प्रयागराज ब्यूरो । बात छोटी सी है लेकिन आपसी अहम के चलते उलझन सुलझ नहीं पा रही है। जिसका खामियाजा छात्रों का भुगतना पड़ रहा है। बात यहां डॉक्टर्स के रजिस्ट्रेशन नंबर की हो रही है, जिसे इस बार से इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंंट्स के फिटनेस प्रमाण पत्र में अंकित किया जाना है। अब सवाल यह है कि इसे देगा कौन? सीएमओ आफिस के डॉक्टर्स और बेली हास्पिटल के डॉक्टरों के बीच इस मामले को लेकर सवाल जवाब शुरू हा गए हैं। दोनों तरफ से कहना है कि हम आखिर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर क्यों उपलबध कराएं। देानों ओर से वाजिब तर्क भी दिए जा रहे हैं। ऐसे में फिटनेस प्रमाण पत्र बनने के बावजूद यह मान्य नही हो रहा है और स्टूडेंट आफिस और अस्पताल का चक्कर काटने को मजबूर हैं।

पहली बार बनाया गया है नियम

पिछले सालों तक इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिश्न के समय फिटनेस प्रमाण पत्र जमा करवाया जाता था.् लेकिन यह पहली बार है कि नया नियम बनाया गया है। अब छात्रों को इस सर्टिफिकेट में डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर भी डलवाना होगा। तभी जाकर यह मान्य होगा। हम आपको बता दें कि ऐसे छात्र जब सीएमओ आफिस में फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते हैं तो उसे बेली या काल्विन अस्प्ताल में तमाम जांच के लिए भेजा जाता है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद सीएमओ आफिस से फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है।

हम तो हैं साइनिंग अथारिटी

इस मामले में सीएमओ आफिस के अधिकारियों का कहना है कि हम साइनिंग अथारिटी हैं। हमारा काम फिटनेस जारी करना है। जबकि नियमानुसार अस्पताल के डॉक्टर्स रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाते हैं और इसमें उनका रजिस्ट्रेशन नंबर भी अंकित होना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नही है। अस्पताल के सीएमएस को सभी डॉक्टर्स से उनकी मुहर में रजिस्ट्रेशन नंबर डलवाना चाहिए। जिससे फिटनेस प्रमाण पत्र में रजिस्ट्रेशन नंबर लगवाने के नियम को पूरा किया जा सके।

अस्पताल दे रहे हैं अपना तर्क

बेली अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि प्रमाणपत्र सीएमओ कार्यालय की तरफ से जारी किया जाता है। ऐसे में वहां के अधिकारी को प्रमाण पत्र पर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित करना होगा। उनका कहना है कि एक प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कई प्रकार की खून और आंख की जांच होती है। जो डॉक्टर जांच करेगा वह रिपोर्ट में अपना रजिस्ट्रेशन नंबर डाल देगा लेकिन प्रमाण पत्र सीएमओ कार्यालय से जारी होता है, इसलिए उस पर उनका रजिस्ट्रेशन नंबर ही डाला जाना चाहिए।

आखिर कहां जाएंगे स्टूडेंट

काम्पिटिशन का रिजल्ट आने के बाद चयनित छात्रों को ट्रिपल आईटी, आईआईटी, आईईआरटी, एमएनआईटी सहित कई अन्य इंजीनियरिंग संस्थाओं में प्रवेश लेना है। अगर समय से इस समस्या का हल नही निकला तो नियमों की चक्की में स्टूडेंट फंसकर रह जाएंगे। क्योंकि कॉलेजेस की ओर से बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के प्रमाण पत्र को अमान्य कर दिया जा रहा है। भीषण गर्मी और उमस में सीएमओ कार्यालय व अस्पतालों का चक्कर काटने पर मजबूर छात्र इस समस्या का हल निकलने की मांग कर रहे हैं।

मैं तो काउंटर साइन करने को तैयार हूं। हमारा प्रशासनिक कार्यालय है। जांच तो अस्पताल में होती है। उनको अपनी मुहर पर रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित करना चाहिए। बेली अस्पताल में एक पैनल बनाकर सारी जांच के बाद किसी भी एक चिकित्सक से प्रमाणित कराया जाना चाहिए। इसमें उसका रजिस्ट्रेशन नंबर पड़ा होगा और उस पर हम काउंटर साइन कर देंगे।

डॉ। नवीन गिरि, एसीएमओ प्रयागराज

अस्पताल में तमाम तरह की छात्रों की जांच की जाती है। हम उनकी जांच रिपोर्ट पर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर डाल देंगे। हम प्रमाण पत्र पर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर नही डाल सकते हैं।

डॉ। आरपी मिश्रा, सीएमएस, बेली अस्पताल, प्रयागराज।