प्रयागराज ब्यूरो, उन्होंने बिना देर किए प्लेटलेट उपलब्ध कराई। इसी तरह एक अन्य तीमारदार को एएमए ब्लड बैंक से दो यूनिट दिलवाई गई। एक मरीज को बेड दिलवाया गया। नोडल अधिकारी ने बताया कि डेंगू की चुनौतियों से निपटने के लिए कंट्रोल रूम चौबीस घंटे काम कर रहा है।
अनुभवी टीम को सौंपा गया काम
शनिवार को रिपोर्टर ने पहुंचकर कंट्रोल रूम का जायजा लिया। यहां 15 लोगों की टीम वर्क कर रही थी। बताया गया कि फोन की दो मेन लाइन और पांच हंटिंग लाइन मौजूद हैं। जिससे एक भी कॉल मिस नही होगी। बताया गया कि सुबह से कुल 36 कॉल आई हैं और इनमें से दस कॉल प्लेटलेट और तीन कॉल बेड उपलब्ध कराने के लिए आई हैं। बाकी कॉल साफ सफाई और एंटी लार्वा छिड़काव के लिए की गई थी। सभी की समस्या का समाधान कर दिया गया है। कंट्रोल रूम में नोडल के अलावा डॉ। शुक्ला और हरिशंकरजी को भी लगाया गया है। यह अनुभवी लोग कोविड और वैक्सीनेशन कंट्रोल रूम में बेहतर काम करके प्रशस्ति पत्र पा चुके हंै।
हर आधे घंटे में देनी होती है रिपोर्ट
कंट्रोल रूम को डीएम संजय कुमार खत्री के निर्देश पर शुरू किया गया है और खुद कमिश्नर विजय विश्वास पंत डीएम के साथ मिलकर इसकी मानीटरिंग कर रहे हैं। हर आधे घंटे में रिपोर्ट अधिकारियों को भेजनी होती है। शाम को सभी ब्लड बैंकों से प्लेटलेट की बैलेंस रिपोर्ट और खपत, हॉस्पिटल से बेड की जानकारी कलेक्ट कर अधिकारियों को भेजनी होती है। तीन शिफ्ट में कुल 45 लोगों को यहां लगाया गया है।
स्थिति गंभीर है, इसलिए रहना है मुस्तैद
प्लेटलेट की मांग को लेकर आई कुल दस कॉल में आठ कॉल ऐसे मरीजों की थी जिनका प्लेटलेट काउंट बीस हजार से कम था। इनको प्लेटलेट दिलाने में कंट्रोल रूम ने मदद की। अधिकारियों का कहना है कि कहीं न कहीं डेंगू से स्थिति गंभीर हुई है लेकिन अगर समय रहते मरीजों की हेल्प कर दी जाए तो परेशानी नही होती है। अगर ब्लड बैंकों से कांटेक्ट करके तत्काल प्लेटलेट दिला दी जाए तो मरीज की जान बच जाती है। अधिक देर होने पर अनहोनी भी हो सकती है। क्योंकि डेंगू में देखा जा रहा है कि मरीज की प्लेटलेट तेजी से कम हो जाती है।