प्रयागराज ब्यूरो ।जीरो रोड स्थित जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व के आठवें दिन जैन धर्म के अनुयायियों ने उत्तम त्याग धर्म का पालन किया। केसरिया वस्त्रो में श्रावक, श्राविकाओं ने भगवान की शांति धारा, अभिषेक कर संगीतमयी धुनों पूजन अर्चन कर भक्ति नृत्य किया। जिससे सारा वातावरण भक्तिमय हो गया। पंडित सुनील जैन ने बताया कि केसरिया रंग पवित्रता का प्रतीक है, उन्होंने कहा कि हमे पूजन एवं पवित्र एवं शुद्ध मन से करना चाहिए तभी हमें उसका फल मिलता है।
प्रकृति देती है त्याग का संस्कार
मुनि सुभद्र सागर ने बताया कि त्याग का संस्कार हमें प्रकृति से मिलाता है। त्याग के बिना कोई धर्म जीवित नहीं रह सकता। जिसने भी अपने जीवन में त्याग किया है वही चमकता है। धर्म और आत्मा को जीवित रखने के लिए त्याग आवश्यक है। समस्त भोग विलास की वस्तु का त्याग करना ही मुक्ति का मार्ग है अपने जीवन में खराब कार्यों और पापों का त्याग करना चाहिए तभी मनुष्य जीवन की सार्थकता है। इतिहास साक्षी है कि भगवान श्री राम, भगवान महावीर, आदि महापुरुष अपने त्याग धर्म के कारण है, जन-जन में पूजनीय और वंदनीय है। सायंकालीन सामूहिक आरती, भजन एवं प्रश्नमंच का आयोजन किया गया। जिसमें विजयी प्रतिभागियो को पुरस्कृत किया गया। कल बुधवार को उत्तम आकिञ्चन धर्म की पूजा की जायेगी।