प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर की सड़कों पर आवारा गाय, भैंस और सांड़ की संख्या बढ़ती जा रही है। नगर निगम के पास इनको पकडऩे के लिए पर्याप्त कैटल वाहन और कर्मचारी नही हैं। आठ जोन में जो टीमें लगाई गई हैं, वह एक दिन में बमुश्किल एक दर्जन जानवर पकड़ पाती हैं। जबकि शहर में आवारा पशुओं की संख्या चार हजार से अधिक बताई जा रही है। सबसे अहम कि यह टीम राजस्व बढ़ाने के लिए केवल गाय और भैंस को पकड़ती है। सांड़ को पकडऩे के बजाय नजर अंदाज कर दिया जाता है।

घने इलाकों में सबसे ज्यादा सांड़

देखा जाए तो शहर के निचले और घने इलाकों में सबसे ज्यादा आवारा पशु नजर आते हैं। कारण चाहे जो भी हो। अल्लापुर, मुटठीगंज, चौखंडी, कीडगंज, सलोरी, बघाड़ा, करेली, चकिया, बेनीगंज, गऊघाट, साउथ मलाका आदि एरिया में सबसे ज्यादा आवारा जानवर मिल जाएंगे। जिन एरिया में सब्जी या फल मंडी लगती है वहां भी सबसे ज्यादा आवारा पशु मिलते हैं। इन एरिया में आए दिन अप्रिय घटनाएं भी होती हैं।

हर महीने दो हजार डाग बाइट मामले

दूसरी तरह हर महीने प्रयागराज में दो हजार से अधिक डाग बाइट के नए मामले आते हैं। आंकड़ों पर जाएं तो सरकारी अस्पतालों और सीएचसी-पीएचसी मिलाकर दस हजार रैबीज के टीके लगाए जाते हैं और एक मरीज को पांच टीके लगते हैं। ऐसे में दो हजार मरीज हर माह सामने आते हैं। जबकि शहर में 6 हजार टीके लगते हैं। जबकि 1200 डाग बाइट के मामले सबसे अकेले शहर में मिल जाते हैं।

अचानक करते हैं हमला

लोगों का कहना है कि आवारा पशु अचानक हमला करते है। इसके बारे में जरा भी अंदाजा नही होता है। डाग बाइट के शिकार सुरेश बताते हैं कि रात में घर जाते समय अक्सर कुत्ते दौड़ा लेते हैं। इसी चक्कर में दो दिन पहले बाइक से गिर गए और इसके बाद उनके पैर में कुत्ते ने काट लिया। बेनीगंज के रहने वाले शालू ने बताया कि तीन दिन पहले उनको सब्जी मंडी में एक सांड़ ने दौड़ा लिया। बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची।

चौखंडी की घटना के बारे में सुनकर दुख हुआ। सड़कों पर बढ़ती आवारा पशुओं की संख्या वाकई चिंता का कारण हैं। नगर निगम को इनको जितनी जल्दी हो सके पकड़वाना चाहिए।

अंकित वर्मा

आजकल सड़कों पर चलना खतरे से खाली नही है। कब किधर से जानवर हमला कर दे पता नही चलता है। नगर निगम को जानवरों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाना होगा।

पवन

कहने को नगर निगम के पास कैटल वाहन हैं और कर्मचारी हैं लेकिन यह क्या करते हैं किसी को नहीं पता। शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नही होती है। आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।

मोनू

पिछले कुछ सालों में आवारा पशु बढ़ गए हैं। कुत्तों की संख्या पर भी लगाम नही लगी है। देर रात निकलना मुश्किल होता है। बनाए गए गोवंश आश्रय स्थल पर भी नाकाफी हैं।

मनीष गुप्ता