भ्रष्टाचार के लंबित मुकदमे को एमपी-एमएलए कोर्ट भेजने का मामला

अदालत ने अन्य तीन आरोपितों को हाजिर होने के लिए जारी किया वारंट

नैनी सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे फूलपुर के पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को भ्रष्टाचार के एक लंबित मुकदमे में अदालत से राहत नहीं मिली। कपिल मुनि ने विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) की अदालत में लंबित मुकदमे को प्रयागराज स्थित एमपी-एमएलए की अदालत में स्थानांतरित करने की अदालत से अपील की थी।

मुकदमे के समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे

विशेष न्यायाधीश पुष्कर उपाध्याय ने इस आधार पर पूर्व सांसद के प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया कि जब भ्रष्टाचार का आरोप लगा था तब कपिल मुनि करवरिया कौशांबी के जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर थे जो कि एमपी-एमएलए की श्रेणी में नहीं आता है। सांसद होने के दौरान इस प्रकार का कोई अपराध नहीं किया गया है। भ्रष्टाचार से संबंधित मुकदमों के निस्तारण के लिए विशेष न्यायालय का गठन किया गया है। इन तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए उक्त मुकदमे को एमपी-एमएलए कोर्ट प्रयागराज में स्थानांतरित करने का कोई औचित्य नहीं है। कपिल मुनि करवरिया के प्रार्थना पत्र का अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह ने विरोध किया।

पद का दुरुपयोग करके की नियुक्ति

अभियोजन कथानक के अनुसार कपिलमुनि करवरिया वर्ष 2009-2014 तक लोकसभा सदस्य थे। सांसद बनने से पूर्व वर्ष 2004-05 में कौशांबी जिला पंचायत तथा चयन समिति के अध्यक्ष थे। आरोप है कि इस दौरान पद का दुरुपयोग करते हुए बिना शासन की अनुमति के लिपिकों की नियुक्तियां कीं। इन नियुक्तियों में धांधली और मनमानी करने की शिकायत मिलने पर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान ने जांच की थी। रिपोर्ट में अनियमितता की पुष्टि होने पर मंझनपुर (कौशांबी) के तत्कालीन थाना प्रभारी ने 14 नवंबर 2019 को पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया के अलावा चयन समिति की सदस्य सुशीला देवी, मधुपति तथा श्रीपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया। जिसकी सुनवाई विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) पुष्कर उपाध्याय की अदालत में चल रही है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए सात सितंबर की तिथि निर्धारित करते हुए अन्य तीन आरोपितों के हाजिर होने के लिए वारंट जारी किया है। मालूम हो कि वर्ष 1996 में सिविल लाइंस थाना में दर्ज हत्या के मुकदमे में प्रयागराज की जिला न्यायालय ने चार नवंबर 2019 को कपिलमुनि करवरिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।