प्रयागराज (ब्यूरो)। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के वैज्ञानिकों का कहना है की इस ठंड से सिर्फ इंसान ही नहीं पौधे भी प्रभावित होते हैं। अत्यधिक ठंड पडने की वजह से पौधे बिमारी शिकार हो जाते है। इसका सीधा प्रभाव पौधों की ग्रोथ पर पड़ता है। जिसके चलते पौधे उस तरह से विकसित नहीं हो पाते है जिस प्रकार से उन्हें विकसित होना होता है। सर्दियों के समय में बहुत सारे पौधे अपने अंदर के न्यूट्रीयंट को बचा कर रखते हैं। ठंड के समय में पौधों को मुख्यता वेलटिंग, डंपिंग और फ्रास्ट बाइट जैसी बिमारियां अपना शिकार बनाती हैं।
सुषुप्तावस्था में चले जाते हैं
वैज्ञानिकों का कहना है की पौधे ठंड से बचाव के लिए दिवाली से लेकर के फरवरी के महीने तक सुषुप्तावस्था में चले जाते हैं। इस वक्त पौधों के बढऩे की रफ्तार आम दिनों के मुकाबले धीमी हो जाती है। यही कारण है कि इस समय फल और सब्जियों की आवक कम हो गयी है और इसका दाम भागने लगा है। कुछ पौधे ऐसे होते हैं तो अपने अपने अंदर के न्यूट्रीयंट को बचा रखते हैं। वो इसे पूरी तरह से अपनी ग्रोथ के लिए खर्च न करके ठंड से बचाव के लिए कंज्यूम करते हंै। इसी के चलते ये ठंड में सर्वाइव कर जाते हैं। पौधे की जो प्रजाति ऐसा नहीं कर पाती वह सूख जाने के रास्ते पर चल पड़ती है। वैज्ञानिक बताते हैं कि जो लोग अपने घरों में पौधों को लगाते हैं उन्हें पौधों शेड में ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां जब भी धूप आए उन्हें मिलती रहे। धूप न लगने की वजह से पौधों को पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रीयंट नहीं मिलेगा और पौधे डेड होने लगेंगे।
पौधों में होने वाली बिमारी
अत्यधिक ठंड पडने की वजह से पौधों में बिमारियां लगने लगती है। जिससे पौधे बुरी तरह प्रभावित होते है। इनमे वेल्टिंग, डंपिंग और फ्रास्ट बाईट का नाम आता है।
बिमारी और पौधे पर उसका असर
हर बिमारी का पौधों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
डंपिंग बिमारी अधिक ठंड पडऩे की वजह से होती है।
इस बिमारी के शिकार अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में उगने वाले पौधों में होते हैं। इस बिमारी से पौधे झुक जाते है। लगभग खत्म ही हो जाते है।
फ्रास्ट बाईट यह बिमारी पौधों मे तब होती है जब पाला पड़ता है। इस समय पौधों की पत्तियां काली पडऩे लगती है। उनकी ग्रोथ रूक जाती है जिसके चलते पौधे पूरी तरह से मर जाते हैैै।
पौधों को ठंड से बचाने के लिए उन्हें छायादार जगह पर रखना चाहिए। यह स्थान ऐसा हो जहां पर उन्हें पर्याप्त मात्रा में धूप और ऑक्सीजन मिल सके। इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होगी और पौधे ठंड से भी बचे रहेंगे।
डॉ अनीता तोमर वैज्ञानिक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद पुनस्र्थापन केंद्र