प्रयागराज (ब्यूरो)।बात मालूम चली तो फाफामऊ और शिवकुटी थाने के इंस्पेक्टर फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। थाना प्रभारियों के जरिए फौरन जल पुलिस प्रभारी कड़ेदीन यादव को खबर दी गई। कड़ेदीन गोताखोर और जवानों एवं अच्छे तैराक नाविकों के साथ मौके पर पहुंचे। थोड़ी ही देर में एनडीआरएफ के जवान भी पहुंच गए। टीम के द्वारा दोनों बालकों की तलाश में दिन भर सर्च ऑपरेशन चलाया गया। शाम होने तक चलाए गए इस ऑपरेशन में डूबे हुए बालकों का पता नहीं चल सका था। अंधेरा हो जाने के कारण सर्च ऑपरेशन को पोस्टफोन करना पड़ा। सुबह फिर दोनों की तलाश में सर्च ऑपरेशन शुरू किया जाएगा। रमन हेड कांस्टेबल शिवमूरत के परिवार का इकलौता था। छात्र की दो बहनें भी जिनकी शादी हो चुकी है। रमन के डूबने की खबर से मां कुसुम सहित पूरे परिवार में कोहराम मचा रहा। बेटे के डूबने की खबर मिलते ही कांस्टेबल चंदौली से घर के लिए निकल पड़ा। वहीं हाईकोर्ट के अधिवक्ता लोकेश मिश्रा के बेटे कृष्णा के भी गंगा में डूबने से उसकी मां रीता मिश्रा सहित पूरे परिवार में मातम पसर गया। बताते हैं कि साथ रहे छात्र सार्थक तैरना जानता था। डूब रहे दोस्तों को बचाने के लिए वह पूरी कोशिश किया मगर सफल नहीं हो सका।
क्या है 'अवसादीकरण और खतरा
गंगा हो या यमुना नदीं, पानी कम होने के बावजूद बढ़ रही डूबने की घटना के पीछे एक अहम कारण है।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में तैनात जियोग्राफी के प्रोफेसर डॉ। एआर सिद्दीकी कहते हैं कि नदियों में पानी के अंदर अवसाद की प्रक्रिया घटती बढ़ती है।
अंदर ही अंदर पानी के तेज बहाव से बहने वाली मिट्टी व रेत अथवा कंकड़ को ही जियोग्राफी की भाषा में अवसादीकरण प्रक्रिया कहलाती है।
वह कहते हैं कि यह प्रक्रिया पानी के अंदर सतह पर सतत चलती रही है। इसके लिए पानी का बहुत होना जरूरी नहीं होता।
इसी प्रक्रिया के कारण हर पांच से छह घंटे में नदी के अंदर की सतह में चेंज हो जाता है।
जहां कल समतल सतह थी लोग स्नान किए उस जगह दूसरे दिन भी वैसा ही हो यह जरूर नहीं। पानी में गड्ढे भी हो सकते हैं।
पानी की सतह स्लोप दार होती है। चलते-चलते अचानक गहरान या गड्ढे का मिलना इसी प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है।
चूंकि पानी के अंदर कुछ दिखाई नहीं देता और लोग जानकारी के अभाव में डूब जाते हैं।
लोगों को यह धारणा नहीं बनाना चाहिए कि वे जहां कल स्नान किए उस जगह गंगा में पानी की सतह पूर्व के जैसे ही होगी। एक कदम पीछे जमीन और आगे गड््ढे भी हो सकते हैं।
वर्जन
स्नान करते समय गंगा में वालीबाल खेल रहे दो छात्र डूबे हैं। उनकी तलाश में शाम तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया। एनडीआरएफ व जल पुलिस एवं गोताखोर और अच्छे तैराक नाविक भी लगाए गए हैं। दोनों का कुछ पता नहीं चल सका। शाम होने के कार ऑपरेशन रोकना पड़ा। सुबह फिर तलाश शुरू की जाएगी।
- मनीष त्रिपाठी, थानाध्यक्ष शिवकुटी
नदियों में पानी के बहाव से हमेशा सतह परिवर्तित होती रहती है जो दिखाई नहीं देती। पानी में लगातार चलने वाली इस क्रिया को अवसादीकरण कहा जाता है। ऐसी स्थिति में जरूरी नहीं जहां एक दिन पानी के अंदर ता तल समतल रहा हो उस जगह दूसरे दिन भी वैसा ही हो। एक कदम पहले समतल और एक कदम आगे गहरे गड््ढे का होना स्वाभाविक है। इसे रोका भी नहीं जा सकता केवल सावधानी ही बचाव का जरिया।
डॉ। एआर सिद्दीकी, जियोग्राफी प्रोफेसर एयू