प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यहां एक बार फिर गंगा और यमुना नदी में जल स्तर बढऩे लगा है। इसी स्पीड से पानी बढ़ा तो बहुत जल्द छोटा बघाड़ा और सलोरी के तराई स्थित बस्तियों में पानी घुस जाएगा। नदियों में बढ़ते जल स्तर को देख यहां किराए पर रहने वाले छात्र की धड़कन बढ़ गई है। पानी मोहल्लों में रहना दुश्वार हो जाएगा। ऐसे में उन छात्रों के पास दो ही आप्शन होते हैं। वह घर चले जाएं या फिर सेफ जोन में रहने वाले छात्रों के रूम में शरण लें।


80.78 सेंटीमीटर है फाफामऊ गंगा का जल स्तर
80.09 सेंटीमीटर जल स्तर छतनाग में नापा गया
80.71 सेंटीमीटर पानी नैनी साइड यमुना में रेकार्ड

रूम छोड़ जाना पड़ता है घर
गंगा और यमुना नदी में एक बार फिर बढ़ रहे जल स्तर को देखते हुए सिंचाई विभाग अलर्ट हो गया है। बढ़ते जल स्तर पर विभाग की टीम बराबर नजर बनाए हुए है। सोमवार को फाफामऊ में 80.78 सेंटीमीटर गंगा में जल स्तर रेकार्ड किया गया। इसी तरह छतनाग घाट पर 80.09 सेंटीमीटर जलस्तर रहा। जबकि नैनी में यमुना का जलस्तर 80.71 सेंटीमीटर रेकार्ड किया गया है। शाम के वक्त चार घंटे के इस रेकार्ड को देखते हुए विभागीय एक्सपर्ट मान रहे हैं कि पानी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगा। पानी उसी स्थिति में बढ़ेगा जब गैर प्रदेशों का पानी बांध की क्षमता से अधिक पहुंचेगा। फिलहाल ऐसी संभावना अभी नजर नहीं आ रही है। बहरहाल, गंगा में जल स्तर बढ़ते देखकर निचले इलाके सलोरी व छोटा बघाड़ा एरिया में किराए पर रहने वाले छात्रों की धड़कनें तेज हो गई हैं। उनका कहना है कि पानी अधिक बढऩे पर ज्यादातर मकानों के एक फ्लोर तक डूब जाते हैं। ऐसे में उन्हें रूम के साथ पढ़ाई छोड़कर घर जाना पड़ता है।

हम छोटा बघाड़ा में रेंट पर रूम लेकर पढ़ाई करते हैं। कुछ हफ्ते पूर्व गंगा के बाढृ का पानी मोहल्ले में घुस आया था। आवागमन में काफी दिक्कत हुई थी। बिजली काट दी गई थी, मच्छरों ने दीना दुश्वार कर दिया था। रूम देते समय मालिक कहते हैं कि बाढ़ का पानी नहीं आता। अब 3500 रुपये प्रति माह का रूम लिए हैं।
अभिषेक यादव, छात्र

जिस मकान में किराए पर रहकर पढ़ते हैं ग्राउंड फ्लोर तक पानी आ गया था। हम तो बाढ़ देखते हुए घर चले गए थे। इतनी जल्दी न तो यहां रूम मिलता है और न ही चेंज किया जा सकता है। गंगा जी में पानी घटने पर आया था। मगर, फिर पानी बढऩे लगा है। एक दिन ऐसे ही बढ़ा तो फिर घर जाना पड़ेगा।
शिवम यादव, प्रतियोगी छात्र

छोटा बघाड़ा में तो जिधर हम रहते हैं लोगों के एक फ्लोर तक डूब जाते हैं। यहां ज्यादातर मकानों में मालिक तो रहते नहीं हैं। यहां पिछले चार साल से हम यही देखते आ रहे हैं। कहीं और जाइए तो चार से पांच हजार एक रूम का किराया मांगते हैं। बाढ़ कुछ दिन की बात होती है, मैनेज कर लिया जाता है।
अजय गोस्वामी, प्रतियोगी छात्र

सर, बाढ़ से जो दिक्कत होती है वह सबसे ज्यादा मच्छर और गंदगी एवं पेयजल की है। ज्यादा पानी आता है तो हम स्टूडेंट सामान सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर शिफ्ट करके घर चले जाते हैं। यहां छोटा बघाड़ा में ज्यादातर स्टूडेंट दोस्तों के रूप पर कुछ दिन के लिए चले जाते हैं। ऐसे ही रूम मैनेजमेंट बाढ़ पीरियड में किया जाता है।
गोविंद गिरि, प्रतियोगी छात्र

सोमवार शाम के समय चार घंटे में फाफामऊ में जल स्तर थोड़ा घटा है। यमुना में जल स्तर बढ़ रहा है। यदि बांध से पानी नहीं छोड़ा गया तो नदियों में जलस्तर बहुत बढऩे की उम्मीद नहीं है।
दिनेश त्रिपाठी, एई सिंचाई विभाग