प्रयागराज ब्यूरो । प्लान तो बिल्कुल सही बनाया था। व्हाट्सऐप पर मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के बेटे की फोटो लगाकर एकाउंटेंट से दो करोड़ आठ लाख की ठगी भी कर ली थी। रकम भी अलग अलग खातों में जमा हो गई थी। लेकिन, इतना सब होने के बाद भी यह स्मार्ट ठग पुलिस के हाथों से नही बच सके। साइबर थाने की पुलिस ने इस मामले में आरोपित पांच लोगों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया है। इनके पास से 14 मोबाइल, दस एटीएम कार्ड और 10 सिम कार्ड बरामद किए गए हैं।

क्या था मामला

पुलिस की गिरफ्त में आए अभियुक्त एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी सुरजीत, लीडर आयल कार्पोरेशन लिमिटेड के मालिक व खाताधारक संजीव और हैकर दिव्यांशु, पुलकित द्विवेदी, विजय कुमार शामिल हैं। इनको रविवार शाम कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। इस ठगी में शामिल बाकी शातिरों की पुलिस

तलाश कर रही है। बता दें कि साइबर अपराधियों ने 13 नवंबर को मंत्री नंदी के बेटे अभिषेक गुप्ता की वाट््सएप पर फोटो लगाकर उनकी कंपनी के अकाउंटेंट रितेश श्रीवास्तव को मैसेज भेजा। इसके बाद अलग-अलग बैंक खाते में दो करोड़ आठ लाख रुपये की आनलाइन ठगी कर ली थी। पुलिस द्वारा साइबर अपराधियों के खाते में ठगी के 12 लाख 22 हजार रुपये फ्रीज करवाया जा चुका है।

किस तरह से काम करता है गैंग

जानकारी के मुताबिक यह लोग टेलीग्राम एप के माध्यम से विदेश में बैठे साइबर ठगों से जुड़े हुए थे। उनका गैंग दो तरह से ठगी करता है। पहले तरीके में विदेशी ठग भारत के लोगों को इनवेस्टमेंट स्कैम, आनलाइन गेङ्क्षमग स्कैम, डिजिटल अरेस्ट, बड़े-बड़े बिजनेसमैन और नेताओं की फर्जी वाट््सएप डीपी लगाकर विभिन्न तरीकों से संपर्क करते हैं। फिर उन्हें झांसे में फंसाकर रकम ट्रांसफर करवाते हैं। वही दूसरे तरीके में भारत के अलग-अलग राज्य में बैठे एजेंट भोले-भाले लोगों को पैसा कमाने का लालच देकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवाते हैं। इसके बाद अपने पास बुलाकर खाते संबंधी सभी दस्तावेज रख लेते हैं। ओटीपी फारवर्डर एप को संबंधित बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर वाले फोन में ङ्क्षलक को इंस्टाल करते हैं। इससे बैंक द्वारा ट्रांजेक्शन के दौरान आने वाली ओटीपी सीधे विदेश में बैठे साइबर ठगों के पास पहुंचती है। इसके बाद वह लोग यूएसडीटी (क्रिप्टो करेंसी) के माध्यम से भारत में बैठे एजेंट को कमीशन देते हैं। पहचान गोपनीय रखने के लिए अभियुक्त वीपीएन एवं आईपी बाउंस कराने जैसी तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं।

इन्होंने की थी करोड़ों की ठगी

-दिव्यांशु पुत्र धनंजय कुमार ङ्क्षसह निवासी तिलक नगर, कंकणबाग, पटना बिहार

-पुलकित द्विवेदी पुत्र आशुतोष कुमार निवासी खंडेरायपुर बगली पिजारा, रानीपुर मऊ यूपी

-संजीव कुमार पुत्र झांजय राय निवासी वीरपुर मकरूका भोजीपुरा, बरेली

-सुरजीत ङ्क्षसह पुत्र सत्यपाल निवासी इटउआ धुरा, बहेड़ी बरेली

-विजय कुमार पुत्र मुरारी लाल निवासी डंडिया बीरम नंगला, नवाबगंज बरेली

बीटेक पढ़ाई से मार्केट नेटवर्किंग का तय किया सफर

बीटेक की पढ़ाई की थी

पूछताछ में पता चला कि हैकर दिव्यांशु, पुलकित और विजय ने अलग-अलग कालेज से बीटेक की पढ़ाई की थी। इसके बाद तीनों नेटवर्किंग मार्केङ्क्षटग में काम करने लगे थे। इसी दौरान उनकी दोस्ती हुई और फिर साइबर अपराधियों के गैंग में शामिल होकर ठगी करने लगे। अभियुक्तों ने संजीव को बताया था कि उसके खाते में सट्टा का पैसा आएगा। जबकि सुरजीत कई लोगों को खाता खुलवाकर कमीशन ले चुका है। आरोपित करीब तीन साल से ठगी कर रहे थे, मगर पकड़े नहीं जा सके थे। यही कारण था कि इनका हौसला इतना बढ़ गय ाथा कि यह मंत्री नंदी की कंपनी में ठगी करने का साहस कर बैठे और पकड़े गए।

यह सभी पिछले ती साल से ठगी कर रहे थे। पांच आरोपितों को पकड़कर जेल भेजा गया है और बाकी की तलाश की जा रही है। इन सभी ने व्हाट्सऐप पर मंत्री नंदी के बेटे की फोटो लगाकर उनके एकाउंटेंट से करोड़ों की ठगी की थी।

राजीव तिवारी, प्रभारी, साइबर थाना प्रयागराज