ट्रांसफार्मर डूबने से आधा दर्जन से अधिक मोहल्लों में विद्युत आपूर्ति ठप

डीजल से लैंप-ढिबरी जलाना छतों पर बसर करने वालों की मजबूरी

PRAYAGRAJ: गंगा और यमुना का जलस्तर कभी स्थिर तो कभी बढ़ना शुरू हो जा रहा है। बुधवार की रात पानी बढ़ने की रफ्तार कुछ स्लो जरूर हो गयी है। रात में एक सेंटीमीटर की रफ्तार से पानी का बढ़ना जारी था। दिन में बारिश होने के चलते मोहल्लों में जिंदगी जीना मुश्किल हो गयी है। मोहल्ले की गलियों में पानी भर जाने से दस हजार से ज्यादा लोग छत पर रात बिताने को मजबूर हैं। बाढ़ का पानी भरने से सारी व्यवस्थाएं छिन्न-भिन्न हो गई हैं। बिजली विभाग के आठ ट्रांसफार्मर बाढ़ में डूब गए हैं। इससे बाढ़ प्रभावित मोहल्लों की बिजली काट दी गई है। बाढ़ से जूझ रहे लोगों को अब अंधेरे से भी डर लग रहा है। रोशनी के लिए उन्हें 90 रुपये लीटर डीजल की ढिबरी जलानी पड़ रही है।

इन इलाकों की काटी गई सप्लाई

गंगा और यमुना में आई बाढ़ से हजारों लोगों के जिंदगी की रफ्तार थम गई है। दफ्तर और काम धंधे से ज्यादा वह खुद और परिवार की सेफ्टी को लेकर परेशान हैं। छोटा बघाड़ा, अमिताभ बच्चन की पुलिया, बेली कछार और मऊ तरइया कछार व अशोक नगर, जैसे दर्जनों मोहल्लों में बाढ़ से जिंदगी नारकीय हो गई है। यहां से ज्यादातर लोग घर छोड़कर दूसरी जगह शरण ले चुके हैं। फिर भी हजारों लोग इन इलाकों में अब भी हैं। घरों में पानी भरने या एक फ्लोर डूब जाने के चलते सभी दूसरे व तीसरे तल पर जिंदगी बसर कर रहे हैं। बाढ़ से जूझ रहे ऐसे लोगों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है। छोटा बघाड़ा में चार, अमिताभ बच्चन एरिया के दो, बेछली कछार के दो, मऊ तरइया कछार में एक, अशोक नगर में दो, राजापुर गंगानगर तराई बेल्ड में दो कुल आठ से दस ट्रांसफर बाढ़ के पानी में डूब गया है। इसकी वजह से बिजली विभाग इन इलाकों की बिजली काट दिया है। बाढ़ के पानी में करंट उतरने का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। विद्युत आपूर्ति बाधित होने से छतों पर रहने वालों को रोशनी के लिए केरोसिन व डीजल का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रति लीटर 90 रुपये के डीजल से बाढ़ में छतों पर रहने वाले लोग ढिबरी जलाकर जीवन यापन करने को मजबूर हैं। एक तो कमाई बंद है ऊपर से 90 रुपये प्रति लीटर डीजल रोशनी के लिए खरीदने वाले लोगों का दिल रो रहा है। बाढ़ का पानी हटने तक यहां आपूर्ति बाधित रहने की उम्मीद है। ऐसे में तब तक हजारों लोगों को डीजल व केरोसिन एवं कैंडल से ही रोशनी करके काम चलाना पड़ेगा। विभाग के मुताबिक एक ट्रांसफार्मर पर कम से कम 250 कनेक्शन दिए गए हैं। इस पर गौर करें तो मतलब यह हुआ कि करीब दो हजार घरों में बल्ब की रोशनी बुझ गई है। कहा यह जा रहा है कि बाढ़ के हालात यही रहे तो कई और मोहल्लों की बिजली आपूर्ति ठप कर दी जाएगी। बलुआघाट बाबा जी की बाग एरिया में बाढ़ का पानी घरों में घुस गया है। लोग छत पर शरण ले चुके हैं। बाबू लाल शर्मा कहते हैं कि यहां पानी निकासी के लिए करीब नौ पम्प लगाए गए हैं। बावजूद इसके सभी पम्प चला कर पानी निकालने का काम नहीं किया जा रहा।

अंधेरे में बढ़ा सांप बिच्छू का खतरा

बाढ़ प्रभावित एरिया की बिजली आपूर्ति बाधित करने से हुए अंधेरे के चलते लोगों के लिए दोहरा खतरा उत्पन्न हो गया है। एक तो बाध के पानी का दूसरा पानी की वजह से जलीय जहरीले जीवों का। पानी भर जाने के कारण सांप जैसे तमाम जीव भी सुरक्षित ठौर की तलाश में घरों के अंदर घुस सकते हैं। छतों पर बस कर रहे लोगों के लिए यह सांप और बिच्छू खतरा बन सकते हैं। हालांकि अभी बाढ़ में फंसे लोगों को जहरीले जंतुओं के काटने से किसी अप्रिय घटना की खबर सामने नहीं आई है।

बाढ़ के पानी में कई जगह रखे ट्रांसफार्मर डूब गए हैं। जितना संभव हो सका ट्रांसफार्मर हटाकर सुरक्षित किए गए हैं। ट्रांसफार्मर डूबने व करंट उतरने के खतरे को देखते हुए कुछ मोहल्लों की आपूर्ति ब्रेक की गई है। क्योंकि यदि बाढ़ के पानी में करंट उतर गया तो बड़ी घटना हो सकती है।

आरके सिंह

नोडल अफसर बाढ़ विद्युत विभाग