प्रयागराज ब्यूरो ।वर्ष 2025 में महाकुंभ की का स्वरूप काफी विशाल होगा। ऐसा पहली बार होगा जब तंबुओं का यह शहर नैनी एग्रीकल्चर कॉलेज से शिवकुटी तक दिखाई देगा। ऐसा महाकुंभ में आने वाली श्रद्धालुओं की अनुमानित भीड़ के मद्देनजर प्लान किया गया है। यह व्यवस्था महाकुंभ के दौरान ट्रैफिक प्रेशर को भी शहर में कम करने के इरादे से की जाएगी। विशेष स्नान पर्वों पर आने वाले श्रद्धालुओं को शिवकुटी व नैनी साइड में एग्रीकल्चर कॉलेज के पास से ही मेला क्षेत्र में उतारा जाएगा। इस पूरे मेला क्षेत्र में आकर्षक रोशनी की भी व्यवस्था की जाएगी। पुराना नैनी ब्रिज देखने में थोड़ा अच्छा लगे, इसके लिए ब्रिज के रंगरोगन का भी काम किया जाएगा। बीच में कोई बदलाव नहीं हुआ तो महाकुंभ की बसावट यानी क्षेत्र का प्लान यही रहेगा।
श्रद्धालुओं की भीड़ के बेस पर बंट जाएंगे रूट
कुंभ के दौरान वर्ष 2019 में तंबुओं का यह शहर 3200 हेक्टेयर भू-भाग में बसाया गया था।
उस दौरान इस धार्मिक मेले का विस्तार अरैल से लेकर सलोरी तक पहुंच गया था।
यह दोनों स्लेस तंबुओं के इस शहर का इंडिंग प्वाइंट था।
इससे 800 हेक्टयर अधिक क्षेत्रफल में महाकुंभ को बसाने की तैयारी है।
मतलब यह कि महाकुंभ का बिस्तार चार हजार हेक्टेयर में होगा।
अफसरों की माने तो महाकुंभ की बसावट नैनी एग्रीकल्चर के पास से शुरू होकर अरैल संगम क्षेत्र झूंसी साइड होते सलोरी के आगे शिवकुटी तक पहुंचेगा।
मेला क्षेत्र की बसाट बढऩे के कारण ही 30 पांटून पुल बनाने का निर्णय लिया गया है।
महाकुंभ में आने वाली भीड़ का प्रेशर शहर पर बहुत नहीं पड़े इसकी भी व्यवस्था प्रशासनिक तैयारी के प्लान में है।
इस पर गौर करें तो फाफामऊ से आने वाली भीड़ को पुल के नीचे से पांटून पुल बनाकर कछारी रास्ता से शिवकुटी एरिया तक बसे मेला क्षेत्र में प्रवेश दिला दिया जाएगा।
शेष बची हुई भीड़ को मजार तिराहे से मेला क्षेत्र तक पहुंचाया जाएगा।
कानपुर रोड से आने वाली भीड़ शहर होते हुए मुख्य मार्गों से महाकुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करेगी।
जबकि नैनी एरिया से आने वाली मध्य प्रदेश तक से आने वाले श्रद्धालुओं को एग्रीकल्चर कॉलेज रोड से मेला क्षेत्र में पहुंचा दिया जाएगा।
शेष जो भीड़ बचेगी उसे नए ब्रिज से परेड क्षेत्र होते हुए मेला में प्रवेश दिया जाएगा।
अफसरों का मानना है कि इस तरह भीड़ एक रोड या क्षेत्र में नहीं होने पाएगी और स्मूथली प्लान के मुताबिक महाकुंभ सफल होगा।
चूंकि नैनी का पुराना ब्रिज श्रद्धालुओं के रास्ते में ही पड़ेगा।
वह देखने में खूबसूरत दिखाई दे इसके लिए इस पुल की रंगाई पुताई का काम भी महाकुंभ कार्यों के प्लान में शामिल है।
चूंकि महाकुंभ की बसावट का क्षेत्रफल बढ़ गया है। इसलिए मेला नैनी एग्रीकल्चर के पास से शिवकुटी एरिया तक बसाया जाएगा। क्षेत्रफल बढऩे से आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी। मेला की बसावट कुंभ में भी सलोरी उधर अरैल तक पहुंच गया था।
दयानंद प्रसाद,
अपर मेला अधिकारी