- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के स्टिंग में डग्गामार के दलालों ने समझाया सेटिंग का पूरा 'खेल'

- सिविल लाइंस बस स्टैंड के बाहर निजी वाहन चालक करते हैं मनमानी, सवारियों को कम किराया बताकर बुलाते हैं अपने पास

PRAYAGRAJ: सिविल लाइंस बस स्टैंड के बाहर डग्गामार वाहनों की मनमानी जारी है। इनके संचालन से रोडवेज की आमदनी को चूना तो लग ही रहा है वहीं यहां आने वाले यात्रियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बात का खुलासा सोमवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के स्टिंग आपरेशन में हुआ। सड़कों के अलावा बस स्टैंड परिसर के बाहर डग्गामार वाहनों का कब्जा मिला। बिना परमिट एसी कार, टेंपो, वैन, मैजिक, मिनी बस से लेकर एसी बस तक परिवहन विभाग को चपत लगा रही है। बस स्टैंड के बाहर चिल्ला-चिल्ला कर सवारियों को भरा जा रहा है। एक दलाल ने इस पूरी सेटिंग का 'खेल' तक समझा डाला।

केस वन

रिपोर्टर और डग्गामार दलाल के बीच बातचीत

डग्गामार दलाल - कहां जाना है साहब, वाराणसी जाना है क्या

रिपोर्टर - हां, वाराणसी जाना है

डग्गामार दलाल - आइए बस रेडी है, तुरंत रवाना होगी।

रिपोर्टर - नहीं रोडवेज के बस से ही जाएंगे। किराया कम है क्या?

डग्गामार दलाल - रोडवेज से पंद्रह रुपये कम किराया है

रिपोर्टर - यह कैसे सरकारी बस से कम?

डग्गामार दलाल - आपको किराया बचाना है या पूरा नियम जानना है

केस टू

किराया कम आखिर क्यों लेते हैं इसका किया स्टिंग

डग्गामार के मैनेजर से मिलकर की बातचीत

रिपोर्टर - मेरे रिश्तेदार के पास एक मिनी बस है

डग्गामार मैनेजर - पहले कहां लगी थी बस

रिपोर्टर - पहले एक प्राइवेट स्कूल में लगा था अब स्कूल ही बंद चल रहा है काफी नुकसान हो रहा है

डग्गामार मैनेजर - यहां लगाने के लिए हर ट्रिप पर पैसा देना होगा

रिपोर्टर - ऐसा क्यों

डग्गामार मैनेजर - ऐसे थोड़ी सिविल लाइंस स्टैंड के बाहर से बस चलती है

रिपोर्टर - मतलब ?

डग्गामार मैनेजर - मतलब साफ है कि सबको देना पड़ता है, हर रूट का ट्रिप का पैसा बांधा है

रिपोर्टर - सुनने में आया है कि रोडवेज से किराया भी कम है

डग्गामार मैनेजर - सामने सफेद गमछा के बगल में जो खड़ा है सब समझा देगा

केस थ्री

रिपोर्टर कमाई का खेल समझने अगले व्यक्ति के पास जा पहुंचा

रिपोर्टर - दूर खड़े भाई साहब ने भेजा है

दलाल - क्या समझना है ?

रिपोर्टर - किराया रोडवेज से कम भी लिया जाता है और कमाई भी हो जाती है यह कैसे ?

दलाल - रोडवेज से कम किराया वसूलते हैं। इसकी भरपाई क्षमता से ज्यादा सवारियों को बैठाकर की जाती है

रिपोर्टर - चेकिंग में पकड़े तो नहीं जाएंगे

दलाल - हर ट्रिप में जब पैसा दिया जा रहा है तो कैसे पकड़े जा सकते हैं

रिपोर्टर - मतलब, कोई बोलेगा तो नहीं

दलाल - चेकिंग होने से पहले फोन आ जाता है, जो पैसा नहीं देता है वह चेकिंग रेला जाता है

डग्गामारी से विभाग परेशान है। कई बार शिकायत की जा चुकी है। स्थानीय पुलिस को भी कार्रवाई के लिए आगे आना होगा। अगर टीम बनाकर बराबर आरटीओ प्रवर्तन चालान करें। तब जाकर कुछ हद तक डग्गामारी पर लगाम लगेगा।

सीबी राम वर्मा, एआरएम सिविल लाइंस डिपो

सिटी के अंदर बीच-बीच में चेक किया जाता है। इसके साथ ओवरलोड सवारियों पर भी कार्रवाई की जाती है। एक महीने तक डग्गामार के खिलाफ अभियान चलाकर सौ से अधिक वाहनों का चालान तक काटा गया था। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।

अलका शुक्ला एआरटीओ प्रवर्तन

जितनी लंबी दूरी की बस, उतना मुनाफा

निजी वाहन संचालकों की माने तो वे अपनी बसों को चलवाने के लिए विभाग को एक निश्चित कमीशन देते हैं। हर रूट के ट्रिप पर अलग-अलग मुनाफा दिया जाता है।