जल भराव के चलते सोमवार से बॉडी जलाने को लगी रोक

PRAYAGRAJ: गंगा में आई बाढ़ का खौफ रसूलाबाद के तराई बेल्ट में भी देखने को मिल रहा है। निचले इलाके में बने मकानों में बाढ़ का पानी भर गया है। शवदाह स्थल पूरी तरह डूब गया है। हालात यह हैं कि स्वर्ग धाम नाम से बने गेट पर बोट चल रही है। ऐसी स्थिति में यहां सोमवार से बॉडी के अंतिम संस्कार का काम बंद कर दिया गया है। रविवार तक यहां पार्क में बॉडी जलाई जा रही थी। रसूलाबाद घाट के आसपास तराई इलाके के कई मानों का एक फ्लोर भी डूब गया है।

शंकर घाट भेजी जा रही बॉडी

शहर के रसूलाबाद का एरिया गंगा से काफी ऊंचाई पर बसा है। पिछले कुछ वर्षो में तमाम घाट के आसपास तराई बेल्ट में मकान बनवा लिए। इन मकानों का एक फ्लोर बाढ़ के पानी से डूब गया है। यहां भी लोग मकान के दूसरे व तीसरे फ्लोर पर डेरा डाले हुए हैं। लगातार बढ़ रहे पानी को देखते हुए निचले इलाके के लोग खौफजदा है। बाढ़ के चलते घाट पर जिस जगह बॉडी जलाई जाती थी वहां लबालब पानी भर गया है। नाविक बताते हैं कि यहां दस से बारह फिट पानी का गहरान है। घाट के गेट पर भरा पानी भी सात से आठ फीट बताया जा रहा है। ऐसी स्थिति में रसूलाबाद घाट पर बॉडी के अंतिम संस्कार रोक दिया गया है। बॉडी लेकर आने वालों को अंतिम संस्कार के लिए शंकर घाट विद्युत शवदाह गृह भेजा जा रहा है। अब यह बात दीगर है कि लोग वहां न ले जाकर कहीं और अंतिम संस्कार कर रहे हों, यह उनकी इच्छा पर निभर है।

फाफामऊ घाट पर भी भरा पानी

फाफामऊ में भी बाढ़ की वजह से अंतिम संस्कार योग्य स्थान नहीं बचा है। लोग बताते हैं कि ऐसी स्थिति में यहां भी बॉडी के अंतिम संस्कार पर ब्रेक लगा दी गई है। रसूलाबाद और फाफामऊ घाट पर बॉडी के अंतिम संस्कार पर रोक के चलते पब्लिक को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

घाट पर रविवार तक पार्क में बॉडी जलाई गई है। रात भर में इस पार्क में भी पानी भर गया है। ऐसी स्थिति में यहां बॉडी के अंतिम संस्कार पर रोक लगा दी गई है। तराई वाले बेल्ट के कई मकान का एक फ्लोर डूब गया है। वहां के लोग नाव से आवागमन कर रहे हैं।

रंजीत निषाद, रसूलाबाद घाट

घाट पर सोमवार से अंतिम संस्कार का काम बंद हो गया है। हम नाविक उन्हीं की मदद में लगे हुए हैं। यहां पानी तेजी से बढ़ रहा है। बावजूद इसके सरकार की तरफ से घाट पर गोताखोर की व्यवस्था नहीं है। पानी का बढ़ना बंद नहीं हुआ तो एक दो दिन में स्थिति बदतर हो जाएगी।

सुरेश निषाद, रसूलाबाद घाट