- दो सालों से बगैर परीक्षा के ही पास हो रहे स्टूडेंट्स
- सब्जेक्टिव पेपर नहीं होने से तैयारियों पर पड़ता है असर
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PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी के कारण सबसे ज्यादा बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। खासतौर पर 9वीं व 10वींके बच्चों की पढ़ाई पर सबसे अधिक असर हुआ है। लास्ट इयर जो स्टूडेंट्स 9वीं में प्रमोट हुए थे। वो स्टूडेंट्स इस बार 10वीं बोर्ड की परीक्षा में भी प्रमोट कर दिए गए। ऐसे में लगातार दो साल से बगैर परीक्षा के ही प्रमोट हो रहे स्टूडेंट्स की पढ़ाई और कांफिडेंस पर कितना असर पड़ रहा है। इसको जानने के लिए दैनिक जागरण आई- नेक्स्ट ने 10वीं में प्रमोट हुए स्टूडेंट्स और फ्री ऑफ कास्ट प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रहे पीसीएस अधिकारी से बात की। हालंाकि सभी का कहना है कि इससे स्टूडेंट्स की नींव कमजोर हुई है।
लास्ट इयर कई चैप्टर पर चली थी कैंची
दसवीं में प्रमोट होने वाले स्टूडेंट्स का मानना है कि परीक्षाएं अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। क्योकि इससे स्टूडेंट्स के अंदर कांफिडेंस बढ़ता है। लेकिन लास्ट इयर भी कुछ ही सब्जेक्ट का पेपर हो सका था। जबकि बाकी बचे पेपर कैंसिल करके सभी को प्रमोट कर दिया गया। कोरोना के कारण 10वीं में कई चैप्टर पर कैंची चली थी। ऐसे में उनक चैप्टर को पढ़ने का मौका नहीं मिला। इससे 11वीं में जब उन टापिक के चैप्टर पढ़ने पड़ेगे तो अधिक मेहनत करनी होगी। जबकि अगर पढ़ाई सही ढंग से होती और चैप्टर पर कैंची नहीं चलती तो, 11वीं में पढ़ाई में ज्यादा दिक्कत नहीं होती। लेकिन अब पढ़ाई और चैप्टर की शुरुआती चीजों की जानकारी नहीं होने से दिक्कत तो होनी तय है।
- परीक्षा होनी चाहिए थी। बगैर परीक्षा के दो साल से पास हो रहे हैं। परीक्षा देकर पास होने से कांफिडेंस बढ़ता है। जिससे नेक्स्ट क्लास में पढ़ाई में ज्यादा मन भी लगता है।
आंचल द्विवेदी
- कोरोना के कारण कई चैप्टर इस बार कम कर दिए गए थे। स्कूल के टीचर्स ने बताया कि 11वीं में वो चैप्टर रहेंगे। अब उन चैप्टर को शुरुआत से समझना होगा।
सरिता यादव
- दो बार से परीक्षा नहीं देने का इफेक्ट तो पड़ेगा। 11वीं का सिलेबस भी बड़ा है। ऐसे में अधिक मेहनत करनी होगी। फिलहाल ऑनलाइन मैटेरियल से पढ़ाई शुरु कर दी है।
अंजली द्विवेदी
- पेपर होता तो अच्छा होता। 11वीं में सिलेबस अधिक है। पेपर देकर पास होने पर काफी तैयारी रहती है। ऐसे में उससे जुड़े चैप्टर समझने में आसानी होती है।
अल्का पटेल
- ऑनलाइन क्लासेस कभी भी आफलाइन का विकल्प नहीं हो सकती है। परीक्षा नहीं होने से बच्चों की नींव कमजोर होती है। ऐसे में 11वीं में अधिक मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए बच्चों के साथ ही टीचर्स, पैरेंट्स को भी अपना एफर्ट देना होगा।
डॉ। सीएल त्रिपाठी
अपर जिला सहकारी अधिकारी, संस्कृत, दर्शन शास्त्र एवं हिंदी एक्सपर्ट, काउंसलर एंड मोटिवेटर