सेंटर आफ मीडिया स्ट्डीज की ओर से ऑनलाइन वर्कशाप में स्टूडेंट्स को मिले टिप्स
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PRAYAGRAJ: सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का जखीरा लगातार प्रस्तुत हो रहा है। ऐसे में आज स्वास्थ्य संबंधी शोध पत्रों, विशेष रूप से कोविड से जुड़े शोध पर रिपोर्टिग के लिए पत्रकारों को सावधानी बरतने की जरूरत है। जर्नलिस्ट ही है, जो लोगों को फेक न्यूज से बचा सकते हैं। यह बात विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक तथा सर्टिफाइड फैक्ट चेकर एवं फैक्ट एंड फिटए हेल्थ फैक्ट चेकिंग इंडिया ट्रेनिंग नेटवर्क के मेंबर निमिष कपूर ने की। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सेंटर आफ मीडिया स्टडीज की ओर से आयोजित ऑनलाइन वर्कशाप के दौरान अपने विचार रखते हुए निमिष कपूर ने कहा स्टूडेंट्स को फेक न्यूज के फैक्ट चेक करने का टिप्स भी दिए।
स्टूडेंट्स को दिया गया प्रशिक्षण
गूगल न्यूज इनिशिएटिव इंडिया के विश्वव्यापी फैक्ट चेक कार्यक्रम फैक्ट एंड फिटए हेल्थ फैक्ट चेकिंग इंडिया ट्रेनिंग नेटवर्क द्वारा समर्थित वर्कशाप में मीडिया स्टडीज के स्टूडेंट्स को ऑन लाइन फैक्ट चेक टूल्स का प्रशिक्षण दिया गया। स्वास्थ्य संबंधी झूठी जानकारियों, अफवाहों, भ्रामक व तोड़मोड़ के बनाई गई खबरों, फोटो, वीडियो और स्रोत की जांच के लिए गूगल रिवर्स इमेज सर्च, इनविद साफ्टवेयर, वाच फ्रेम बी फ्रेम आदि टूल्स की व्यापक जानकारी व डेमो दिया गया।
फेक न्यूज से बचाने के लिए करें अवेयर
सेंटर कोआर्डिनेटर प्रोफेसर संजोय दत्ता राय ने कहा कि पत्रकारिता की विश्वनीयता को बचाए रखने के लिए आवश्यक है कि फेक न्यूज के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए। यही वजह है कि उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मीडिया की जिम्मेदारी पहले से कही अधिक बढ़ गई है। कोर्स कोआर्डिनेटर डॉ। धनंजय चोपड़ा ने निमिष कपूर का स्वागत करते हुए स्वास्थ्य संबंधी फैक्ट चेक एवं वैज्ञानिक रिपोर्टिग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज फेक न्यूज को लेकर सभी चिंतित है। ऐसी वर्कशाप स्टूडेंट्स के लिए बहुत उपयोगी है। वर्कशाप में 60 स्टूडेंट्स व टीचर्स ने प्रतिभाग किया।