प्रयागराज (ब्यूरो)। माघ मेला पांटून पुल पांच से चार तक का एरिया गंगा में बढ़े जल स्तर की गिरफ्त में आया है। इन क्षेत्रों में तमाम साधु संतों के मठ लगाए गए थे। इन मठों में सैकड़ों कल्पवासी पुण्य की आश लिए कल्पवास कर रहे थे। अचानक आई बाढ़ से वह सभी प्रभावित हो गए। मठ व टेंट में पानी भर गया। टेंट में रखे कल्पवासियों के सिर्फ रजाई गद्दा ही नहीं, खाने पीने के सामान भी पानी में भीग कर खराब हो गए। हालात से हाहाकार मच गया और कल्पवासी टेंट को छोड़कर सुरक्षित ठौर की तलाश में जुट गए। बताते हैं कि कोई परिचित व रिश्तेदारों के टेंट में रुका तो कुछ सरकारी टेंट में शरण लिए। रातों-रात बाढ़ क्षेत्र के मठ को व कैंप को हटाकर प्रशासन सुरक्षित जोन में स्थापित कर दिया। कहा जा रहा है कि अब सभी दूसरों के टेंट से सेफ स्थान पर बसाए गए अपने महंत व पण्डा के मठ एवं आश्रम में जा पहुंचे हैं। इस समस्या को लेकर कल्पवासियों में आक्रोश दिखाई दिया। कहना था कि सभी को मालूम है कि प्रयागराज में माघ मेला चल रहा है। फिर भी गंगा में पानी छोड़ दिया गया जो कल्पवासियों व संतों के लिए समस्या बन गया।
हमें कल्पवास करते हुए आज दस साल हो रहे हैं। गंगा में जल स्तर बढऩे से कल्पवासियों व संतों को जगह खाली करनी पड़े ऐसी समस्या कभी नहीं दिखाई दी। सब को मालूम है कि माघ मेला चल रहा तो पानी छोडऩा ही नहीं चाहिए था। थोड़ा जल स्तर और बढ़ता तो हमारे कैंप में भी पानी का आना तय था।
जगनारायण मिश्र, कल्पवासी दो तुमड़ी झण्डा
यह सब प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। गंगा के इतने करीब संतों व महात्माओं एवं संस्थाओं को बसाना ही नहीं चाहिए था। बाढ़ कब आ जाय यह कौन जानता है? मेला की तैयारी के वक्त इस पर ध्यान नहीं दिया गया। अधिकारियों से कुछ कहिए तो सुनने को तैयार नहीं होते। इतनी अव्यवस्था मेला में कभी नहीं थी।
राजेश दुबे पण्डा, दो तुमड़ी का झण्डा
गंगा में बाढ़ पांटून पुल पांच व चार के पास निचले वाले हिस्से में आई थी। जैसे जैसे पानी बढ़ता गया लोग संत महात्मा व कल्पवासी स्थान छोड़ते गए। अब लोग कल्पवास करने आए हैं तो महीने भर रहना ही है। घर तो नहीं गए लेकिन जान पहचान व रिश्तेदारों के यहां शरण जरूर लिए। मेरे टेंट में ही तीन कल्पवासी रीवां के रुके थे। व्यवस्था हो गई तो वह फिर अपने मठ में चले गए।
रामदरस, कल्पवासी दण्डी बाड़ा
हमारे महंत का आश्रम बाढ़ वाले एरिया से सटा था। थोड़ा पानी और बढ़ता तो हम लोग भी प्रभावित हो जाते। बाढ़ क्षेत्र में हमारे रीवां के कई रिश्तेदारों का टेंट था। जब उनके मठ और टेंट में पानी भरा तो कुछ हमारे पास आ गए कुछ दूसरे लोगों के पास चले गए। कल्पवास करने आए हैं तो घर जा नहीं सकते थे। किसी तरह कहीं तो रहना ही था। अब तो सब की व्यवस्था कहीं न कहीं हो गई है।
विधाता प्रसाद, कल्पवासी वैष्णव आश्रम
पांच नंबर पुल के पास हमारे चार रिश्तेदारों का टेंट था, पानी भरने क बाद वह हमारे टेंट पर रुके हुए हैं। वह सभी आत्म कल्याण सेवा ट्रस्ट के कैंप में रहकर कल्पवास कर रहे थे। गंगा का पानी ट्रस्ट के पूरे कैंप में भर गया मगर कैंप अब भी वहीं ही है। लाइट व पानी की सप्लाई भी ठप कर दी गई है। ट्रस्ट के संरक्षण पूर्व प्रमुख कुलदीप पांडेय ने लाइट के लिए जनरेटर व पानी के लिए टैंकर मंगवाए हैं। मगर अब टेंट आदि की व्यवस्था में वक्त तो लगेगा ही।
श्याम बिहारी मिश्र, कल्पवासी मेड़ा वाले महराज
यह माघ मेला क्षेत्र है, यहां सब कुछ मां गंगा की मर्जी से हो होता है। कैंप में बाढ़ का पानी भर गया था अब नहीं है। प्रशासन ने लाइट पानी की सप्लाई ठप किया है। यहां भागवत कथा का आयोजन होने वाला है। ऐसे में हम कैंप हटा नहीं सकते। इसी लिए जनरेटर से लेकर पानी तक का सारा इंतजाम खुद कर लिए है। हम प्रशासन से जमीन के सिवाय कोई सुविधा नहीं लेते।
कुलदीप पांडेय
पूर्व ब्लाक प्रमुख व संरक्षक आत्म कल्याण सेवा ट्रस्ट