गवाह आज तक लापता हैं। इनके बारे में पता ही नहीं चला कि आखिर ये गए कहां। इनका पता ठिकाना उनके घर वालों को भी पता नहीं है। वह गुमशुदगी दर्ज कराकर शांत बैठ गए हैं। पुलिस ने भी उनको ढूंढने का ठीक से प्रयास नहीं किया। यही कारण है कि अतीक की जुर्म की दुनिया बढ़ती चली गई। जो उसके रास्ते में आता वह एक तरह से गायब हो गया या फिर दुनिया से चला जाता। अब अतीक का खत्म होने का वक्त आ गया है। जो धीरे-धीरे शुरू हो गया है।