प्रयागराज ब्यूरो । अगर इच्छा हो तो बड़े से बड़े चैलेंज से निजात पाई जा सकती है। फिर वह पाल्यूशन को लेकर भले ही क्यों न हो। प्रयागराज ने महज तीन साल के भीतर इस उपलब्धि को हासिल कर खुद को साबित कर दिया है। मामला पाल्यूशन से जुड़ा हुआ। 2020 में ग्रीन पीस आर्गनाइजेशन की रिपोर्ट में संगम नगरी को देश के टॉप टेन प्रदूषित शहरों में एक बताया गया था। इसी आर्गनाइजेशन की हालिया रिपोर्ट में प्रयागराज देश के सर्वाधिक प्रदूषित सौ शहरों की लिस्ट में भी शामिल नही है, जो स्थानीय निवासियों के लिए किसी गौरव से कम नही है। आइए जानते हैं कि कौन से पांच ऐसे फैक्ट रहे, जिनकी वजह से हमें यह उपलब्धि हासिल हुई है।
1- सीएनजी वाहनों का बढ़ा रहा क्रेज
पिछले कुछ सालों में शहर में सीएनजी वाहनों का जबरदस्त क्रेज बढ़ा है। तीन पहिया और चार पहिया के अलावा भारी वाहनों में भी सीएनजी किट का यूज किया जा रहा है। आंकड़ों पर जाएं तो इस समय डेढ़ लाख सीएनजी वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं। एक्सपर्ट बताते हैं पेट्रोल और डीजल वाहनों के धुएं में शामिल कार्बन और सल्फर गैसों से पाल्यूशन बढ़ता है। लेकिन सीएनजी वाहनों में इससे निजात मिल जाती है।
2- चौड़ी सड़कें और पानी का छिड़काव
पांच साल पहले तक शहर की तमाम सड़कों की चौड़ाई कम थी और फुटपाथ उचित प्रकार से नही बने होने से लगातार धूल उड़ा करती थी। लेकिन लगातार हो रहे रोड चौड़ीकरण और नगर निगम द्वारा नियमित सड़कों पर पानी के छिड़काव से धूल की समस्या काफी हद तक कम हो गई है। पानी के छिड़काव के लिए तीन दर्जन से अधिक टैंकर को लगाया गया है।
3- ईट भट््ठों पर जमकर हुई कार्रवाई
शहरी सीमा में मौजूद ईट भट्ठों को भी नियमों के तहत हटाया गया है। इनको शहरी सीमा से दूर किया गया है। इस कार्रवाई में पाल्यूशन विभाग की ओर से कई ईट भट्ठों को एनओसी जारी करने से मना कर दिया गया है। इसकी वजह से इनकी चिमनियां बुझ गई और शहरों को पाल्यूशन से निजात मिल गई। अब ग्रामीण एरिया में बने ईट भट्ठों की चिमनियों में भी कई सुधार कराए जा रहे हैं।
4- खुलेआम कूड़ा जलाने पर लगा जुर्माना
पूर्व में शहर में जगह जगह कूड़ा जलाने का प्रचलन था। कागज, पालिथिन, टायर आदि जलाने से शहर की आबो हवा मैली हुआ करती थी। कुछ साल पहले नगर निगम ने नियम बनाकर सार्वजनिक रूप से कूड़ा जलाने पर रोक लगा दी। ऐसा करने से पांच से दस हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जाने लगा। इसके अलावा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन होने से मोहल्लों में जलाने के लिए कूड़ा अब बच भी नही रहा है।
5- रोड किनारे डस्ट क्लीनिंग
नगर निगम ने रोड किनारे एकत्र होने वाली धूल को खत्म करने के लिए डस्ट क्लीनिंग शुरू की है। इसके लिए तीस तीस लाख की लागत की दो वाहन मंगाई गई हैं। यह वाहन शहर की तमाम सड़कों पर सुबह से शाम तक डस्ट क्लीनिंग का काम करती हैं। इससे एयर पाल्यूशन पर रोक लगाने में अधिक सफलता मिली है। नगर निगम जल्द तीन नई गाडिय़ा खरीदने की तैयारी में लग गया है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत नगर निगम ने एक हजार सफाई कर्मियों की आउट सोर्सिंग से नियुक्ति कर सड़कों पर दो शिफ्ट में लगाया है।
बॉक्स
कितना हुआ है सुधार
2020 में आई ग्रीन पीस आर्गनाइजेशन की पाल्यूशन रिपोर्ट में देश के टॉप टेन शहरों
में यूपी के छह शहर शामिल थे। इनमें प्रयागराज सातवें नंबर पर था और इसका पीएम 10 231 बताया गया था। जो एयर पाल्यूशन के मानक में काफी निचला माना जाता है। 2023 की हालिया रिपोर्ट में यूपी के आधा दर्जन शहर देश के टॉप 75 शहरों में शामिल हैं। जिनमें लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, हापुड़, नोयडा और ग्रेटर नोयडा शामिल हैं। लेकिन प्रयागराज का कहीं नाम नही है जो वाकई किसी एचीवमेंट से कम नही है।
आई कालिंग
ट्वीट
यह एक अच्छा अचीवमेंट है और इसके लिए टोटल पब्लिक को क्रेडिट मिलना चाहिए। लोगों में जागरुकता बढ़ रही है और लोग सफाई के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ रहे हैं।
हिमांशु अग्रवाल
नियमों में बदलाव हुए हैं। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सड़कों का चौड़ीकरण और साफ सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है। सुबह शाम झाड़ू लगाकर धूल को कम किया जा रहा है जो अच्छा कदम है।
मनीश शुक्ला
शहर में सीएनजी वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है जो तारीफ की बात है। लोग खुद शहर को प्रदूषित नही करना चाहते हैं। इससे वाहनों से निकलने वाले घातक धुएं से निजात मिली है।
प्रतीक पांडेय
पहले देखते थे कि शाम होते ही शहर की तमाम सड़कों पर कूड़ा जलाया जाने लगता था। इससे हर तरफ धुआं फैल जाता है। अब लोगों को डर लगता है। क्योंकि नगर निगम वाले तत्काल जुर्माना करते हैं।
वागेश धर
प्रयागराज की पाल्यूशन में टॉप रैकिंग ऐसे ही नही कम हुई है। इसके लिए नगर निगम, पब्लिक सहित तमाम विभागों का प्रयास शामिल है। आने वाले समय में स्थिति में इससे अधिक सुधार दिखेगा।
आरके सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड प्रयागराज